दक्षिण की ओर से शहर के प्रवेश द्वार बलीचा तिराहे पर अब ग्रेड सेपरेट नहीं बनेगा। उदयपुर विकास प्राधिकरण (यूडीए) यहां नया तिराहा बनाने की योजना बना रहा है। इसे एलिप्टिकल आकार यानी अंडाकार में बनाया जाएगा। गार्डन, फाउंटेन, लाइटिंग का काम कर इसे आकर्षक रूप दिया जाएगा। इसके चारों ओर 3 लेन के बराबर 11.50 मीटर की रोड बनाई जाएगी। नए तिराहे का निर्माण वर्तमान तिराहे के पास स्थित यूडीए की जमीन पर होगा। ये करीब 37 हजार वर्गफीट का होगा। यूडीए की ओर से गत 20 जून को हुई बोर्ड बैठक में बलीचा में नए तिराहे को लेकर निर्णय लिया गया। बलीचा में पहले देबारी चौराहे की तरह ग्रेड सेपरेटर बनाने की योजना थी। लेकिन चित्तौड़गढ़ और नाथद्वारा की तरफ से आने वाला ट्रैफिक काया बाइपास पर डायवर्ट होने के बाद इस योजना को निरस्त कर दिया गया। यूडीए ने इसके लिए 10 करोड़ रुपए का बजट भी प्रस्तावित रखा था। अब इस राशि को चौराहे के नवीनीकरण में खर्च किया जाएगा। बता दें कि हाल ही यूडीए की ओर से देबारी से प्रतापनगर चौराहा तक फ्लाईओवर बनाने का भी प्रस्ताव लिया गया था। इसके लिए जल्द ही कार्ययोजना तैयार की जा सकती है। वर्तमान तिराहे की डिजाइन सही नहीं, सड़क के बीच में फंसता है ट्रैफिक
अभी बलीचा में तिराहा सही ढंग से नहीं बना हुआ है। सड़क के बीच कुछ जगह छोड़कर मार्ग निकाले हुए हैं। इससे शहर से निकलने वाले वाहनों को अहमदाबाद और गीतांजली की तरफ से आने वाले वाहनों के बीच से होकर निकलना पड़ता है।
ऐसे में यहां आए दिन हादसे होते रहते हैं। तिराहा बनने के बाद सभी वाहन एक लेन में होकर निकलेंगे। ऐसे में हादसों पर भी अंकुश लगेगा। ट्रैफिक जाम से भी राहत मिलेगी। यूडीए डीपीआर के लिए प्रपोजल तैयार करवा रहा है। इस पर 10 करोड़ रुपए तक की राशि खर्च की जा सकती है। हालांकि, प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार होने के बाद लागत तय हो पाएगी। जरूरत इसलिए…रोज 20 हजार वाहनों का दबाव, आए दिन हादसे अभी दो तरफा ट्रैफिक से गुजरना मजबूरी उदयपुर शहर से अहमदाबाद, आईआईएम जाने के लिए हाईवे पार करना पड़ता है। ऐसे में अहमदाबाद-प्रतापनगर की तरफ से आने वाले वाहनों के बीच गुजरना पड़ता है। हादसे की आशंका रहती है।
अहमदाबाद से आने वाले वाहन सर्विस रोड से होते हुए अंदर आते हैं। लेकिन, इस रोड पर बड़ी संख्या में वाहन रॉन्ग साइड से आते हैं। ऐसे में हमेशा हादसे का डर लगा रहता है।
उदयपुर शहर के अंदर से दक्षिण विस्तार योजना में जाने के लिए अलग से सर्विस रोड से टर्न दिया गया है। लेकिन आगे जाकर वापस हाईवे के दोनों लेन को पार करके ही जाना पड़ता है।
दक्षिण विस्तार से आने वाले वाहन या तो इसी सर्विस रोड पर हाईवे पार कर आते हैं या आगे आने पर बलीचा तिराहा से शहर में जाने वाली रोड पकड़ते हैं। तब भी उन्हें हाईवे पार करना पड़ता है। 1 घंटे में 5 हजार वाहन तो ग्रेड सेपरेटर जरूरी, बलीचा में अभी इससे कम यूडीए की ओर से हाल में बलीचा हाईवे पर सर्वे कराया गया था। इसमें सामने आया कि यहां 24 घंटे में सबसे ज्यादा ट्रैफिक दबाव शाम 6 से 7 बजे के बीच रहता है। इस पीक ऑवर में यहां से 2970 वाहन गुजरते हैं। भारतीय सड़क कांग्रेस (आईआरसी) के नियमानुसार एक घंटे में 5 हजार वाहन निकलने की स्थिति में चौराहा निर्माण करवा कर ट्रैफिक नियंत्रण किया जाता है। इसी तरह 5 से साढ़े 7 हजार वाहनों पर ट्रैफिक लाइट और संख्या 10 हजार से ज्यादा पहुंचने पर फ्लाईओवर या ग्रेड सेपरेटर बनाया जाता है। चूंकि, यहां ट्रैफिक दबाव 5 हजार से कम है, इसलिए तिराहा बनाया जा रहा है। इस हाईवे पर ट्रैफिक में हर साल 5% बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे में 8 से 10 साल तक यहां फ्लाईओवर की जरूरत नहीं रहेगी।
यूडीए बना रहा कार्य योजना:बलीचा में ग्रेड सेपरेटर नहीं, नया तिराहा बनेगा, तीन लेन रोड के साथ गार्डन और फाउंटेन भी
