झालावाड़ में मानसून की शुरुआत के साथ सर्पदंश के मामलों में वृद्धि की आशंका है। बारिश का पानी बिलों और निचले इलाकों में भरने से सांप बाहर निकल आते हैं। इससे मनुष्य के संपर्क में आने का खतरा बढ़ जाता है। जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में कलेक्टर अजय सिंह राठौड़ के निर्देश पर सभी सरकारी अस्पतालों में एंटी-स्नैक वेनम की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। सीएमएचओ डॉ. साजिद खान ने बताया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, उप जिला अस्पताल और जिला अस्पताल में विष-रोधी इंजेक्शन उपलब्ध हैं। मालवा और हाड़ौती क्षेत्र में कोबरा, करैत और वाइपर जैसे जहरीले सांप पाए जाते हैं। इनका विष न्यूरोटॉक्सिक होता है, जो पक्षघात का कारण बन सकता है। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से अपील की है कि सर्पदंश की स्थिति में तुरंत एम्बुलेंस से नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पहुंचें और डॉक्टर से परामर्श लें। समय पर उचित इलाज से जान बचाई जा सकती है। जिले में इन सांपों की अधिकता
चिकित्सा विभाग के अनुसार जिले में मुख्य रूप से तीन प्रकार के विषैले सांप पाए जाते हैं। इनमें कोबरा (नाग), करैत और वाइपर हैं। कोबरा का विष न्यूरोटॉक्सिक होता है, जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है। करेत छोटे आकार का होता है और रात में सक्रिय रहता है। इसके काटने के 30 मिनट से एक घंटे के भीतर इलाज न मिलने पर जान जा सकती है। वाइपर का विष हिमोटोक्सिक होता है, जिससे शरीर के विभिन्न हिस्सों से रक्तस्राव हो सकता है। सर्पदंश शरीर में खून का थक्का बनने से रोकता है। समय पर उपचार नहीं मिलने पर मौत हो जाती है। सर्पदंश की स्थिति में 30 मिनट से एक घंटे का समय महत्वपूर्ण होती है। इस दौरान पीड़ित अस्पताल पहुंच जाए और उचित इलाज मिल जाए तो मरीज की जान बचाई जा सकती है। सर्पदंश के पीड़ित को तुरंत नजदीकी पीएचसी, सीएचसी या अस्पताल लेकर पहुंचे। झाड़-फूंक, टोटका या अन्य अंधविश्वासों में नहीं पड़ना चाहिए।
