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सिटी एंकर राजस्थान सरकार ने प्रदेश में वैदिक संस्कार एवं शिक्षा बोर्ड के गठन को मंजूरी दी है। पहली बार गठित यह बोर्ड वेदों में निहित ज्ञान-विज्ञान का प्रचार-प्रसार का काम करेगा। बोर्ड में कुल 22 सदस्य होंगे, जिनमें 10 गैर सरकारी और 12 सरकारी पदेन सदस्य होंगे। संस्कृत शिक्षा विभाग इस बोर्ड का प्रशासनिक विभाग रहेगा। विभाग ने 10 गैर सरकारी सदस्यों में से 7 सदस्यों की नियुक्ति के आदेश जारी किए हैं। संस्कृत शिक्षा के संयुक्त सचिव शिक्षा कैलाशचंद यादव की ओर से जारी आदेश में प्रो. गणेशीलाल सुथार को बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है। बोर्ड में प्रो. राजेंद्र प्रसाद मिश्रा, डॉ. कैलाश चतुर्वेदी, प्रो. नरपत सिंह राठौर, रमेशचंद शर्मा, भवानी शंकर शर्मा और प्रो. हरेश्वर छीपा सहित कुल 6 सदस्य बनाए गए हैं। इनका कार्यकाल 3 साल का रहेगा। इस बोर्ड का कार्यक्षेत्र संपूर्ण राजस्थान रहेगा। बोर्ड में विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर भी शामिल किए जाएंगे गैर सरकारी 10 सदस्य होंगे। एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष, राज्य सरकार द्वारा नियुक्त 6 सदस्य और विधानसभा अध्यक्ष द्वारा नामित 2 सदस्य। सरकारी (पदेन) 12 सदस्यों में वित्त विभाग द्वारा मनोनीत संयुक्त सचिव स्तर का प्रतिनिधि, संस्कृत शिक्षा सचिव, शिक्षा सचिव, कला संस्कृति के सचिव द्वारा मनोनीत संयुक्त सचिव स्तर के प्रतिनिधि, संस्कृत शिक्षा निदेशक, माध्यमिक शिक्षा निदेशक, आयुर्वेद निदेशक और संस्कृत अकादमी के निदेशक, संस्कृत यूनिवर्सिटी के कुलपति द्वारा मनोनीत एक प्रोफेसर, आयुर्वेद विवि जोधपुर के कुलपति द्वारा मनोनीत एक प्रोफेसर, आरयू के कुलपति और जयनारायण व्यास विवि जोधपुर के कुलपति द्वारा मनोनीत संस्कृति विभाग से एक-एक प्रोफेसर सदस्य होंगे। बोर्ड के ये होंगे प्रमुख काम { वेदों में निहित ज्ञान का प्रचार-प्रसार करना। वेद मंत्रों, ग्रंथों का सरल हिंदी भाषा में अनुवाद करना। { वैदिक परंपरा के बटुकों के लिए आवासीय स्कूल, छात्रावास का संचालन करना। { वैदिक यंत्र, मंत्र-तंत्र के वैज्ञानिक स्वरूप को प्रकाशित कर अनुसंधान को प्रोत्साहित करना। { वैदिक वांड्मय के संदेशों यथा-संध्या, तर्पण, षोडश, संस्कार आदि का जनसंचार माध्यमों द्वारा प्रसारण करवाना। { ऑनलाइन पाठ्यक्रम तैयार कर उससे अध्ययन-अध्यापन कराना। वेद विद्यालयों और पाठशालाओं का जिम्मा बोर्ड के पास ही रहेगा यह बोर्ड राज्य सरकार द्वारा संभाग स्तर पर नवस्थापित किए जा रहे आदर्श वेद विद्यालय तथा तीन वैदिक गुरुकुल का संचालन करेगा। साथ ही वर्तमान में राज्य में संचालित सभी वेद विद्यालयों और वेद पाठशालाओं के संचालन का जिम्मा भी इसी बोर्ड के पास रहेगा। बोर्ड इनके पाठ्यक्रम तथा परीक्षा प्रणाली का संचालन करेगा। -मदन दिलावर, शिक्षामंत्री

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