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प्रदेश में मानसून की बारिश का दौर शुरू हो चुका है लेकिन अभी तक झुंझुनूं में नालों की सफाई तक नहीं हुई है। हर साल शहर इस कारण 3 फीट पानी में डूब जाता है। झुंझुनूं शहर की जल निकासी व्यवस्था ठीक नहीं की गई है। नगरपरिषद के सफाई कराने के दावों के बीच कई प्रमुख जगहों पर नालों की स्थिति बदतर है। अगर नाले साफ नहीं हुए तो कई इलाकों में 3 फीट तक पानी भरना तय है। गंदगी से जाम नाले, मुसीबत में दुकानदार और राहगीर शहर में रोड नंबर 1 स्थित कर्नल जेपी जानू स्कूल के सामने का नाला पूरी तरह से कचरे से जाम है। यहां हर बारिश में पानी इतना भर जाता है कि स्कूल के आसपास के घरों और दुकानों से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। स्कूल के सामने जमा पानी में बच्चे तक स्कूल नहीं पहुंच पाते। शहर के गांधी चौक, पंचदेव मंदिर क्षेत्र, खेमी सती मंदिर के पास, और खासतौर पर हवाई पट्टी क्षेत्र में हर साल की तरह इस बार भी जलभराव की आशंका मंडरा रही है। इन इलाकों में मामूली बारिश भी तालाब जैसा दृश्य उत्पन्न कर देती है। हवाई पट्टी क्षेत्र में स्थित दुकानदार केसर देव ने बताया- थोड़ी सी बारिश में ही पूरे क्षेत्र में पानी भर जाता है। नाले बंद हैं, कहीं से पानी निकलने की कोई व्यवस्था नहीं है। हर साल शिकायत करते हैं लेकिन कोई समाधान नहीं होता। नगरपरिषद के दावों की हकीकत नगरपरिषद आयुक्त दलिप पूनिया ने कहा-शहर में छोटे-बड़े कुल 22 नाले हैं, जिनसे जल निकासी होती है। सफाई कार्य एक सप्ताह से चल रहा है और हवाई पट्टी क्षेत्र के नाले की सफाई पूरी हो चुकी है। सबसे बड़ा नाला जो रोड नंबर 3 पर स्थित है, उसकी सफाई प्रक्रिया भी अंतिम चरण में है। लेकिन जब दैनिक भास्कर की टीम ने ग्राउंड पर जाकर देखा जाए तो हालात बिल्कुल विपरीत नजर आते हैं। हवाई पट्टी क्षेत्र के दुकानदारों और टेंपो चालकों की माने तो नाले अभी तक जाम हैं, जिनसे बदबू और गंदा पानी बाहर बहता है। इससे मच्छरों का प्रकोप बढ़ रहा है और संक्रमण की आशंका भी बनी हुई है। टेंपो चालकों की बड़ी परेशानी हवाई पट्टी स्टैंड पर टेंपो चालक महेश ने बताया-बारिश के मौसम में यहां 2 से 3 फीट तक पानी भर जाता है। टेंपो चलाना नामुमकिन हो जाता है, सवारियां मिलती नहीं हैं और स्टैंड होने के बावजूद यहां सूनापन सा रहता है। नगरपरिषद को कोई फिक्र नहीं है। पोस्ट ऑफिस के पास भी वही हाल एक नंबर रोड स्थित पोस्ट ऑफिस के पास का नाला भी पूरी तरह से गंदगी से भरा हुआ है। दुकानदारों को पानी के साथ-साथ बदबू और मच्छरों से भी जूझना पड़ रहा है। सफाई कर्मचारी कब आते हैं, कब चले जाते हैं किसी को नहीं पता।

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