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विधानसभा में भाजपा विधायक गोपाल शर्मा के कांग्रेस विधायक रफीक खान को पाकिस्तानी कहने का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है। मामले को लेकर कांग्रेस ने सदन में और सदन के बाहर जमकर विरोध किया। कार्रवाई की मांग की जा रही है। मामले में भास्कर ने एक्सपट्‌र्स से जाना कि विधानसभा के नियम क्या कहते हैं? भाजपा विधायक पर क्या कार्रवाई हो सकती है? पढ़िए पूरी रिपोर्ट… सदन से आउट और निलंबित भी हो सकते हैं विधायक
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुमित्रा सिंह ने बताया- पाकिस्तानी या कोई अपशब्द कहने पर सदस्य के खिलाफ प्रस्ताव लाकर नियम 292 के तहत सदन की सहमति लेकर संबधित सदस्य के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं। संबंधित सदस्य को 1 दिन से 6 महीने या पूरे 5 साल तक सदन से बाहर कर सकते हैं। सदस्य को निलंबित करने तक की कार्रवाई कर सकते हैं। क्या है विधानसभा का नियम 292
सुमित्रा सिंह ने बताया कि राजस्थान विधानसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम 292 में विधायक के निलंबन का प्रावधान दिया हुआ है। नियम 292 के तहत विधानसभा अध्यक्ष संबधित विधायक के निलंबन का प्रस्ताव रखने को कहते हैं। प्रस्ताव पर सदन में वोटिंग करवाई जाती है, जिसके आधार पर निलंबन का फैसला स्पीकर सुनाते हैं। हालांकि हाल ही के सत्र में ही गोविंद डोटासरा के निलंबन मामले में स्पीकर ने अपने अधिकार का पूरा प्रयोग किया। इस मामले को स्पीकर ने सदन को चैलेंज देने के समान माना था और सदन में बिना प्रस्ताव के निलंबन का फैसला सुनाया था, जो कार्य संचालन नियमों के तहत स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में है। सदाचार समिति भी कर सकती है कार्रवाई
पाकिस्तानी शब्द भले ही सदन की कार्यवाही का हिस्सा नहीं है, लेकिन अगर सदन में किसी सदस्य को आपत्ति हो तो वो सदाचार समिति के समक्ष शिकायत कर सकता है। जांच के बाद सदाचार समिति अगर इसे सदन परिसर में अमर्यादित आचरण होना मानती है तो समिति की रिपोर्ट पर विधानसभा अध्यक्ष कार्रवाई कर सकते हैं। हालांकि राजस्थान विधानसभा में नियमों के उल्लंघन पर विधायकों पर एक्शन लेकर बाद में उनका निलंबन खत्म करने की परंपरा रही है। यह स्पीकर का अधिकार होता है कि वो निलंबन वापस ले या ना ले। कार्यवाही में क्या लिया जाए क्या नहीं, स्पीकर ही करते हैं तय
विधानसभा मामलों के जानकार व पूर्व में विधानसभा के उप सचिव रहे प्रहलाद दास पारीक ने बताया- सदन के कार्य संचालन के नियम बने हुए हैं, जिससे सभी सदस्य बंधे होते हैं। सदन में मर्यादित शब्दावली का ही प्रयोग किया जा सकता है। ऐसे शब्द जो सदन की कार्यवाही का अंग नहीं हैं, इन शब्दों का सारा रिकाॅर्ड संकलन विधानसभा सचिवालय के पास रहता है। इसमें समय-समय पर शब्दों की घटोतरी-बढ़ोतरी होती है। सदन में मर्यादा बनाए रखने का काम विधानसभा अध्यक्ष के पर्यवेक्षण में होता है। कार्यवाही में किसी भी कारण से बाधा होने पर अध्यक्ष सदन की कार्रवाई स्थगित कर स्वयं के चेम्बर में सदन के नेता, प्रतिपक्ष के नेता, संसदीय कार्य मंत्री, मुख्य सचेतक व अन्य दलों के नेता के साथ विचार विमर्श कर गतिरोध को दूर करने का प्रयास कर निर्णय लेकर समस्या का समाधान करवाते हैं। रोचक : स्पीकर के कुर्सी पर बैठने के बाद सदन में प्रवेश करते थे तत्कालीन सीएम
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुमित्रा सिंह ने बताया- सदन में भाषा की शालीनता धीरे-धीरे समाप्त हो रही है। 1977 से पहले तक सदस्य कभी भी वैल में नहीं जाते थे। स्पीकर खडे़ होते थे तो कोई भी सदस्य न सदन से बाहर जा सकता था और न अंदर आ सकता था। सुमित्रा सिंह ने बताया-सीएम रहते मोहनलाल सुखाड़िया सदन में आते और उस समय स्पीकर चेयर पर खड़े होते तो सीएम भी सदन के बाहर ही लॉबी गेट पर ही कई देर तक खडे़ रहते थे। स्पीकर के कुर्सी पर बैठने के बाद ही सदन में प्रवेश करते थे।

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