अलवर के सरिस्का में टाइग्रेस एसटी 2 राजमाता की प्रतिमा का अनावरण शनिवार को वन राज्य मंत्री संजय शर्मा ने किया। यह टाइग्रेस 19 साल 8 महीने जिंदा रही। जिसके जरिए सरिस्का में 34 शावकों का कुनबा आया। अब सरिस्का में 48 टाइगर, टाइग्रेस व शावक हैं। इस मौके पर मुख्य अतिथि संजय शर्मा ने कहा- टाइग्रेस एसटी 2 की बदौलत सरिस्का वापस आबाद हो गया। टाइग्रेस के कुनबे में 34 टाइगर आए हैं, यह बड़ी उपलब्धि है। यही रफ्तार रही तो बहुत जल्दी सरिस्का से दूसरी जगह टाइगर विस्थापित होंगे। सरिस्का का जंगल टाइगर की नर्सरी बनने वाला है। यहां के टाइगर अन्य जगहों के जंगलों में भेजे जाएंगे। वन मंत्री ने कहा कि राजस्थान के सरिस्का टाइगर रिजर्व में ऐतिहासिक क्षण दर्ज हुआ, जब राज्य मंत्री संजय शर्मा ने ‘राजमाता ST-02’ बाघिन की प्रतिमा का अनावरण किया। यह वही बाघिन है, जिसने सरिस्का को विलुप्ति की कगार से पुनः जीवन दिया। 2004 में जब सरिस्का से टाइगर लुप्त हो गए थे, तब वर्ष 2008 में महज 4 वर्ष की उम्र में लायी गई ST-02 ने यहां एक बार फिर बाघों की दहाड़ सुनवाई। ‘सरिस्का टाइगर डे’ हर साल मनाएंगे
यह प्रतिमा न केवल एक बाघिन को समर्पित श्रद्धांजलि है, बल्कि वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक प्रेरणादायक प्रतीक भी है। ST-02 ने करीब 19 साल 8 महीने तक का असाधारण जीवन जिया और सरिस्का में बाघों का एक पूरा कुनबा तैयार किया, जिसकी संख्या आज 34 से अधिक बताई जा रही है। यही वजह है कि अब से हर साल ‘सरिस्का टाइगर डे’ राजमाता की स्मृति में मनाया जाएगा। अनावरण समारोह में राज्य मंत्री संजय शर्मा ने कहा कि राजमाता ने न केवल सरिस्का को जीवन दिया, बल्कि हमें यह सिखाया कि जब तक इंसान प्रकृति से सीधा संबंध नहीं रखेगा, तब तक संतुलन नहीं बनेगा। हमने प्रकृति से बहुत कुछ लिया है, अब लौटाने की जिम्मेदारी हमारी है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री के ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान की तर्ज पर यदि हर नागरिक पेड़ लगाए, तो देश में हरियाली बढ़ेगी और पर्यावरण संतुलित रहेगा। इसी भावना से सरिस्का में पर्यावरण व जैव विविधता को सहेजने के कई कदम उठाए जा रहे हैं। 2 सालों में 20 से अधिक बाघ शावकों का जन्म
मंत्री ने बताया कि पिछले दो सालों में 20 से अधिक बाघ शावकों का जन्म हुआ है। यदि यही गति रही, तो आने वाले वर्षों में सरिस्का न केवल आत्मनिर्भर बनेगा बल्कि अन्य टाइगर रिज़र्व में भी बाघ भेजेगा। बाघों के गायब होने या घटनाओं की रोकथाम हेतु अब ड्रोन से निगरानी की जाएगी। साथ ही CTH (Critical Tiger Habitat) के अंतर्गत वन क्षेत्र को भी बढ़ाया जा रहा है ताकि बढ़ती बाघों की संख्या के अनुसार पर्याप्त प्राकृतिक वातावरण उपलब्ध हो सके। यह पहल न केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश के लिए गौरव का विषय है। राजमाता ST-02 अब केवल एक नाम नहीं, बल्कि प्रकृति, परिश्रम और पुनरुत्थान की जीवंत कथा है।