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विधानसभा में जवाई नदी में जवाई बांध से पानी छोड़ने की मांग की गई है। विधानसभा में आहोर विधायक छगनसिंह राजपुरोहित ने कहा- जवाई बांध का पानी जवाई नदी में आना चाहिए, कहीं और गया तो जालोर जिलेवासी कुछ भी करने को तैयार हैं, पानी को लेकर बड़ा आन्दोलन करेंगे। जवाई नदी को जालोर की जीवन रेखा कहा जाता है। जवाई नदी को पुनर्जीवित करने की उम्मीद कमजोर पड़ रही है। राज्य सरकार ने बजट 2024 में 2200 करोड़ की लागत से जवाई बांध से पाली व जोधपुर तक 194 किलोमीटर की क्षतिग्रस्त नहर की मरम्मत कराने और पानी को जोधपुर तक ले जाने की घोषणा की। इसके बाद आहोर विधायक छगनसिंह राजपुरोहित ने विधानसभा में जालोर के लिए पानी की मांग रखी। उन्होंने विधानसभा में जवाई के पानी पर जालोर के हक व जवाई नदी पुनर्जीवित करने की मांग रखते हुए कहा- आज मै विधानसभा में संवेदनशील मुद्दा लेकर आया हूं। जालोर जिला जवाई के किनारे बसा हुआ है। एक समय तक यहां फसलें लहराती थीं। लेकिन 1952 में जवाई बांध बनने के बाद 70 वर्ष में केवल 8 बार नदी में पानी आया। उस दौरान भी बाढ़ के हालात बने। जवाई बांध बनने से जालोर को कोई फायदा नहीं हुआ। बल्कि नुकसान ज्यादा हुआ। उन्होंने कहा- जवाई बांध से कैनाल के जरिए जोधपुर तक पानी पहुंचाने की योजना व्यर्थ है। यह जालोर के साथ कुठाराघात है। उन्होंने जल संसाधान मंत्री का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा- जल संसाधान के अधीक्षण अभियन्ता ने बयान देकर बताया कि जवाई नदी को दोबारा भरने के लिए पानी व्यर्थ बहाया जा रहा है। इसे नहर के माध्यम से सिंचाई के लिए यूज किया जा सकता है। जवाई पुनर्भरण के लिए बनने वाले दो बान्धों का पानी भी नहर के माध्यम से उपयोग लिया जा सकता है। इस पर आहोर विधायक छगनसिंह राजपुरोहित ने अधीक्षक अभियन्ता के बयान पर नाराजगी जताई। कहा- अधीक्षक अभियन्ता नदी में जाने वाले पानी को व्यर्थ बता रहे हैं। उनके क्षेत्र में पानी ले जाने को सही बता रहे हैं। मेरे क्षेत्र में बांध के ओवरफ्लो होने पर ही पानी जा रहा है, उसमें भी उन्हें समस्या लग रही है। उस पानी से 20 लाख कुएं रिचार्ज हो रहे हैं। उन्होंने कहा- पहले भी हम जवाई के पानी के लिए किसान आंदोलन पर बैठे थे। अब भी पानी कहीं गया तो आंदोलन करेंगे। प्रस्तावित योजना जालोर-सिरोही के लिए अभिशाप है, इस योजना को बंद किया जाए।

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