जयपुर के प्रसिद्ध खोले के हनुमान मंदिर में हनुमान जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। मंदिर में हनुमान जी को 61 किलो चांदी की विशेष पोशाक पहनाई गई। इस अवसर पर राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने पूजा-अर्चना कर आरती उतारी। श्री नरवर आश्रम सेवा समिति के अनुसार जन्मोत्सव 9 से 12 अप्रैल तक मनाया जा रहा है। आज कार्यक्रम सुबह 4 बजे से शुरू हुआ। हनुमान जी का 108 द्रव्य औषधीयुक्त जल, पंचामृत और गंगाजल से महाअभिषेक किया गया। इसके बाद दूध से स्नान करवाकर नया चोला चढ़ाया गया। सुबह 11 बजे हनुमान जी को चांदी की पोशाक पहनाई गई। मंदिर में छप्पन भोग और फूल बंगले की झांकी सजाई गई। दर्शन के लिए दूर-दूर से भक्त पहुंचे। राज्यपाल ने राम दरबार के भी दर्शन किए और सभी की सुख-समृद्धि की कामना की। शनिवार शाम को श्याम ज्योति भजन संध्या परिवार भजनों की प्रस्तुति दी। मंदिर प्रशासन ने भक्तों के लिए शीतल पेय और वृद्धजनों के लिए वाहन की सुविधा की व्यवस्था की गई। मंदिर परिसर को रोशनी और फूलों से सजाया गया। दिल्ली रोड से मंदिर तक रंगीन रोशनी की सजावट की गई। चार दिवसीय हनुमान जन्मोत्सव के पहले दिन भजन, भक्ति संध्या के साथ ही पदमश्री गुलाबो सपेरा और कालबेलिया समूह की ओर से प्रस्तुतियां दी गई थी। दूसरे दिन 10 अप्रैल को भारतीय कला संस्थान के लोक कलाकारों ने भक्ति संध्या, बृज रासलीला और सामूहिक नृत्य की प्रस्तुतियां दी. तीसरे दिन शुक्रवार 11 अप्रैल को पदमश्री मुन्ना मास्टर और संपत दाधीच ने अपने भजनों से हनुमान भक्तों को भावविभोर किया। हनुमान जयंती के मौके पर जयपुर में चांदी की टकसाल स्थित काले हनुमान जी मंदिर को भव्य आर्टिफिशियल फूलों से सजाया गया। जिसमें लाल और केसरिया रंग के साथ व्हाइट कांबिनेशन दिया गया। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु सुबह से ही पहुंचना शुरू हुआ जो देर रात तक जारी रहा। यहां भजन मंडली ने राम और हनुमान जी के भजन गीत गाए। काले हनुमान जी मंदिर पहुंची श्रद्धालु अनीता अग्रवाल ने कहा- मेरी हनुमान जी में बहुत श्रद्धा है। आज उनका जन्मोत्सव है जो मेरी लिए बहुत ही खुशी की बात है। आप जयपुर में चारों तरफ देख सकते है कि श्रद्धालु बड़े हर्षोल्लास से हनुमान जी का जन्मोत्सव मना रहे है। हम लोगों की मेंटेलिटी होती है कि सभी को प्यार चाहिए होता है, तो हनुमान जी को भी जब प्यार चाहिए था तो उन्होंने धरती पर बच्चे का रूप लिया और उन्हें अंजनी माता के रूप माता स्वीकार हुई। उन्होंने बड़े ही प्यार से हनुमान जी का लालन पालन किया। इसी चीज को हम नमस्कार करता है। इसलिए हमारी भारतीय संस्कृति में मां का दर्जा बड़ा माना जाता है।