Site icon Raj Daily News

रणथम्भौर के बाघों के लिए खतरा बनी बीमारी,जान ले रही:बाघ-बाघिनों में एक जैसी बीमारी, एक्सपर्ट का दावा: एक वंश की वजह से जा रही जान

रणथम्भौर की सुप्रसिद्ध बाघिन ऐरोहेड की बोन ट्यूमर से मौत हो गई थी। अब बाघ टी-120 के बोन ट्यूमर मिला है। रणथंभौर के टाइगर टी-24 की 28 दिसम्बर 2022 को मौत हो गई। टी-24 उस्ताद की 17 साल की उम्र में उदयपुर के सज्जनगढ़ स्थित बायोलॉजिकल पार्क में मौत हुई थी। रणथम्भौर का यह मशहूर बाघ टी-24 बोन कैंसर से पीड़ित था। टाइगर की मौत के बाद सज्जनगढ़ में उसका पोस्टमॉर्टम किया गया। इन सभी का पोस्टमॉर्टम किया गया और एक्सपर्ट से बात की तो पता चला कि इनमें मौतों का कारण पूल जीन है। यानी ये सभी एक ही वंश के है। रणथम्भौर में 80 फीसदी बाघ-बाघिन मछली के है। इसी पूल जीन के कारण यहां के बाघों में एक जैसी बीमारी फैलती जा रही है। बोन ट्यूमर से बाघिन टी- 84 ऐरोहेड की मौत बाघिन‌ T-84 ऐरोहेड की बोन ट्यूमर से 19 जून को मृत्यु हो गई। ऐरोहेड, बाघिन कृष्णा की बेटी और प्रसिद्ध बाघिन मछली की निवासी थी। बाघिन ने साल 2023 में तीन शावकों को जन्म दिया था। हाल ही में इसके तीन शावकों ने तीन लोगों की जान ले ली थी। इसके बाद उसके शावकों को रणथम्भौर से बाहर भेज दिया गया था। यह संयोग की बात रही कि जब उसकी बेटी को यहां से विदा किया तो उसने दम तोड़ दिया। टी-57 की मौत कैंसर बीमारी से हुई थी
रणथंभौर के बाघ टी-57 की मौत कैंसर बीमारी से हुई थी। बाघ के लिवर व स्प्लीन में कैंसर था। बाघ की कैंसर से मौत होने की पुष्टि पैथोलॉजी विभाग राजस्थान पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय की लैब रिपोर्ट से हुई है। रणथंभौर का नर बाघ टी-57 पहले पेट की बीमारी से ग्रसित था। बाघ के लिवर में 2 किलो और स्प्लीन में 800 ग्राम वजन की गांठ मिली थी। पोस्टमॉर्टम के बाद नमूने लेकर जांच के लिए भेजे गए थे। वेटरनरी विश्वविद्यालय बीकानेर और फोरेंसिक लैब से आई जांच में भी बाघ की मौत कैंसर बीमारी से होने की पुष्टि हुई थी। टाइगर टी-120 के नजर आई गांठ हाल ही में बाघ टी-120 गणेश का एक फोटो सामने आया है। बाघ के दांये पैर के ऊपर गर्दन की तरफ एक गांठ देखी गई है। बाघ का एक कैनाइन भी टूटा है। इसके बाद से ही मॉनिटरिंग की जा रही है। विभाग का कहना है कि यह निशान सूजन भी हो सकती है। हालांकि अभी तक बाघ का उपचार करने का फैसला नहीं किया गया है। बाघ गणेश पिछले एक माह से बीमारी से जूझ रहा है। वेटरनरी डॉक्टरों के अनुसार बाघ बीमार तो है, लेकिन लगातार मूवमेंट कर रहा है। ऐसे में विभाग ने गणेश के फोटो देहरादून स्थित WII वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के विशेषज्ञों को भेजे हैं। फिलहाल वन विभाग ने बाघ गणेश के बोन ट्यूमर होने की पुष्टि नहीं की है, लेकिन एहतियात के तौर पर बाघ की मॉनिटरिंग बढ़ा दी है। गणेश बाघिन टी-63 चंदा का बेटा और एरोहेड का भांजा है। इसकी उम्र सात साल है। एक्सपर्ट बोले- रणथंभौर के बाघ-बाघिन एक ही जीन पूल से रणथम्भौर टाइगर रिजर्व के करीब 80 फीसदी बाघ-बाघिन बाघिन‌ मछली टी-16 के वंश से हैं। वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि यहां एक ही जीन पूल के कारण इनब्रीडिंग की समस्या बढ़ रही है, जो बोन ट्यूमर जैसी बीमारियों का कारण बन सकती है। जिस पर वन विभाग को गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है। एक्सपर्ट के अनुसार पूरे राजस्थान में सभी टाइगर रिजर्व में 98.80 प्रतिशत मछली का जीन पूल है। उदाहरण के लिए टी-120 गणेश सामने है। गणेश टी-63 मां है और बाप टी-3 है। टी-3 मछली का बेटा और टी 63 मछली का निवासी है और कृष्णा की बेटी है। इसको रोकने एक ही उपाय पन्ना टाइगर रिजर्व में अपनाया गया था। एनटीसीए ने मध्यप्रदेश और राजस्थान को बाघों के आदान-प्रदान की अनुमति मिल चुकी है, लेकिन वन विभाग की उदासीनता के चलते ये इन ब्रीडिंग का शिकार बन रहे हैं। यह खबर भी पढ़ें मगरमच्छ का शिकार करने वाली बाघिन की मौत:’एरोहेड’ को ब्रेन ट्यूमर था; बेटी ‘कनकटी’ को मुकंदरा शिफ्ट किया, 2 लोगों को मार चुकी सवाई माधोपुर के रणथंभौर नेशनल पार्क में बाघिन एरोहेड की मौत हो गई। उसे ब्रेन ट्यूमर था। पिछले दिनों एरोहेड(टी-84) ने तालाब में मगरमच्छ का शिकार किया था, जिसका वीडियो भी वायरल हुआ था। पढ़ें पूरी खबर … यह खबर भी पढ़ें मां की मौत के बाद निहारती रही बाघिन बेटी:ऐरोहेड की मौत का पता रिद्धि के संकेतों से चला, पोस्टमॉर्टम में अंदरूनी अंग डैमेज मिले रणथम्भौर की प्रसिद्ध बाघिन टी-84 ऐरोहेड की मौत का पता उसकी बेटी रिद्धि के संकेतों से चला। बेटी रिद्धि अपनी मां ऐरोहेड को उसकी मौत के बाद काफी देर तक निहारती रही। जब रिद्धि एकटक लगातार ऐरोहेड को देखती रही तो वन विभाग ने इसको जांचा, जिसके बाद ही ऐरोहेड की मौत का पता चला। पढ़े पूरी खबर …

Exit mobile version