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हिंदू धर्म में सावन का विशेष धार्मिक महत्व होता है। श्रावण मास को साल का सबसे पवित्र महीना माना जाता है। बहुत से लोग इस माह को सावन का महीना भी कहते हैं। सावन में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा बहुत श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ की जाती है। सोमवार के दिन भगवान शंकर की आराधना का विशेष महत्व होता है। यही कारण है कि श्रावण मास में सोमवार के दिन का बहुत महत्व होता है। इस वर्ष की खास बात ये है कि श्रावण मास की शुरुआत सोमवार के दिन हो रही है। श्रावण मास की शुरुआत को लेकर बहुत से लोगों के मन से भ्रम है कि सावन की शुरुआत 21 जुलाई को हो रही है या 22 जुलाई को। बता दें कि इस साल श्रावण मास की शुरुआत 22 जुलाई को हो रही है, वहीं श्रावण मास की पूर्णिमा 19 अगस्त 2024 को होगी। सावन माह को लेकर भोलेनाथ के मंदिरों पर भी तैयारियां चल रही है। मंदिरों को सजाया जा रहा है। माता पार्वती और भगवान शिव की होती है पूजा अर्चना
इस पावन मास में भक्त माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करते हैं। श्रावण मास में श्रद्धालु सोमवार के दिन व्रत रखते हैं और भगवान शिव की शुद्ध मन से पूजा करते हैं। अविवाहित बालिकाएं श्रावण के हर मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत रखती हैं। कुछ महिलाएं मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए सोमवार व्रत करती हैं और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। सावन महीने के दौरान कांवड़ यात्रा भी बहुत प्रसिद्ध है, जिसमें भक्त पवित्र गंगा के पास अलग अलग धार्मिक स्थानों पर भी जाते हैं और वहां से गंगाजल लाकर शिवरात्रि के दिन भगवान शिव को चढ़ाते हैं। मान्यता है कि इस महीने में किए गए दान और पुण्य का फल कई गुना बढ़ जाता है। कल 22 जुलाई से शुरू होगा श्रावण मास का महीना
हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 21 जुलाई को दोपहर 3 बजकर 47 मिनट से आरंभ हो जाएंगी, जो 22 जुलाई को दोपहर 1 बजकर 11 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में 22 जुलाई से श्रावण मास आरंभ हो रहा है, जो 19 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा के साथ समाप्त होगा। इस साल सावन माह पर बन रहा दुर्लभ संयोग
पंडित रमेश शर्मा ने बताया कि इस साल सावन माह में करीब 72 साल बाद दुर्लभ संयोग बन रहा है। बता दें कि इस साल श्रावण मास सावन सोमवार के साथ आरंभ हो रहा है और इसी दिन के साथ समाप्त हो रहा है। इस साल कुल 5 सावन सोमवार पड़ रहे है। इसके साथ ही सावन माह के दौरान सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, रवि योग बन रहा है। इसके साथ ही ग्रहों की स्थिति के कारण कुबेर योग, मंगल-गुरु युति, शुक्रादित्य योग, बुधादित्य, लक्ष्मी नारायण योग, गजकेसरी योग, शश राजयोगों जैसे योग बन रहे हैं।

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