जयपुर | रालसा की ओर से शनिवार को हुई इस साल की दूसरी राष्ट्रीय लोक अदालत में हाईकोर्ट सहित प्रदेश की निचली कोर्ट, अधिकरणों, आयोगों, उपभोक्ता मंचों व रेवेन्यू कोर्ट में पक्षकारों के बीच राजीनामे से ही एक दिन में प्रिलिटिगेशन व पेंडिंग 27,85,572 केसों का निपटारा किया गया। इन केसों में 5,43,283 केस ऐसे थे जो कोर्ट में कई सालों से पेंडिंग चल रहे थे। वहीं, लोक अदालत में 15 अरब रुपए से ज्यादा के अवार्ड जारी किए गए। राष्ट्रीय लोक अदालत का शुभारंभ राजस्थान हाईकोर्ट में रालसा के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस पंकज भंडारी ने किया। उन्होेंने कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 39 ए सभी को न्याय के समान अवसर मुहैया कराता है। लोक अदालत हर नागरिक के लिए न्याय प्राप्त करने का व्यय रहित और सुलभ साधन है। हाईकोर्ट सहित प्रदेश की अधीनस्थ अदालतों में लाखों की संख्या में मुकदमे लंबित चल रहे हैं। ऐसे में लोक अदालत के जरिए यदि ज्यादा से ज्यादा केस तय होते हैं तो यह एक बड़ी उपलब्धि है। रालसा के सदस्य सचिव हरिओम शर्मा अत्री ने बताया कि इन मुकदमों की सुनवाई के लिए अधीनस्थ अदालतों में कुल 512 बेंचों का गठन किया गया है। वहीं हाईकोर्ट की जोधपुर स्थित मुख्यपीठ में पांच बेंच और जयपुर पीठ में चार बेंचों का गठन किया गया। लोक अदालत में राजीनामा हो सकने वाले सिविल, आपराधिक, सेवा, श्रम, मोटर दुर्घटना, पारिवारिक सहित अन्य प्रकृति के प्रकरणों को सूचीबद्ध किया गया था। लोक अदालत में दोनों पक्षकारों की आपसी सहमति से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है। आपसी सहमति से निस्तारण होने के चलते संबंधित मुकदमे में अपील भी नहीं होती। पारिवारिक न्यायालय में 20 केसों में हुआ समझौता अजमेर की फैमिली कोर्ट में 20 मामलों में पति-पत्नी के बीच समझाइश के जरिए समझौता करवाया। एक मामले में आठ साल पुरानी शादी में विवाद होने के चलते अलग रह रहे पति-प|ी को कोर्ट ने एक साथ रहने पर राजी किया। जज ने उन्हें मिठाई खिलाई। इसी तरह पाली में भी चार साल से अलग रह रहे पति-पत्नी के बीच समझाइश कर उन्हें वापस एक साथ रहने पर राजी किया। उन्होंने एक दूसरे को कोर्ट में ही माला पहनाई। एक अन्य मामले में बाड़मेर में भी 8 साल से अलग रह रहे पति-पत्नी भी एक साथ रहने पर सहमत हुए।