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हरियाणा के रोहतक के परिवार के साथ राजस्थान में हादसा हो गया। उनकी कार जयपुर-आगरा हाईवे पर खड़े कैंटर में घुस गई। इस कैंटर को आरटीओ ने चेकिंग के लिए रोका था। रफ्तार तेज होने की वजह से कैंटर से टकराते ही कार के परखच्चे उड़ गए। इस हादसे में कार सवार मां, बेटा-बेटी और दादी की मौके पर ही मौत हो गई। करीब आधे घंटे तक चारों शव कार में ही फंसे रहे। पुलिस ने कड़ी मशक्कत से उन्हें बाहर निकाला और परिजनों को सूचना दी। यह परिवार कल (27 जून) शाम ही मेहंदीपुर बालाजी के दर्शन के लिए निकला था। इनके साथ दो गाड़ियां और थी, जिनमें करीब 12 लोग थे। वे लोग मेहंदीपुर बालाजी पहुंच गए थे, जबकि ये परिवार रास्ता भटकने की वजह से पहुंच नहीं पाया था और हादसे का शिकार हो गया। पुलिस के मुताबिक मरने वालों में खेड़ी साध गांव की प्रमिला देवी (40), उनका बेटा दीपांशु (20), बेटी साक्षी (16) और राजबाला (60) शामिल हैं। राजबाला रिश्ते में दीपांशु की दादी लगती थीं। 3 महीने पहले प्रमिला के पति की मौत हुई थी। जिसके बाद परिवार में 3 लोग बचे थे, लेकिन अब तीन महीने में ही पूरा परिवार खत्म हो गया। देर शाम चारों के शव राजस्थान से गांव पहुंचे तो शोक की लहर दौड़ गई। चारों का अंतिम संस्कार एक साथ किया गया। दीपांशु के चचेरे भाइयों सुरेश, राहुल और मुकेश ने मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार के 3 PHOTOS… यहां जानिए कैसे बना मेहंदीपुर बालाजी जाने का प्रोग्राम… ट्रक ड्राइवर थे पिता, हादसे में टूट गई थी रीढ़ की हड्‌डी
दीपांशु के चचेरे भाई राहुल ने बताया कि उसके चाचा राजेंद्र ट्रक ड्राइवर थे। करीब डेढ़ साल पहले एक हादसे में उनकी रीढ़ की हड्‌डी टूट गई थी, जिस कारण वे बिस्तर पर आ गए थे। पिता की कंडीशन को देख दीपांशु ने घर की जिम्मेदारी उठानी शुरू कर दी थी। वह इंटर पास था। इसलिए उसने एक कंपनी के साथ जुड़कर एसी और फ्रीज ठीक करने का काम शुरू कर दिया। एक अप्रैल 2025 को चाचा राजेंद्र की मौत हो गई। जिनकी 23 जून को छमाही हुई थी। दीपांशु की फैमिली ने ही बनाया था मेहंदीपुर जाने का प्रोग्राम
राहुल के मुताबिक, उसके चाचा राजेंद्र चार भाई और एक बहन हैं। सबकी गांव में अपनी अलग-अलग फैमिली है। चाचा राजेंद्र की मौत के बाद उनके परिवार में चाची प्रमिला और उनके दो बच्चे दीपांशु और साक्षी ही बचे थे। साक्षी इस साल 11वीं कक्षा में आई थी। दो-तीन दिन पहले दीपांशु और उसकी फैमिली ने ही मेहंदीपुर बालाजी जाने का प्रोग्राम बनाया था। कुनबे के अन्य लोगों को भी उन्होंने साथ चलने के लिए कहा था। अपनी फैमिली को ले जाने के लिए कार लाया था दीपांशु
राहुल के मुताबिक, दीपांशु के कहने पर कुनबे के 16 लोगों के मेहंदीपुर जाने का प्रोग्राम तय हुआ। इन लोगों को ले जाने के लिए 3 गाड़ियों की आवश्यकता सामने आई। दो गाड़ी तो परिवार के लोगों ने कर ली, जबकि एक गाड़ी दीपांशु लेकर आया था। यह गाड़ी किराए पर लाया था या किसी दोस्त से, इसकी जानकारी अभी नहीं है। राहुल ने आगे बताया कि दीपांशु ने कहा था कि उसकी मां और बहन को साथ जाने में कोई दिक्कत ना हो, इसलिए वह गाड़ी लेकर आया है और खुद ही चलाकर ले जाएगा। अब जानिए कैसे हुआ हादसा… 27 जून की शाम को निकले थे सभी लोग
राहुल ने आगे बताया कि दीपांशु की फैमिली और परिवार के अन्य सभी लोग इन तीनों गाड़ियों में सवार होकर 27 जून की शाम को मेहंदीपुर के लिए निकले थे। गांव में ही रिश्ते की दादी राजबाला देवी पत्नी करमबीर भी दीपांशु की गाड़ी में सवार हो गई थी। राजबाला के पति करमबीर की 2014 में मौत हो चुकी है। उनके दो बेटे अमित और सुमित है, जो ट्रांसपोर्ट का कारोबार करते है। दोनों बेटों ने ही उसे मेहंदीपुर जाने के लिए रवाना किया था। दो गाड़ियां आगे निकली, रास्ता भटका दीपांशु
परिवार के मुताबिक, अलवर के राजगढ़ (पिनान) से निकलकर जयपुर-आगरा हाईवे पर बने इंटरचेंज से उतर कर महुआ होते हुए मेहंदीपुर बालाजी जाना था। इस बीच दौसा से निकल रहे इंटरचेंज से मेहंदीपुर बालाजी जाने की बजाय दीपांशु की गाड़ी जयपुर की तरफ चली गई। दौसा पहुंचने पर पता चला कि ये गलत रास्ते पर आ गए। ऐसे में दौसा कलेक्ट्रेट से दोबारा गाड़ी मोड़ कर बालाजी की तरफ जाने लगे, तभी आरटीओ ऑफिस के सामने खड़े कैंटर से कार टकरा गई। चेकिंग के लिए रोका था कैंटर, उसी में घुस गई कार
परिवार के मुताबिक, हादसा शुक्रवार रात करीब 12:15 बजे दौसा के कलक्ट्रेट चौराहे के पास RTO ऑफिस के सामने हुआ। आरोप है कि RTO की चेकिंग के दौरान कैंटर को सड़क किनारे रोका गया था। तभी पीछे से दीपांशु की तेज रफ्तार कार उसमें आकर भिड़ गई। टक्कर इतनी तेज थी कि कार के परखच्चे उड़ गए। टक्कर के बाद कार कैंटर में बुरी तरह फंस गई। करीब आधे घंटे के बाद शवों को बड़ी मुश्किल से बाहर निकाला गया। सभी को दौसा के सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। हादसे के बाद हाईवे पर लगा जाम, पुलिस ने खुलवाया
हादसे के चलते हाईवे पर जाम लग गया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर वाहनों को हटाया और यातायात सुचारू कराया। डिप्टी एसपी रविप्रकाश शर्मा भी रात को ही घटनास्थल पर पहुंच गए थे। मृतकों की पहचान होने पर उनके परिवार के लोगों को हादसे की जानकारी दी गई। उधर, सूचना मिलते ही रात में ही खेड़ी साध गांव से परिवार के लोग राजस्थान के लिए निकल गए थे। शनिवार की दोपहर तक राजस्थान में ही पुलिस की कार्रवाई जारी थी। गांव में सुनसान पड़ा दीपांशु का मकान
राहुल के मुताबिक, करीब तीन माह पूर्व चाचा राजेंद्र की मौत हो गई थी। अब राजस्थान में हुए हादसे में उनकी पत्नी प्रमिला, बेटा दीपांशु और बेटी साक्षी की भी मौत हो गई है। चाचा की फैमिली का कोई सदस्य जीवित नहीं बचा है। करीब 3 माह में ही एक भरा पूरा परिवार खत्म हो गया। गांव में उनका दो मंजिला मकान है। अब वहां कोई नहीं है। मकान सुनसान पड़ा है। उधर, राजबाला के परिवार में भी गम का माहौल है।

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