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जयपुर के दुर्गापुरा रेलवे स्टेशन से शुक्रवार शाम 4 बजे देवस्थान विभाग की वरिष्ठ नागरिक तीर्थयात्रा योजना के तहत पहली AC ट्रेन रामेश्वरम के लिए रवाना हुई। ‘राजस्थान वाहिनी भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ से 779 तीर्थयात्री रवाना हुए। इनमें जयपुर के 600 और सवाईमाधोपुर के 179 लोग शामिल हुए। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने ट्रेन को हरी झंडी दिखाई और कोच तक जाकर यात्रियों को शुभकामनाएं दीं। ट्रेन रवाना होने से पहले स्टेशन पर सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। यात्रियों को तुलसी माला और पटवस्त्र पहनाकर यात्रा की शुरुआत करवाई गई। अयोध्या के रामलला की झांकी और प्रतीकात्मक कांवड़ मॉडल भी सजाया गया। रामनाथस्वामी मंदिर से लेकर मीनाक्षी मंदिर तक की यात्रा यात्रा के दौरान तीर्थयात्री रामेश्वरम के रामनाथ स्वामी ज्योतिर्लिंग, धनुषकोड़ी, ब्रह्मकुंड और मदुरै के प्रसिद्ध मीनाक्षी मंदिर के दर्शन करेंगे। ट्रेन सवाईमाधोपुर के रास्ते जाएगी। देवस्थान विभाग ने यात्रियों के रहने, खाने, घूमने और दवा जैसी सभी सुविधाओं का इंतजाम किया है। हर कोच में दो कर्मचारी अनुदेशक, एक डॉक्टर और दो नर्सिंग स्टाफ मौजूद रहेंगे। यह अब तक की सबसे लंबी दूरी की तीर्थयात्रा है, जो आठ दिन चलेगी। पहली बार लोकेशन शेयरिंग के लिए मोबाइल ऐप आधारित सिस्टम भी एक्टिव किया गया है। ‘सरकार बेटा-बेटी की तरह साथ है’ – मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा- हमारी सरकार पहली बार वातानुकूलित ट्रेन से तीर्थयात्रा करवा रही है, ताकि वरिष्ठजनों को बेहतर सुविधा मिल सके। हम इन्हें परिवार का हिस्सा मानकर सेवा कर रहे हैं। यात्रा में सरकार के प्रतिनिधि बेटा-बेटी की तरह साथ रहेंगे और हर ज़रूरत का ध्यान रखेंगे। उन्होंने ट्रेन में ऑडियो सिस्टम लगाने की बात भी कही, ताकि रास्ते में भजन सुनते हुए यात्री तनावमुक्त रह सकें। मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि जब ये यात्री दर्शन करके लौटेंगे तो अपने अनुभवों से समाज में सनातन संस्कृति को मजबूती देंगे। 50 हजार सीनियर सिटीज़न को तीर्थयात्रा पर भेजेगी सरकार देवस्थान मंत्री जोराराम कुमावत ने बताया- बजट घोषणा के तहत इस योजना में राज्य सरकार कुल 50 हजार वरिष्ठ नागरिकों को देशभर के धार्मिक स्थलों की यात्रा करवाएगी। रामेश्वरम इस योजना की पहली यात्रा है। आगे अयोध्या, द्वारका, उज्जैन, तिरुपति जैसे स्थानों के लिए भी ट्रेनें चलाई जाएंगी। थीम बेस्ड कोच: राजस्थान की कला, संस्कृति और गौरव को दिखाते हैं 14 कोच वाली इस ट्रेन में 10 पैसेंजर कोच हैं, जिन्हें राजस्थान के दुर्ग, मंदिर, नृत्य, वाद्य, उत्सव, और पुरासंपदा की थीम पर सजाया गया है। कोचों के रंग-रूप में मरुधरा का सूर्योदय-सूर्यास्त, राजसी धरोहर और पशु-पक्षियों की झलक दिखती है। एक कोच भारतीय सेना में राजस्थान के योगदान को समर्पित है, जिसमें जैसलमेर वॉर म्यूजियम, तनोट बॉर्डर और महाजन फायरिंग रेंज की झलक दी गई है। पैंट्री कार में केर-सांगरी, बाजरे की रोटी, राबड़ी, लस्सी, कुल्फी जैसे पारंपरिक व्यंजनों को जगह दी गई है। डिजाइन में ऊंट, गाय, बाघ और कृष्णमृग जैसे प्रतीक शामिल किए गए हैं। ट्रेन को बाहर से देखने पर यह ‘पैलेस ऑन व्हील्स’ जैसी शाही ट्रेन का अनुभव देती है।

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