आरएनटी मेडिकल कॉलेज में चल रहा हड़ताल का मर्ज बढ़ता जा रहा है। यह प्रदेशभर के लगभग सभी जिलों के मेडिकल कॉलेजों तक तो पहुंच ही चुका था। उदयपुर के शहरी क्षेत्र में 6 अस्पतालों में काम बाधित था। अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी मुश्किलें बढ़ने लगी हैं।प्रदेश में सेवारत चिकित्सक संघ ने एक घंटे की हड़ताल कर रखी है। उदयपुर-सलूंबर में दो घंटे है। गांव-तहसीलों समेत हर सीएचसी-पीएचसी पर असर आने लगा है। सलूंबर और उदयपुर में इस संघ से जुड़े लगभग 350 डॉक्टर्स हैं। ये 40 सीएचसी, 15 पीएचसी और 3 उप जिला चिकित्सालय में बैठते हैं। आरएनटी से जुड़े अस्पतालों में भी नियुक्त हैं। ग्रामीण इलाकों में प्रतिदिन करीब 5 हजार मरीज पहुंचते हैं। आरएनटी के रेजिडेंट्स 10वें दिन शनिवार को भी हड़ताल पर रहे। भूख हड़ताल का चौथा दिन रहा। रविवार को इनके साथ पूरे प्रदेश के रेजिडेंट्स हड़ताल पर रहेंगे। सिर्फ जयपुर में इमरजेंसी सर्विस चालू रहेगी। शनिवार रात रेजिडेंट्स डॉक्टर्स एसो. ने चिकित्सा शिक्षा सचिव अंबरीश कुमार से मुलाकात की, मांगें रखी। इन्होंने रविवार को एमबी परिसर में समानांतर ओपीडी चलाने का निर्णय लिया है। हालांकि, कॉलेज प्रशासन की अनुमति लेनी होगी। अब टीबी हॉस्पिटल के हॉस्टल में करंट की शिकायत
शहर में बडी स्थित टीबी हॉस्पिटल में बने बालिका नर्सिंग छात्रावास की वार्डन अनीता राठौड़ ने आरएनटी के प्रिंसिपल विपिन माथुर को पत्र लिखा। बताया कि अलमारी, अग्निशमन यंत्र, वाटर कूलर आदि में करंट महसूस हो रहा है। जल्द ठीक कराएं। हाथीपोल पुलिस थाने ने प्रिंसिपल को पत्र लिखा। कहा कि हॉस्टलों में करंट और प्लास्तर गिरने की घटनाएं दोबारा संभव है। पीडब्ल्यूडी और इलेक्ट्रिक विभाग से जांच कराई जाए। सेवारत चिकित्सक संघ व टीचर एसोसिएशन आमने-सामने आरएमसीटीए के उदयपुर सचिव तरुण रलोत ने पत्र लिखा। प्रिंसिपल से अपील की है कि संकाय सदस्यों (ग्रुप 1-चिकित्सक शिक्षक) पर शैक्षणिक कार्यों के साथ अन्य गैर शैक्षणिक कार्यों का बोझ अधिक है। इससे शैक्षणिक गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है।
ऐसे में हॉस्टल वार्डन, एसटीपी प्लांट, यातायात, भवन निर्माण आदि कार्य वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी (ग्रुप 2) को दिए जा सकते हैं। वे शैक्षणिक कार्यों के मुक्त हैं। इस पर अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ के प्रदेश महासचिव दुर्गा शंकर सैनी और एसएल बामनिया ने कहा कि अब चिकित्सक शिक्षकों पर नॉन प्रेक्टिसिंग अलाउंस लागू करने पर विचार होना चाहिए। ताकि ये निजी क्लिनिकों पर पेशेंट न देखें और इनका बोझ घटे। रही बात गैर शैक्षणिक कार्यों के तहत वार्डन आदि के पद संभालने की तो हम इनके साथ कॉलेज प्रिंसिपल, अधीक्षक जैसे पद भी संभाल सकते हैं। हड़ताल तुड़वाने के लिए एक और प्रयास, एग्जाम की तारीखें घोषित
कॉलेज प्रशासन भी लगातार हड़ताल खत्म करने के प्रयास में जुटा है। शनिवार को 2022 बैच के इंटरनल एग्जाम की तारीखें जुलाई के प्रथम सप्ताह में घोषित की। 2024 बैच के विद्यार्थियों को तुरंत थिसिस प्लान जमा कराने के आदेश भी दिए। इससे पहले शुक्रवार को 18 सेवारत डॉक्टरों को कार्यमुक्त किया था और 6 सेवारत सीनियर रेजिडेंट के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए निदेशालय को लिखा था। एमबीबीएस छात्रों के परिजनों को पत्र लिखकर कहा था कि ये 20 जून से कॉलेज नहीं आ रहे। उपस्थिति 75% से कम हुई तो परीक्षा में नहीं बैठने देंगे। उधर, रेजिडेंट्स का दावा रहा कि सामान्य तौर पर इंटरनल एग्जाम अगस्त-सितंबर माह में होते हैं। इस बार दबाव बनाने के लिए जल्दी कराए जा रहे हैं। उधर, 26 जून को सीनियर ब्वॉयज हॉस्टल की छत का प्लास्तर गिरने की घटना के बाद पीडब्ल्यूडी भी नींद से जागा। अब तक कागजों में खानापूर्ति कर रहे विभाग ने कॉलेज परिसर स्थित ओल्ड जूनियर ब्वॉयज हॉस्टल में शनिवार से कमजोर प्लास्तर को गिराने का काम शुरू किया।