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रसोई गैस कनेक्शनों पर पेट्रोलियम कंपनियों ने ई-केवाईसी को लेकर सख्ती कर दी है। इस सख्ती से यदि कोई उपभोक्ता ई-केवाईसी नहीं कराता है तो उस पर सख्ती तय है। हालांकि इसके लिए फिलहाल अंतिम तिथि तय नहीं की गई है, लेकिन कंपनियां इसी माह के अंत तक ऐसा नहीं कराने वाले उपभोक्ताओं के घर री-फिल कराने की व्यवस्था रोक सकती है। राज्य की 1400 गैस एजेंसियों से जुड़े ऐसे उपभोक्ता जो या तो नियमित नहीं हैं, जिनके नाम एक से अधिक कनेक्शन हैं अथवा बोगस कनेक्शन, ऐसे कनेक्शनों पर लगाम लगाने के लिए ई-केवाईसी कराई जा रही है। यानी घरेलू सिलेंडरों के दुरुपयोग को रोकने के लिए यह सख्ती की जा रही है। कंपनियों का मानना है कि इससे वास्तविक उपभोक्ताओं को सुगमता से सिलेंडर उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जा सकेगा। कंपनियों की ओर से संदिग्ध कनेक्शनों या बेनामी कनेक्शनों को बंद करने की कार्रवाई शुरू भी कर दी गई है। केवाईसी नहीं तो यह कार्रवाई भी संभव ई-केवाईसी नहीं तो बंद हो सकता है कनेक्शन कंपनियों की ओर से सभी गैस एजेंसियों को कहा गया है कि वे प्रत्येक उपभोक्ता की ई-केवाईसी करें। इसे लेकर चल रहे अभियान में यदि कोई उपभोक्ता ऐसा नहीं करता है तो माना जाएगा कि ऐसा कनेक्शन बोगस है। उसे बंद किया जा सकेगा। इससे गैस की कालाबाजारी, घरेलू गैस के व्यवसायिक उपभोग और सब्सिडी के अपात्र लाभ हो रहे दुरुपयोग पर रोक लग सकेगी। अभी यह दिक्कतें हॉकर काे उपभोक्ता का घर पर नहीं मिलना प्रक्रिया पूर्ण नहीं होने देता। कंपनी के अधिकृत मैसेज नहीं जाने से वह आनाकानी भी करता है। वह इसे डॉक्यूमेंट्स का दुरुपयोग भी मानता है। एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स फैडरेशन ऑफ राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष दीपक सिंह गहलोत का कहना है कि वास्तविक उपभोक्ता अपनी एजेंसी पर जाकर ई-केवाईसी कराएं, ताकि भविष्य में उन्हें नियमित रूप से री-फिल मिलती रहे। नाम ट्रांसफर का भी अच्छा अवसर असल में कई उपभोक्ता ऐसे हैं, जिनके परिवार के बुजुर्गों के नाम गैस कनेक्शन हैं। ऐसे में ई-केवाईसी के समय उनके नाम ट्रांसफर भी न्यूनतम डॉक्यूमेंट्स से कराए जा सकेंगे। बहुत से उपभोक्ताओं की ई-केवाईसी इसी वजह से भी नहीं हो पा रही, क्योंकि जिनके नाम कनेक्शन हैं, वे मौजूदा समय में या तो हैं ही नहीं अथवा अन्य किसी वजह से वे उपलब्ध नहीं हैं।

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