आगंतुकों का मन मोहती दृश्य कला की विविध विधाओं से जुड़ी कलाकृतियां, वरिष्ठ कलाकारों से मार्गदर्शन लेते नवोदित कलाकार, यहां-वहां होती कला के अलग-अलग पहलुओं से जुड़ी चर्चाएं और लाजवाब कलाकृतियों को देख उनमें छिपी गूढ़ भावनाओं को समझते कला प्रेमी। यह नजारा था राजस्थान ललित कला अकादमी की ओर से जवाहर कला केंद्र के शिल्पग्राम में आयोजित 24वें कला मेले का। मेले के दूसरे दिन बड़ी संख्या में लोग मेले में प्रदर्शित कलाकृतियों को देखने पहुंचे। इस दौरान वरिष्ठ कलाकारों के लाइव डेमोन्स्ट्रेशन ने जहां आगंतुकों को अपनी आंखों के सामने कला सृजन देखने का अवसर दिया वहीं विशेष चर्चा सत्र में विशेषज्ञों ने कलाकारों के बेबाक सवालों के जवाब दिए। शुक्रवार को दोपहर 1 बजे से वरिष्ठ कलाकार पवन कुमावत वाटर कलर डेमोंस्ट्रेशन देंगे, 3 बजे से चर्चा सत्र आयोजित होगा, शाम 5 बजे आर्ट फिल्म शो आयोजित किया जाएगा और 7 बजे लाइट एंड साउंड शो का आयोजन होगा। लकीरों के जादू और कार्विंग के रोमांच में डूबे कलाकार कला मेले के दूसरे दिन वरिष्ठ कलाकार सुधीर गोस्वामी ने कैरिकेचर मेकिंग का लाइव डेमोंस्ट्रेशन दिया। मेले के प्रतिभागी, कला छात्र-छात्राओं सहित तमाम कलाप्रेमी इस दौरान कैनवास पर थिरकती लकीरों के जादू में खोए नजर आए। सुधीर गोस्वामी ने कैरिकेचर मेकिंग की मूलभूत जानकारियां देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित कई लोगों के कैरिकेचर बनाए। उन्होंने दर्शकों को कैरिकेचर बनाने में महारत हासिल करने के लिए अभ्यास की जरूरत बताते हुए मूलभूत तकनीकों की जानकारी दी। इससे पहले कार्विंग आर्टिस्ट विजय यादव ने वैक्स कार्विंग का लाइव डेमोंस्ट्रेशन दिया जिसका उपस्थित लोगों ने भरपूर आनंद लिया। यादव ने कलाप्रेमियों के सामने एक घंटे से अधिक समय तक लगातार वैक्स कार्विंग कर कलाकृति तैयार की व साथ ही इस कार्य की तकनीकी बारीकियों की भी जानकारी दी। कला जीने की चीज नहीं, कला में मरना पड़ता है
कला जीने की चीज नहीं है, कला में मरना पड़ता है। ये कहना था वरिष्ठ विजुअल आर्टिस्ट अमित कल्ला का। अमित कला मेले में पहली बार एक नवाचार के तौर पर आयोजित चर्चा सत्र ‘एक बातचीत: तुम्हारी कला पर’ में विशेषज्ञ के तौर पर बोल रहे थे। एक प्रतिभागी के स्किल व एक्सप्रेशन से संबंधित सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कला एक प्रोसेस है जिसमें कलाकार उस चीज की पहचान करता है जिसे वह भूल चुका है।
उन्होंने नए कलाकारों को कला में निखार लाने के गुर सिखाते हुए कहा कि एक कलाकार को खूब पढ़ना चाहिए और कला को फैशन मानकर नहीं बल्कि पैशन मानकर अपनाना चाहिए। चर्चा सत्र में दूसरे विशेषज्ञ वरिष्ठ कलाकार गौरीशंकर सोनी ने एक प्रतिभागी से चर्चा करते हुए कहा कि कला मेला सिर्फ कलाकृतियों को बेचने का नहीं बल्कि वरिष्ठ कलाकारों के अनुभवों से सीखने का स्थान है। नवोदित कलाकारों को वरिष्ठ कलाकारों के बारे में जानना चाहिए।
सत्र संयोजक डॉ. लोकेश जैन ने कहा कि कला का सोर्स कहीं बाहर नहीं, कलाकार के अंदर होता है। संयोजक डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने भी प्रतिभागियों से चर्चा की।
