लीडिंगनोट म्यूजिक एकेडमी की ओर से आयोजित सुर लाउंज कार्यक्रम में भारतीय सेना के अद्वितीय पराक्रम और शहीदों को समर्पित एक भावनात्मक और रचनात्मक प्रस्तुति देखने को मिली। प्रिंस ऑफ वायलिन के नाम से मशहूर गुलजार हुसैन ने कम प्रचलित राग सिंदूरा के स्वरों से न केवल शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की, बल्कि ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का जश्न भी अपने सुरों से मनाया। कार्यक्रम की शुरुआत गुलजार ने राग पूरिया धनाश्री के आलाप से की, जिसमें पंचम और निषाद स्वर की मधुर अभिव्यक्ति ने श्रोताओं को गहरे संगीत अनुभूति में डूबो दिया। तीनताल के मध्यलय खयाल पायलियां झंकार में उन्होंने गायकी अंग की शैली में तीनों सप्तकों की तानों, बोल-बांट और गमकों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। भावनात्मक शिखर पर पहुंचा राग सिंदूरा
कार्यक्रम का समापन गुलजार ने राग सिंदूरा की बंदिश दरस बिन तरसी आंखिंया मोरी से किया। इस प्रस्तुति ने शहीदों के प्रति सम्मान और वीरता के प्रति कृतज्ञता की भावनाओं को वायलिन के स्वर से आत्मा तक पहुंचा दिया। गुलजार की इस भावपूर्ण प्रस्तुति में युवा तबला वादक जेयान हुसैन ने सधी हुई संगत से प्रस्तुति को पूर्णता प्रदान की। कार्यक्रम का संचालन हेमंत भाटी और अकादमी की निदेशक सुषमा मेहता ने किया। कलाकारों का स्वागत पवन गोस्वामी ने किया। संगीतमय श्रद्धांजलि और शौर्यगाथा से सजी यह शाम श्रोताओं के लिए यादगार बन गई।