उदयपुर शहर के रामसर सिटी घोषित होने के चार माह बाद ही लेकसिटी की झोली में ऐसा ही एक और तमगा आया। मेनार भी रामसर साइट घोषित हो गया। इसके लिए वर्ष 2023 में प्रस्ताव भेजा गया था। विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या बुधवार को यह खुशखबरी आई। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस बारे में जानकारी दी। इससे पहले मेनार को सिर्ट वैटलैंड का दर्जा मिला हुआ था। इस तमगे के बाद उदयपुर के पर्यटन में एक नया अध्याय जुड़ेगा। यहां के पर्यटन में अभी बर्ड साइटिंग को लेकर विशेष फोकस नहीं किया जाता है। अब बर्ड वॉचिंग भी टूरिज्म में जुड़ेगा। विदेशी-देशी पर्यटकों की टूर पैकेज में इन्हें शामिल किया जाएगा। मेनार को इंटरनेशनल पहचान मिलेगी। इससे यहां पर्यटन में बढ़ोतरी होगी, साथ ही झीलों के संरक्षण को लेकर काम होंगे। बता दें कि उदयपुर को इसी साल 24 जनवरी को रामसर सिटी घोषित किया गया था। बता दें कि उदयपुर में हर माह डेढ़ लाख पर्यटक घूमने पहुंचते हैं। मेनार तालाब में हर साल 200 से प्रजातियों के पक्षी आते हैं। ये पक्षी 5 से 6 माह तक यहां ठहरते हैं। ये साइबेरिया, रूस, मंगोलिया आदि देशों से आते हैं। ऐसे मिला… प्रशासन, राज्य-केंद्र सरकार ने भेजा प्रस्ताव रामसर साइट बनाने के लिए पक्षी स्थल, तालाब, झील पर हर साल 20 हजार पक्षियों का आना या दुनिया में मौजूद किसी भी प्रजाति के पक्षियों के 1 प्रतिशत पक्षी वहां मौजूद होने चाहिएं। इसके बाद ही रामसर साइट का दर्जा मिलता है। यह दर्जा पाने के लिए वन विभाग आैर जिला प्रशासन प्रस्ताव बनाकर राज्य सरकार को भेजती है। इसके बाद सरकार इस प्रस्ताव को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के पहुंचाती है। वहां से इसे यूएन के पास भेजा जाता है। यूएन प्रस्ताव की जांच करता है और सभी मापदंड सही पाए जाने के बाद रामसर साइट का दर्जा देता है। फायदे… तालाब संरक्षण भी यह होती है रामसर साइट रामसर स्थल वह आर्द्रभूमि या नम भूमि है, जिन्हें रामसर कन्वेंशन के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्व दिया जाता है। विश्व भर में आर्द्र भूमि और जलवायु परिवर्तन के महत्व को समझते हुए यूनेस्को ने 2 फरवरी 1971 में विश्व की आर्द्रभूमि के संरक्षण के लिए एक संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह सन् 1975 से लागू हुई थी। इसी के तहत यह दर्जा दिया जाता है।