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भीलवाड़ा में धुलंडी के 13 दिन बाद रंग तेरस पर्व पर कोड़ामार होली खेली जा रही है। यहां जीनगर समाज आज कोड़ामार होली खेल रहा है। धुलंडी के 13 दिन बाद रंग तेरस पर्व को समाज के लोग धूमधाम से मनाते हैं। आज भीलवाड़ा के सर्राफा बाजार में उत्साह का माहौल है और लोग सुबह से ही बाजार में होली खेलने के लिए इकट्ठा होने लगे हैं। जीनगर समाज के अध्यक्ष कैलाश सांखला ने बताया – आज जीनगर समाज द्वारा रंग तेरस के मौके पर कोड़ामार होली खेली जा रही है। 202 सालों से कोड़ा मार होली खेलने की परंपरा चली आ रही है जिसमें महिलाएं कपड़े का कोड़ा बनाकर पुरुषों की पिटाई करती हैं और पुरुष कड़ाव में भरा रंग का पानी डालते हैं। ऐसे होता है आयोजन कोड़ा मार होली के लिए एक बड़े से कढ़ाव में रंगीन पानी भर लिया जाता है। महिलाएं हाथों में कोड़ा लेकर इस पानी की हिफाजत करती है। महिलाएं सूती साड़ियों से गूंथकर कोड़ा बनती है और वहां पानी से भरे कड़ाव के पास खड़ी हो जाती हैं। पुरुष कड़ाव से पानी की डोलची भरकर महिलाओं पर फेंकते हैं और महिलाएं उन्हें कोड़े से मारती है। कड़ाव पर जिसका कब्जा होता है, वहीं इसमें जीतता है। देवरी भाभी का त्योहार मुख्य रूप से यह देवर भाभी का त्योहार माना जाता है । इसमें महिलाएं अपने देवर पर कोड़े बरसाती है और देवर भाभी पर पानी की बौछार करते हैं। आज के दिन होली खेलते हुए जमकर कोड़े पुरुषों की पिटाई करती है। पुरुष हंसते हुए डीजे की धुन पर नाचते गाते हैं और कोड़े की मार खाते हैं। कोड़ामार होली में न्यूली मैरिड कपल कई शहरों से भाग लेने यहां आते हैं। होली खेलने के बाद सभी बड़े बुजुर्ग लोगों का आशीर्वाद लेते हैं । सालभर रहता है आज के दिन का इंतजार महिलाओं का कहना है कि हमें साल भर से इस त्योहार का इंतजार रहता है। इस त्योहार से हमारी सभ्यता संस्कृति जीवित है। आज का दिन ऐसा होता है जो महिलाओं का दिन होता है। हम अपनी परंपरा को आगे से आगे बढ़ाने के प्रयास में हैं। सामूहिक भोज का होता है आयोजन जीनगर समाज बड़ी धूमधाम और उत्साह के साथ कोड़ामार होली का आयोजन करता है। शाम को समाज का एक सामूहिक स्नेह भोज का आयोजन किया जाता है और विभिन्न क्षेत्रों में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली प्रतिभाओं का सम्मान भी किया जाता है।

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