रणथम्भौर टाईगर रिजर्व से तीन बाघों की शिफ्टिंग के बाद भी त्रिनेत्र गणेश आने वाले श्रद्धालुओं की जान की सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है । बाघों की शिफ्टिंग के बाद भी रणथंभौर दुर्ग और त्रिनेत्र गणेश मन्दिर मार्ग पर बाघों का लगातार मूवमेंट देखने को मिल रहा है। त्रिनेत्र गणेश दर्शनों को आने जाने वाले श्रद्धालुओं के साथ अनहोनी की आशंका बनी हुई है। यहां से तीन बाघों की शिफ्टिंग के बाद भी रणथम्भौर दुर्ग सहित त्रिनेत्र गणेश मंदिर मार्ग पर 8 से 10 बाघ-बाघिन का मूवमेंट है। ऐसे में त्रिनेत्र गणेश जाने वाले श्रद्धालु हमेशा डर ओर दहशत के साए में गणेश दर्शनों को जाने को मजबूर रहते है । 8-10 टाइगरों का मूवमेंट रहता है इस इलाके में मोहम्मद रफीक, पूर्व अध्यक्ष नेचर गाईड एसोसिएशन रणथम्भौर व वन्यजीव विशेषज्ञ के अनुसार रणथंभौर दुर्ग व त्रिनेत्र गणेश मंदिर मार्ग पर बाघिन रिद्धि टी 124 व उसके तीन शावक, बाघिन सुल्ताना टी 107 व उसके तीन युवा शावक सहित टाईगर 120 गणेश के अलावा भी एक दो अन्य बाघों का मूवमेंट रहता है। साथ ही बाघिन सुल्ताना ने हालही में एक बार फिर तीन नए शावकों को मिश्र दर्रा के पास जन्म दिया है। फिलहाल बाघिन का मूवमेंट इसी इलाके में बना हुआ है। जिससे त्रिनेत्र गणेश श्रधाकुओ की जान पर हमेशा खतरा बना रहता है। रफीक का कहना है कि रणथंभौर दुर्ग की दीवार जगह जगह से टूट चुकी है। जिसके चलते आजकल बाघ बाघिन और शावक आसानी से रणथंभौर दुर्ग में पहुंच जाते है। वहीं श्रद्धालुओं की ओर से दुर्ग परिसर में कई तरह की खाद्य सामग्री फेंक दी जाती है। जिसके कारण कई वन्यजीव दुर्ग में प्रवेश कर जाते है और उनके पीछे पीछे कई टाइगर भी दुर्ग में पहुंच जाते है। यहां टाइगरों को शिकार करने में आसानी होती है और रहने को खंडहरों में जगह भी मिली हुई है। ऐसे में दुर्ग परिसर में बाघों ने डेरा जमा लिया है। दुर्ग की क्षतिग्रस्त दीवार सही हो और स्थाई वन चौकी बने यादवेंद्र सिंह, अध्यक्ष नेचर गाईड एसोसिएशन रणथम्भौर का कहना है कि रणथंभौर दुर्ग पुरातत्व विभाग के अधीन आता है।‌ऐसे में पुरातत्व विभाग को रणथंभौर दुर्ग की क्षतिग्रस्त और टूटी हुई दीवारों को जल्द से जल्द सही करवाना चाहिए। साथ ही वन विभाग को रणथम्भौर दुर्ग में एक स्थाई वन चौकी बनानी चाहिए जिससे त्रिनेत्र गणेश दर्शनों को जाने वाले श्रद्धालुओं के साथ ही बाघों की मॉनिटरिंग में आसानी हो सके ,उनका कहना है कि जब तक जब तक टूटी दीवारों को ठीक नही कराया जाता तब तक तार बंदी या जाल लगाकर कुछ हद तक बाघों के रणथंभौर दुर्ग में प्रवेश पर अंकुश लगाया जा सकता है, अन्यथा यहां फिर कोई अनहोनी घटित हो सकती है ।

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