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वरुण, वली व प्रजापत ने अपने काव्य पाठ से श्रोताओं को किया आनंद विभोर

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बीकानेर| राजस्थानी भाषा के कवि आलोचक डॉ. गौरी शंकर प्रजापत द्वारा प्रस्तुत ‘हांडी’ शीर्षक की इस राजस्थानी कविता की इन भावप्रद पंक्तियों से आज सांखला साहित्य सदन सराबोर हो उठा। अवसर था हिंदी एवं राजस्थानी भाषा के कीर्तिशेष साहित्यकार नरपत सिंह सांखला की स्मृति में त्रैमासिक साहित्यिक श्रृंखला ‘त्रिभाषा एकल काव्य पाठ एवं सम्मान समारोह’ की चौथी कड़ी का। फिर तो कार्यक्रम में प्रजापत ने अपनी एक से एक उम्दा राजस्थानी कविताएं प्रस्तुत करके श्रोताओं को आनंद विभोर कर दिया। आपने ‘थारो फगत नांव याद है थारी यादां फगत सागै है’ कविता के ज़रिए राजस्थानी भाषा की मिठास से श्रोताओं की भरपूर तालियां बटोरी। संस्थान सचिव वरिष्ठ शायर कहानीकार क़ासिम बीकानेरी और संस्थापक वरिष्ठ शिक्षाविद्,संस्कृतिक र्मी संजय सांखला ने बताया कि साहित्यिक श्रृंखला की चौथी कड़ी में नगर के हिंदी, उर्दू एवं राजस्थानी भाषा के तीन वरिष्ठ रचनाकारों का एकल काव्य पाठ कार्यक्रम एवं सम्मान समारोह आयोजित किया गया जिसमें हिंदी भाषा के प्रख्यात कवि के तौर पर युवा कवि संजय आचार्य ‘वरुण’, वरिष्ठ उर्दू शाइर वली मोहम्मद ग़ौरी और राजस्थानी कवि आलोचक डॉ.गौरी शंकर प्रजापत ने अपनी एक से बढ़कर एक रचनाओं की प्रस्तुति से भरपूर वाहवाही लूटी। क़ासिम और सांखला ने बताया कि कार्यक्रम की अध्यक्षता नगर के वरिष्ठ कवि कथाकार कमल रंगा ने की। रंगा ने अध्यक्ष उद्बोधन प्रस्तुत करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन भाषाई अपनत्व एवं साझा संस्कृति को बल देते हैं।

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