भरतपुर। मेडिकल कॉलेज में राज्य सेवा नियम एडोप्ट किए जाने की बजट घोषणा के बाद नियम बनाए जाने पर पहले से कार्यरत चिकित्सक शिक्षकों की खुशी खत्म हो गई है और वह आंदोलन पर उतारू हो गए हैं। वजह ये है कि राज्य सरकार ने 1 अगस्त के बाद नियुक्त होने वाले डॉक्टर्स पर ही राज्य सेवा नियम लागू करने और अन्य पहले से कार्यरत को इसके लाभ से वंचित कर डाइंग कैडर में रखने के निर्णय लेना है, जिसका राजमेस के अंतर्गत आने वाले 17 मेडिकल कॉलेजों में आक्रोश है। उन्होंने राज्य सेवा नियम सभी पर लागू करने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर डॉ. अमित यादव व मेडिकल कॉलेज प्रिंसीपल डॉ. तरुण लाल को ज्ञापन दिया और 22 जुलाई से सामूहिक अवकाश का निर्णय लिया है। राजमेस आरएमसीटीए वेलफेयर सोसायटी के चिकित्सक शिक्षकों ने सामूहिक हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन में लिखा है कि वर्ष 2017 में राजमेस ने कुछ नियम बनाए थे, जो भर्ती प्रक्रिया एवं वेतन संबंधित थे और शेष के लिए लिखा था कि आरएसआर नियम लागू होंगे। आरएसआर नियमों का झांसा देकर राजमेस ने फैकल्टी की नियुक्तियां कीं और कॉलेज चलने लगे। वर्ष 2022 में राजमेस ने पुन: नियम बनाए और इसमें आरएसआर शब्द ही हटा दिया। फिर उप मुख्यमंत्री ने बजट भाषण में जब राजमेस के मेडिकल कॉलेज में आरएसआर लागू करने की बात कही तो कुछ राहत हुई, परंतु जब इस घोषणा को राजमेस व वित्त विभाग के अधिकारियों ने अमलीजामा पहनाया तो यह जानकर पैरों तले जमीन खिसक गई कि पहले से राजमेस में कार्यरत फैकल्टी पर तो आरएसआर नियम लागू ही नहीं होंगे, बल्कि हमारा अब डाइंग कैडर भी बना दिया। राजमेस आरएमसीटीए वेलफेयर सोसायटी के भरतपुर शाखा के सचिव डॉ. हिमांशु गोयल ने बताया कि इससे सभी में आक्रोश है और आरएसआर सभी पर लागू करने की अपनी मांग को लेकर 22 जुलाई से प्रदेश के भरतपुर सहित सभी राजमेस के 17 मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक शिक्षक सामूहिक अवकाश पर जाएंगे। साथ ही मेडिकल कॉलेज पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। एक अगस्त के बाद नियुक्त होने वाले चिकित्सक शिक्षकों पर राजस्थान सर्विस रुल्स (आरएसआर) लागू होंगे। इससे फैकल्टी को राजकीय सेवा का दर्जा मिलेगा और पीएल एनकेशमेंट, अनुकंपा नियुक्ति, ग्रेड पे, सर्विस प्रोटेक्शन, पोस्टमार्टम अलाउंस, सर्किट हाउस की सुविधा, ओपीएस पेंशन का लाभ मिलेगा और वीआरएस का प्रावधान होगा। इनकी 1 लाख 30 हजार रुपए वेतन पर नियुक्तियां होंगी, जबकि पहले से कार्यरत चिकित्सक शिक्षकों को आरएसआर से वंचित ही रखा है।