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राजस्थान (सवाई माधोपुर) के रहने वाले आईएएस अधिकारी राजेश कुमार मीणा अब महाराष्ट्र के मुख्य सचिव (CS) के तौर पर कमान संभालेंगे। कहा जाता है कि जब राजेश सातवीं-आठवीं कक्षा में थे, तब से ही अपनी नोटबुक में राजेश कुमार के साथ आईएएस लिखना शुरू कर दिया था। 21 साल की उम्र में उन्होंने पहले प्रयास में ही UPSC की परीक्षा पास कर अपने सपने को पूरा किया। पिछले 40 साल से महाराष्ट्र में सेवा दे रहे राजेश को तमाम ऐसी जगह पोस्टिंग दी गई, जहां कोई जाना नहीं चाहता था। राजेश ने ऐसे पिछड़े जिलों में भी बेहतर काम किया और नजीर बने। दैनिक भास्कर ने सवाई माधोपुर में परिवार वालों और दोस्तों से मिलकर राजेश के अब तक के सफर पर बात कर उनके व्यक्तित्व के दूसरे पहलुओं को जानने का प्रयास किया। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… राजेश मीणा की साली रचना मीणा बताती हैं- जीजाजी (राजेश मीणा) जितने गंभीर अधिकारी हैं, उतने ही मजाकिया इंसान भी हैं। जीजाजी के माता-पिता अक्सर बताते थे कि जब वह सातवीं-आठवीं कक्षा में थे, तब से ही अपनी नोटबुक में राजेश कुमार के साथ आईएएस लिखना शुरू कर दिया था। बहुत छोटी उम्र से ही उन्होंने यह तय कर लिया था कि उन्हें प्रशासनिक सेवा में जाना है। 1988 में मात्र 21 साल की उम्र में उन्होंने पहले प्रयास में ही UPSC की परीक्षा पास कर अपने सपने को हकीकत में भी बदल दिया। वह उस समय राजस्थान में इतनी कम उम्र में आईएएस बनने वाले चुनिंदा युवाओं में से थे। उन्हें अपनी चीजों से उन्हें बहुत लगाव है। स्कूल के दौरान तीसरी-चौथी कक्षा में एल्यूमीनियम का जो बैग वह स्कूल लेकर जाते थे, वह आज भी उनके पास है। इसे उन्होंने कुछ साल पहले अपनी साली रचना को दे दिया था। ऐसी जगह पोस्टिंग, जहां कोई नियुक्ति नहीं चाहता था
आईएएस बनने के बाद उन्हें महाराष्ट्र कैडर मिला। बीते 40 सालों से वह महाराष्ट्र के अलग–अलग जिलों में विभिन्न पदों पर काम करते रहे। परिजन बताते हैं कि उन्हें अपने कार्यकाल के दौरान ऐसे जिले और पोस्ट भी मिली हैं, जहां कोई जाना नहीं चाहता था। अधिकारी उसे सजा के तौर पर देखते थे। राजेश ने उन पदों पर भी इतने महत्वपूर्ण बदलाव और प्रयोग किए कि उस विभाग के मंत्री उन्हें अपने पीए के तौर पर बुलाना चाहते थे। उनके सबसे महत्वपूर्ण कामों में महाराष्ट्र ओबीसी आरक्षण का समाधान निकालना, बाल एवं महिला विभाग में नवाचार, स्वावलंबी ग्रुप्स बनाकर महाराष्ट्र के ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना, सूखाग्रस्त इलाकों में पानी के प्रबंधन और किसानों को कृषि के क्षेत्र में नवाचार, नई फसलें, उपकरण और फसलों में प्रयोग करने के लिए प्रेरित करना रहे। क्रिकेट का जुनून, गाने के शौकीन और मां के करीबी
बचपन के दोस्त सुनील सिंह राठौड़ कहते हैं- राजेश और मैं स्कूल के समय से दोस्त हैं। आज भी इतने महत्वपूर्ण पदों पर रहने के बावजूद वह जब भी सवाई माधोपुर आते हैं , सबसे पहले अपने दोस्तों से मिलते हैं। आज भी उनके क्रिकेट क्लब का कोई महत्वपूर्ण मैच हो तो खेले बिना नहीं रहते। सुनील और वो अक्सर सवाई माधोपुर के कलेक्ट्रेट एरिया, हम्मीर पुलिया और ऑफिसर्स कैंट एरिया में खूब घूमते हैं। राजेश मीणा को गाने का बहुत शौक है। वह बहुत अच्छा गाते हैं। मोहम्मद रफी, किशोर और हेमंत कुमार उनके पसंदीदा सिंगर हैं। पल-पल दिल के पास उनका पसंदीदा गाना है। अच्छी फिल्म देखते हैं तो परिवार को भी सलाह देते हैं उस फिल्म को देखने की। उनकी मां बीमारी के चलते करीब 9 साल तक बिस्तर पर ही थीं। इस दौरान उन्होंने अपनी मां की खूब सेवा की। जब भी सवाई माधोपुर आते सुबह–शाम की चाय अपनी मां के साथ ही पीते। अपनी तकलीफ उन्होंने घर के लोगों को शेयर नहीं की, लेकिन खुशियां हमेशा बांटते हैं। सीएम के पसंदीदा अधिकारी रहे हैं
रचना बताती हैं कि महाराष्ट्र में किसी भी पार्टी की सरकार रही हो वह हमेशा सीएम के पसंदीदा अधिकारी रहे। देवेन्द्र फडनवीस, शरद पंवार समेत लगभग सभी मुख्यमंत्रियों के साथ उनके अच्छे संबंध थे। रचना याद करते हुए बताती हैं कि विलासराव देशमुख के समय वह जलगांव के कलेक्टर थे। एक सभा के दौरान कुछ स्थानीय लोगों ने उन्हें काले झंडे दिखाए थे। इसके दो दिन बाद ही उनका ट्रांसफर बहुत इंटीरियर इलाके में कर दिया गया था। लेकिन वहां भी उन्होंने अपने विभाग में जो काम किए वह आज भी याद किए जाते हैं। सास को खुद फोन कर बताया- मां सीएस बन गया
राजेश की सास पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसकौर मीणा बताती हैं कि जैसे ही उन्हें सीएस बनाने की जानकारी आई उन्होंने सबसे पहले मुझे कॉल किया और बताया- मां सीएस बना दिया है। साेमवार को जॉइन करूंगा। इस दौरान वह लगातार परिजनों से बात करते रहे जैसे कुछ हुआ ही न हो। वह अपने काम में बहुत परफेक्ट हैं और आज भी लाल, नीले, काले, हरे पेन से अपनी डायरी में नोट्स बनाते हैं। यह आदत उनकी आज भी है। आईएएस बनने की तैयारी के दौरान भी उन्हाेंने जो नोट्स बनाए, वह आज भी उन्होंने संभाल के रखे हैं। रिटायरमेंट के बाद सवाई माधोपुर में युवाओं में स्किल डवलप करना चाहते हैं
जसकौर बताती हैं कि करीब डेढ़ महीने पहले जब वह सवाई माधोपुर आए थे तो रिटायरमेंट प्लान पर भी चर्चा की थी। उन्होंने अपनी सास से कहा कि अब वह यहीं रहकर किसानों, युवाओं को स्किल डवपलमेंट के जरिए अपनी ही जमीन से रोजगार पाने लायक बनाने के लिए प्रशिक्षित करना चाहेंगे। उनकी सास ने उनके लिए यहां शबरी फॉर्म हाउस पर उनके लिए एक कमरा भी तैयार करवाया था। अब नई जिम्मेदारी मिलने के बाद रिटायरमेंट के बाद का यह प्लान अब कुछ सालों के लिए आगे बढ़ गया है। उन्होंने अपनी पत्नी अर्चना को भी प्रेरित किया, जिसकी वजह से वह आज एक सफल आंत्रप्रेन्याेर हैं। राजस्थान यूनिवर्सिटी से एमए किया
राजेश का पैतृक गांव उनियारा (टोंक) है। हालांकि उनकी परवरिश सवाई माधोपुर स्थित इन्द्रा कॉलोनी हुई है। सवाई माधोपुर के ही राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, आलनपुर से अपनी शुरुआती पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने अपना ग्रेजुएशन राजकीय महाविद्यालय सवाई माधोपुर से ही किया। पोस्ट ग्रेजुएशन राजस्थान यूनिवर्सिटी से इतिहास में किया है। जयपुर में वह कमरा किराए पर लेकर रहते थे। रूम पार्टनर से बाेले कि मुझे खाना बनाना नहीं आता, इसलिए मैं तेरी कोई मदद नहीं कर पाऊंगा। तब उनके रूम पार्टनर ने उन्हें सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान देने को कहा। राजेश की शादी साल 1988 में अर्चना मीणा के साथ हुई थी। दोनों के दो बच्चे आधार और इशिका हैं। उनके दोनों बच्चों की शादी हो चुकी है। आधार की एक बेटी अनाया है। अर्चना फिलहाल मुंबई में ही राजेश की जॉइनिंग के लिए गई हुई हैं। भांजा भी आईएएस हैं
पिता रामगोपाल मीणा प्रिंसिपल के पद से रिटायर हुए थे। इनकी मां गृहिणी थीं। राजेश की बहन सुनीता मीणा दिल्ली में सीनियर डॉक्टर हैं। उनके पति रमेशचंद्र मीणा अंडमान निकोबार सर्विसेज में थे। इनका भांजा अग्रिम नरेरा भी आईएएस हैं। राजेश के माता पिता दोनों ही अब इस दुनिया में नहीं हैं। इसलिए वो अपनी सास जसकौर मीणा और ससुर श्रीलाल मीणा को ही अपना माता-पिता मानते हैं। अब पढ़िए राजेश मीणा से खास बातचीत… भास्कर : महाराष्ट्र का सीएस बनने पर बहुत बधाई। सेवानिवृत्ति से दो महीने पहले इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली है, क्या विजन होगा?
राजेश मीणा- सबसे पहले तो मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का आभारी हूं, जो उन्होंने मुझे यह जिम्मेदारी सौंपी है। महाराष्ट्र पहले से ही एक अग्रणी और प्रगतिशील राज्य है। हम सभी सेक्टर्स में बेहतरीन काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री और पूरे मंत्रिमंडल का विकसित महाराष्ट्र का जो विजन है हम सभी सेक्टर्स के सचिवों को साथ लेकर हम नए इनोवेशन और तकनीकों की मदद से काम करेंगे ताकि लोगों का जीवन और सुलभ किया जाए और हम उन्हें बेहतर सेवाएं दे सकें। योजनाओं में पारदर्शिता लाकर महाराष्ट्र में गुड गवर्नेंस देने का मैं प्रयास करूंगा। भास्कर : किन सेक्टर्स पर अधिक ध्यान देने पर विचार कर रहे हैं?
राजेश मीणा- मुख्य सचिव होने के नाते हम सभी सेक्टर्स पर ध्यान देंगे। मेरे सभी विभाग के सचिव और अधिकारी अपने-अपने विभाग में बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। इन्हीं में से एक टीम खड़ी करके हम एक-दूसरे के अनुभव से एक अलग विकसित राज्य बनाने का सपना पूरा करने का प्रयास करेंगे। भास्कर : एक राजस्थानी होने के नाते अपनी जन्मभूमि के लिए किस तरह का जज्बा आपके दिल में रहता है?
राजेश मीणा- राजस्थान के लिए मेरा दिल हमेशा धड़कता है। मेरा काडर महाराष्ट्र का है, इसलिए कर्मभूमि महाराष्ट्र रही। अभी हाल ही में मुख्यमंत्री भजनलाल ने राजस्थान के रहने वाले अन्य राज्यों में प्रशासनिक सेवाएं दे रहे आईएएस अधिकारियों से बात की थी। मुझसे भी चर्चा हुई। उनसे मैंने काफी बातें साझा की। हम राजस्थान के अधिकारियों के साथ भी मिलकर काम कर रहे हैं। भास्कर: एक प्रशासनिक अधिकारी के इतर आपको और किन चीजों में रुचि है?
राजेश मीणा- मेरा पूरा बचपन सवाई माधोपुर में बीता। वहां की हर चीज से मुझे लगाव है। मेरे गुरुजनों और साथियों के सहयोग और आशीर्वाद से मैं यहां तक पहुंचा हूं। सवाई माधोपुर तो वैसे भी प्राकृतिक रूप से बहुत खूबसूरत है। मुझे आज भी क्रिकेट खेलना, संगीत और एग्रीकल्चर सेक्टर में बहुत रुचि है। रिटायरमेंट के बाद किसानों को नवाचार सिखाने और अपने अब तक की सर्विस के अनुभव से सवाई माधोपुर के किसानों को लाभान्वित करने का प्रयास रहेगा। भास्कर: महाराष्ट्र में अलग-अलग पदों पर रहने के दौरान आपके कौन-कौन से प्रयोग और नवाचार चर्चित रहे?
राजेश मीणा- बेसीकली सर्विस के दौरान हमेशा कुछ न कुछ अलग और नया करने का प्रयास मैंने किया है। सबसे पहले वाटर सप्लाई सेक्टर में जब मुझे जिम्मेदारी मिली तो उस समय प्रधानमंत्री ने ओपन डेफेकशन फ्री का चैलेंज रखा। तब महाराष्ट्र में मेरे नेतृत्व में ओपन डेफेकशन फ्री घोषित हुआ। हम सभी ने सैनिटेशन विभाग में इनोवेशन किया और हम हमेशा इस क्षेत्र में अग्रणी रहे।
ऐसे ही जब मैं रूरल डेवलपमेंट में एडिशनल चीफ सेक्रेटरी था तो उस समय 8 लाख के करीब बचत सेल्फ हेल्प ग्रुप हुआ करते थे जिनके उत्पादों के लिए हमने अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी बड़ी ऑनलाइन कंपनियों से जोड़ा। आज ये सभी ग्रुप बहुत बड़ा समूह बन चुका है और सभी आत्म निर्भर हैं। रेवेन्यू विभाग में रहते हुए हमने आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस तकनीक की मदद से महाराष्ट्र के ऑनलाइन रेवेन्यू विभाग को रजिस्ट्रेशन और लैंड सर्विसेज पूरी तरह से डिजिटलाइज्ड कराया। ऐसे ही कुछ और भी इनोवेशन और नवाचार थे, जिन्होंने लोगों को काफी राहत दी। भास्कर: क्या यह सच है की आपने सातवीं-आठवीं क्लास में नाम के साथ आईएएस लिखना शुरू कर दिया था?
राजेश मीणा- हां, यह सच है। मेरे पिता शिक्षा के क्षेत्र से थे और प्रिंसिपल पद से रिटायर हुए थे। उस समय ही प्रशासनिक सेवा में जाने का निश्चय किया था। तब आईआईएस बन जाना बहुत बड़ी बात थी। मेरा मानना है कि अगर आपने सच्चे मन से कोई संकल्प लिया है तो वह जरूर पूरा होता है। तब मैंने भी अपने लिए यह संकल्प लिया था और मैं खुशकिस्मत हूं कि मेरे पहले प्रयास में ही यह सच हो गया। —- राजस्थान के रहने वाले महाराष्ट्र काडर के IAS की यह खबर भी पढ़िए… राजस्थान के रहने वाले IAS बने महाराष्ट्र के मुख्य सचिव:पूर्व मंत्री जसकौर मीणा के दामाद हैं राजेश मीणा; कार्यभार संभाला सवाई माधोपुर के रहने वाले IAS अफसर राजेश मीणा को महाराष्ट्र का नया मुख्य सचिव नियुक्त किया गया है। 1988 बैच के महाराष्ट्र कैडर के IAS राजेश मीणा पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता जसकौर मीणा के दामाद हैं। (पढ़ें पूरी खबर…)

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