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राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में नर्सिंग स्टाफ को सिखाया संवाद कौशल:कार्यस्थल पर विवादों से बचाव और तकनीकी हिंदी पर फोकस करने के सुझाव

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जयपुर के जोरावर सिंह गेट स्थित राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (मानद विश्वविद्यालय) में शनिवार को दो अलग-अलग वर्कशॉप आयोजित की गईं। पहली वर्कशॉप नर्सिंग स्टाफ, इंटर्न्स और स्टूडेंट्स के लिए थी, जिसमें यह सिखाया गया कि काम के दौरान होने वाले आपसी झगड़ों से कैसे बचा जाए और उन्हें कैसे सुलझाया जाए। दूसरी वर्कशॉप मंत्रालयिक (ऑफिस) कर्मचारियों के लिए रखी गई, जिसमें यूनिकोड और मंगल फोंट के इस्तेमाल की ट्रेनिंग दी गई। नर्सिंग स्टाफ की वर्कशॉप संस्थान के सभागार में हुई। इसमें मानव संसाधन एक्सपर्ट रविकांत सैनी ने बताया कि काम की जगह पर बात न होने या गलतफहमी से विवाद कैसे बढ़ जाते हैं और इन्हें शांत दिमाग और पॉजिटिव सोच से कैसे रोका जा सकता है। कार्यक्रम की शुरुआत शल्यतंत्र विभाग के प्रमुख प्रो. पी. हेमंत कुमार, कुलसचिव प्रो. अनीता शर्मा, हॉस्पिटल अधीक्षक प्रो. अनुपम श्रीवास्तव और पैरामेडिकल संकाय प्रमुख प्रो. अशोक कुमार की मौजूदगी में हुई। प्रो. हेमंत ने इसे नर्सिंग स्टाफ के लिए बहुत जरूरी बताया। प्रो. अशोक कुमार ने बताया कि 90 लोगों ने वर्कशॉप में भाग लिया और सभी ने इसे फायदेमंद माना। इस मौके पर डॉ. अभिषेक उपाध्याय, डॉ. विश्वनाथ, डॉ. अश्विनी कुमार राणा, नर्सिंग अधीक्षक रीटा जॉय्स और मुरारी लाल शर्मा भी मौजूद रहे। कर्मचारियों को यूनिकोड की ट्रेनिंग दी गई दूसरी ओर, ऑफिस स्टाफ के लिए तकनीकी हिंदी पर वर्कशॉप रखी गई। इसमें उन्हें यूनिकोड सॉफ्टवेयर और मंगल फोंट के इस्तेमाल की ट्रेनिंग दी गई। कुलपति प्रो. संजीव शर्मा ने कहा कि यह पहल डिजिटल भारत और पेपरलेस ऑफिस की दिशा में एक जरूरी कदम है। उप निदेशक प्रशासन चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि संस्थान में ई-ऑफिस की शुरुआत हो चुकी है, और इसे बेहतर ढंग से चलाने के लिए यूनिकोड की जानकारी जरूरी थी। ट्रेनिंग सहायक निदेशक (राजभाषा) राजेश मीणा ने दी। वर्कशॉप में 55 कर्मचारियों को सर्टिफिकेट भी दिए गए। इस मौके पर राजभाषा अधिकारी डॉ. राकेश नागर, प्रशासनिक अधिकारी मोहन सिंह मीणा और हिंदी अधिकारी डालचंद भी मौजूद रहे।

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