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मानसून के बादल पानी नहीं, उमस बरसा रहे:अपनी जगह से खिसक गई ‘बारिश कराने वाली लाइन’, जानिए- इससे फायदा या नुकसान?

ऊपर दिख रही फोटो लगान फिल्म की है। आसमान में घिरे काले बादलों को देख गांव के लोगों की आंखों में उम्मीद की चमक आ जाती है। लोग झूमते हुए गाना गाते हैं…काले मेघा, पानी तो बरसाओ…। लेकिन थोड़ी ही देर में बादल छंट जाते हैं और उम्मीदों से भरी आंखें सूरज की रोशनी में चौंधिया जाती है। राजस्थान के ज्यादातर जिलों में भी करीब एक सप्ताह से ऐसा ही हाल ही है। लगभग हर दिन उम्मीदों के बादल छाते हैं और थोड़ी ही देर में गायब हो जाते हैं। मानसून के सीजन में बारिश के बजाय उमस पसीने से भिगो रही है। भास्कर ने एक्सपट्‌र्स से बात कर इसकी वजह जानने की कोशिश की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… बारिश नहीं होने और उमस बढ़ने की वजह क्या है? जयपुर मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक राधेश्याम शर्मा ने बताया कि बारिश न होने और उमस बढ़ने की वजह है मानसून ट्रफ लाइन खिसकना। आसान भाषा में कहें तो मानसून ट्रफ लाइन एक निम्न दबाव की रेखा (लो प्रेशर लाइन) होती है जो मानसून के दौरान उत्तर-पश्चिम भारत से लेकर बंगाल की खाड़ी तक फैली होती है। इसका मुख्य काम हवा के निम्न दबाव वाले क्षेत्रों को जोड़ना है। यह मानसून की बारिश का प्रमुख कारण होती है। इसकी स्थिति लगातार बदलती रहती है। क्या मानसून कमजोर पड़ गया है? राधेश्याम शर्मा ने बताया कि पिछले दो तीन दिनों से मानसून की ट्रफ लाइन दक्षिणी राजस्थान की तरफ शिफ्ट हो गई है। ऐसे में दक्षिणी राजस्थान में बारिश होती रही लेकिन उत्तरी और पूर्वी राजस्थान बारिश से अछूते रहे। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि मानसून अटक गया है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि मानसून में उमस बढ़ गई हो। मानसून का मतलब रोज बारिश होना नहीं होता। इसमें कभी बारिश के सक्रिय दौर तो कभी कमजोर दौर भी होते हैं। मानसून में बारिश होने के लिए जिन मौसमी सिस्टम की ज़रूरत पड़ती है उनमें मानसून ट्रफ लाइन, कम दबाव क्षेत्र और चक्रवाती सर्कुलेशन मुख्य हैं। बारिश का दौर फिर से कब शुरू हो सकता है? फिलहाल मानसून ट्रफ लाइन जैसलमेर-कोटा की ओर सक्रिय है, जिसके कारण दक्षिणी राजस्थान में बारिश हो रही है। जैसे ही यह दोबारा अपनी सामान्य स्थिति गंगानगर-प्रयागराज (इलाहाबाद) की तरफ लौटेगी, राजस्थान के उत्तरी जिलों में भी बारिश होगी। फिलहाल हवा में नमी और तापमान में बढ़ोतरी के कारण ज्यादा उमस है। 22 जुलाई तक बारिश होने के बाद ही इस स्थिति में कोई सुधार आएगा। आने वाले सप्ताह में भी लो प्रेशर सिस्टम से कुछ जिलों में तेज बारिश भी हो सकती है। इससे तापमान में कमी तो आएगी, लेकिन नमी कम नहीं होगी। ज्यादा उमस के मायने क्या? मौसम विज्ञान केंद्र, जयपुर के वैज्ञानिक हिमांशु शर्मा ने बताया कि पिछले साल की तुलना में इस बार मानसून में ज्यादा बारिश की संभावना है। शुरुआती मानसून में अल नीनो का भी प्रभाव रहा। जुलाई के अंत तक ट्रफ लाइन न्यूट्रल कंडीशन में आने के बाद अच्छी बारिश होगी। ज्यादा उमस का मतलब है कि मौसम में भरपूर मात्रा में मॉइस्चर है। बस सिस्टम बनने की जरूरत है, जो बारिश का ट्रिगर कर सके। जयपुर में औसत से 17 फीसदी ज्यादा बारिश 1 जून से 18 जुलाई तक पूरे प्रदेश में अब तक सामान्य से महज 2 फीसदी ज्यादा बारिश रिकॉर्ड हुई है। जयपुर जिले में अब तक इस सीजन में 203 मिलीमीटर बारिश हुई है जो सामान्य से 17 फीसदी अधिक है। अगले सप्ताह में भी जयपुर में बारिश की संभावना है। ऐसे में यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है। पूर्व में 7 फीसदी ज्यादा पश्चिम में 6% बारिश पूर्वी राजस्थान में 203.6 मिमी बारिश अब तक हो चुकी है जो सामान्य से 7 फीसदी अधिक है। वहीं पश्चिमी राजस्थान में सामान्य से 6 फीसदी कम यानी 89.7 एमएम ही बारिश हुई है। 19% से कम बारिश को सामान्य से कम, 19% से अधिक को सामान्य से ज्यादा और इसके बीच की बारिश को सामान्य माना जाता है। औसत 1981 से 2020 तक के बीच हुई बारिश से तय होता है। 4 फीसदी रह गया वन क्षेत्र राजस्थान यूनिवर्सिटी के भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ चंद्र विजय ढाबरिया का कहना है कि 4-5 सालों में गोवा से ऊपर और बाद में ओमान की खाड़ी की ओर मुड़ जाने वाले साइक्लोन के पैटर्न में भी बदलाव हुआ है। 20-25 साल पहले ऐसे साइक्लोन एक या दो बार बनते थे, जबकि अब इसकी फ्रीक्वेंसी बढ़कर पांच साल में ही 2 से 3 बार तक हो गई है। इसकी वजह से भी राजस्थान में मानसून की बारिश पर असर पड़ा है। अरावली की पहाड़ियां पालनपुर, उदयपुर, चित्तौड़, भीलवाड़ा, अजमेर, जयपुर, अलवर, दिल्ली और देहरादून तक फैली हुई हैं। राजस्थान में अच्छे मानसून के लिए 100 फीसदी वन क्षेत्र होना भी बहुत जरूरी है। अभी अरावली की पहाड़ियों पर 4 फीसदी फारेस्ट एरिया ही बचा है। ये भी पढ़ें- राजस्थान के 7 जिलों में आज भारी बरसात का अलर्ट:31 जिलों में भी होगी बारिश, कल से फिर रफ्तार पकड़ेगा मानसून आज राजस्थान के 31 जिलों में बारिश का अलर्ट है। इनमें सात जिलों में भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है। वहीं, 21-22 जुलाई को राजस्थान के पूर्वी हिस्सों में कहीं-कहीं भारी बारिश हो सकती है। (पूरी खबर पढ़ें)

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