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राजस्थानी जीरा ड्रिंक, दे रही विदेशी कंपनियों को टक्कर:डायबिटीज पेशेंट के लिए शुगर फ्री शरबत, मलेशिया तक हो रहा एक्सपोर्ट

गर्मी के सीजन में गला तर कर ने लिए सबसे पहले याद आती है कॉल्डड्रिंक। बाजार में कोल्डड्रिंक के कई ब्रांड मौजूद हैं। लेकिन इन ब्रांड को टक्कर दे रहा है राजस्थान का राज जीरा ड्रिंक। अगर आप श्रीगंगानगर में हैं और जायकों की बात हो रही है तो वो राज जीरा ड्रिंक के बिना अधूरी है। पाकिस्तान से भारत आकर बसे एक परिवार ने 67 साल पहले गोली वाले लेमन सोडा से इसकी शुरुआत की थी। आज राज जीरा एक ब्रांड है और इसके अलग अलग फ्लेवर के शरबत और सोडा वाटर लोगों का जायका बढ़ा रहे हैं। डायबिटीज पेशेंट के लिए शुगर फ्री शरबत भी मौजूद है। जायका की इस कड़ी में आपको भी करवाते हैं इस स्वाद से रूबरू… पाकिस्तान से भारत मे बसे, शुरू किया लेमन सोडा साल 1958 में देशराज नागपाल ने इस ब्रांड की शुरुआत की थी। विभाजन के समय देशराज पाकिस्तान से भारत में बस गए। वे मुल्तान के करीब बसे एक शहर फाजलगढ़ से श्रीगंगानगर आए थे। खुद का काम शुरू करने की उनकी ख्वाहिश थी। श्रीगंगानगर की तेज गर्मी को देखते हुए उन्होंने ठंडे पेय के बिजनेस में हाथ आजमाया। श्रीगंगानगर के प्रसिद्ध गोल बाजार के पास ही 10 बाय 60 की दुकान में लेमन सोडा की शुरुआत की। उस समय कांच की गोली वाली बोतल में सोडा पैक करके दिया जाता था। इसके लिए उन्होंने मशीन भी लगाई थी, जिसमें हाथ से काम होता था। सोंठ, काली मिर्च, सेंधा नमक मिक्स करके सोडा को फ्लेवर दिया जाता था। देशराज के पोते अनमोल नागपाल बताते हैं- महज 2 साल में 1960 आते-आते दुकान अच्छी चलने लगी थी। रोज करीब 15 से 20 कैरेट कांच की बोतल की बिक्री होती थी। तैयार किए अलग-अलग फ्लेवर अनमोल ने बताया कि इसके बाद दादा ने इसके कई फ्लेवर पर काम शुरू किया। लोगों को लेमन सोडा काफी पंसद आता था। ऐसे में उनके टेस्ट को बढ़ाने के लिए इसमें फ्लेवर बढ़ाए। लेमन के साथ जीरा का प्रयोग कर लेमन जीरा सोडा बनाया। इसी तरह मैंगो, ऑरेज फ्लेवर में भी सोडा तैयार कर बिक्री शुरू कर दी। इनका भी लोगों से अच्छा रिस्पॉन्स मिला। इसके बाद उन्होंने खसखस का शरबत भी तैयार किया। स्वाद की बदौलत ऐसा नाम हुआ कि साल 1970 में पहली दुकान के पास ही दूसरी दुकान खरीद ली। दोनों को मिलाकर बड़ी जगह तैयार की। रेलवे स्टेशन के नजदीक होने के कारण यात्रियों की भीड़ लगने लगी। लेमन और जीरा सबसे ज्यादा पसंद किया जाने लगा। 35 फ्लेवर में सोडा और शरबत बढ़ाते हैं स्वाद राज जीरा के नाम से मशहूर ब्रांड अब 35 फ्लेवर में सोडा शरबत और अलग-अलग आइटम लोगों को परोस रहे हैं। अनमोल ने बताया कि शरबत में 18 फ्लेवर वर्तमान में बनाकर लोगों तक पहुंचाए जा रहे हैं। इनमें ठंडाई, ब्राह्मी-बादाम, केसर, इलायची, पिस्ता, बटर स्कॉच, केसर बादाम, केसर इलायची फेमस फ्लेवर हैं। सोडा-जीरा का आनंद आप 10 रुपए में भी ले सकते हैं। क्रश : क्रश या फ्रूट पल्प में अभी सात फ्लेवर तैयार किए जा रहे हैं। इसमें स्ट्राबेरी, पाइनएपल, ब्लैक करंट, मैंगो लोगों को काफी पसंद आते है। इन्हें दूध में मिक्स कर स्वाद बढ़ाया जाता है। क्रश 150 रूपए का पांच सौ एमएल बिक्री करते है। मॉकटेल : राज जीरा के काउंटर पर मॉकटेल भी आने वाले गेस्ट को परोसी जाती है। मॉकटेल में भी पांच फ्लेवर मिंट मोजितो, ब्लू क्रश, ग्रीन मिंट, वॉटरमेलन, ग्रीन ऐपल फ्लेवर जायके को और बढ़ा देते हैं। मॉकटेल को पुदीना, नींबू, सोड़ा, शुगर सिरप और जूस मिक्स कर तैयार करते हैं। फ्लेवर के हिसाब से जूस मिक्स कर मॉकटेल तैयार की जाती है। मैसूर से मंगवाते हैं चंदन का लिक्विड अनमोल ने बताया कि शरबत बनाने के लिए मैसूर से खास ढाई लाख रुपए लीटर में चंदन का लिक्विड मंगवाते हैं। इसका उपयोग चंदन और गुलाब के शर्बत में सुंगध, स्वाद बढ़ाने के लिए में होता है। चंदन गर्मी से तो राहत देता ही है, साथ ही स्किन और पाचन के लिए भी फायदेमंद होता है। शर्बत अलग-अलग प्रोसेस से तैयार करते हैं। जिस फ्लेवर में शर्बत बनता है, उसके अनुसार उसमें फूलों के अर्क का उपयोग, बादाम, ड्राईफ्रूट डालते हैं। वहीं, सोडा के लिए मसाले कोच्चि से मंगवाते हैं। जीरा राजस्थान व गुजरात के अलग-अलग शहरों से मंगवाते हैं। डायबिटीज पेशेंट के लिए शुगर फ्री शर्बत डायबिटिक पेशेंट शरबत से परहेज करते हैं। उनके लिए भी यहां पर शुगर फ्री सिरप तैयार किया गया है। इसमें भी तीन फ्लेवर जीरा, गुलाब और बटर स्कॉच बनाए गए हैं। अनमोल ने बताया कि सिरप का उपयोग, दूध या किसी भी पेय में मिलाकर कर सकते है, ये सिरप डायबिटीज से पीडित लोगों को पसंद आता है। इसकी भी अच्छी बिक्री काउंटर होती है। सिरप को तैयार करने के लिए इसमें किसी भी तरह के मीठे का उपयोग करने के जगह सीधा फूलों के अर्क का उपयोग किया जाता है। आगे बढ़ने से पहले देते चलिए आसान से सवाल का जवाब मलेशिया तक सप्लाई संचालक राजेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि पहले बाहर से लोग श्रीगंगानगर आते थे तो वे काउंटर पर जीरा और लेमन सोडा पीते थे, स्वाद पसंद आने के बाद उन्होंने अपने क्षेत्रों में भी इसकी सप्लाई की डिमांड की। साल 1980 में सबसे पहले पंजाब में एक डिस्ट्रीब्यूटर बना था जो यहां से सोडा बोतल ले जाकर वहां बेचता था। धीरे धीरे डिमांड बढ़ने के बाद अलग-अलग इलाकों से डिस्ट्रीब्यूशन के लिए लोग आने लगे। वर्तमान में राजस्थान में 35 से ज्यादा डिस्ट्रीब्यूटर हैं। जीरा सोडा और शरबत मलेशिया भी एक्सपोर्ट किया जा रहा है। दो लाख जीरा बोतल रोज तैयार हो रही राज जीरा के संचालक अनमोल नागपाल ने बताया कि साल 2015 में उन्होंने इंडस्ट्रीयल एरिया में बॉटलिंग प्लांट स्थापित किया था। यहां तीन ऑटोमैटिक मशीनों के जरिए जीरा सोडा की बॉटलिंग यानी पैकिंग की जाती है। हर रोज जीरा सोडा की दो लाख छोटी बोतल प्रोडक्शन हो रही हैं। वहीं शरबत की दस से बारह हजार बोतल तैयार की जाती हैं। शरबत की बोतल डिस्ट्रीब्यूटर्स के ऑर्डर पर है। सबसे ज्यादा खपत जीरा सोडा की है। ये स्वदेशी और राजस्थानी ड्रिंक विदेशी कॉल्ड ड्रिंक्स को टक्कर दे रही है। पिछले राजस्थानी जायका में पूछे गए प्रश्न का सही उत्तर ये हैं चटपटे स्वाद वाले मिर्ची के टिपोरे हैं। बड़ी-बड़ी दावतों में मिर्ची के टिपोरे बड़े चाव के साथ खाए जाते हैं। घर में सब्जी भले न बनी हो, खाने में मिर्ची के टिपोरे मिल जाएं, तो कहना ही क्या।…(CLICK कर पूरा पढ़ें)

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