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भारत की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा चुनौतियों पर केंद्रित एक महत्वपूर्ण सेमिनार का आयोजन रविवार को जयपुर के मोहनसिंह मेहता सभागार में किया गया। ‘जियो पॉलिटिकल एंड स्ट्रेटजिक चैलेंजेज’ विषय पर आयोजित इस विचार गोष्ठी में देश के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी, भू-सामरिक विशेषज्ञ और शिक्षाविद शामिल हुए। यह आयोजन ग्रास रूट मीडिया फाउंडेशन एवं राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच, जयपुर चैप्टर द्वारा राजस्थान प्रौढ़ शिक्षण समिति के सहयोग से संपन्न हुआ। मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर के.एस. राठौड़ ने अपने संबोधन में कहा- भारत की सुरक्षा नीति को चाणक्य की रणनीति साम, दाम, दंड, भेद के अनुरूप सशक्त बनाना होगा।आंतरिक सुरक्षा के लिए खुफिया एजेंसियों को और अधिक सुदृढ़ किया जाए तथा ऑपरेशन सिंदूर जैसे ठोस कदम भविष्य की दिशा तय करेंगे। उन्होंने डेमोग्राफी में बदलाव को सबसे बड़ी चिंता बताया। कहा- आज कठोर निर्णय नहीं लिए गए तो अगली पीढ़ियों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। मुख्य वक्ता भू-सामरिक विशेषज्ञ अविजित दास ने कहा- चीन और पाकिस्तान से तो खतरा सीमित है, लेकिन भारत की आंतरिक स्थितियां कहीं अधिक जटिल हैं। दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत में हो रहे तीव्र धार्मिक मतांतरण, पारिवारिक ढांचे का विघटन और संस्कृति में गिरावट सबसे बड़े खतरे हैं। उन्होंने कहा कि भारत को भीतर से ही कमजोर करने के प्रयास उपनिवेशकाल से चले आ रहे हैं, जिन्हें पहचान कर विफल करना अब समय की मांग है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के अध्यक्ष डॉ. एस.एस. अग्रवाल ने कहा कि मंच देशभर में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े विषयों पर युवाओं में जागरूकता फैला रहा है। उन्होंने कहा कि भारत को जानो, भारत को मानो, भारत को बनाओ” जैसे अभियानों के माध्यम से नई पीढ़ी को जोड़ा जा रहा है। कार्यक्रम का समापन वरिष्ठ अधिवक्ता रमन नंदा द्वारा किया गया, वहीं संचालन एडवोकेट अनुज शर्मा ने किया।पुष्कर उपाध्याय, महासचिव, राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच (जयपुर चैप्टर) ने सभी अतिथियों और सहभागियों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर सेवानिवृत्त मेजर जनरल अनुज माथुर, एयर कमोडोर चंद्रमौली, प्रो. भागीरथ चौधरी, डॉ. कमलेश मीणा, कैलाश चतुर्वेदी, जसबीर सिंह, प्रमोद शर्मा, महेश स्वामी, संजय गुप्ता सहित बड़ी संख्या में रक्षा विशेषज्ञ, शिक्षाविद, अधिवक्ता और बुद्धिजीवी उपस्थित रहे।

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