भरतपुर| गायत्री परिवार के तत्वावधान में सामुदायिक भवन जवाहर नगर, भरतपुर में कथावाचक भगवानदास रामभक्त द्वारा श्रीमद् भागवत कथा में बताया कि प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन में पितृ़ऋण, ऋषिऋण, देवऋण को चुकाना पड़ता है। उपासना, साधना, आराधना, आत्मशोधन तथा परमार्थ करने से ऋषि ऋण चुकाया जाता है। लोकहित के लिए यज्ञ, दान, पुण्य कार्य करने से देवऋण चुकाया जाता है, अपने व्यक्तित्व का निर्माण करके पितृऋण चुकाया जाता है। इस अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भगवान जिस पर कृपा करते हैं धीरे धीरे उसका धन वैभव हरण कर लेते हैं तब सांसारिक स्वार्थी लोग उस व्यक्ति को निर्धन समझकर त्याग देते हैं तब उस पर भगवान कृपा रूपी वर्षा करते हैं। भागवत कथा के विराम के बाद संयोजक विष्णु लोहिया, आलोक बंसल, विनय चौधरी एवं विनोद मेडिकल का माला पटका व प्रतीक चिंह देकर सम्मान किया। कथा के अंत में आरती पूर्व महापौर शिवसिंह भोंट, महिला जिलाध्यक्ष भाजपा शिवानी दायमा, गिरधारी गुूप्ता, प्रदेश कांग्रेस कमेटी सदस्य धर्मेन्द्र शर्मा, एस.पी. जिंदल, आदि रहे।