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भास्कर संवाददाता|डूंगरपुर पूर्व की प्रदेश सरकार के शिक्षा में नवाचार के नाम पर महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल ग्रामीणों के गले की फांस बनता जा रहा है। जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर नेशनल हाइवे-48 के पास स्थित संचिया गांव में 5वीं पास 122 बच्चे स्कूल छोड़ने को मजबूर हो गए हैं। इनके गांव में कोई भी 8वीं, 10वीं और 12वीं तक हिंदी माध्यम में स्कूल नहीं है। पूर्व सरकार ने एक मात्र सीनियर स्कूल को अंग्रेजी में बदल दिया है। इसमें भी सिर्फ 35 सीट ऑनलाइन प्रवेश पद्धति से बची है। अब हिन्दी माध्यम वाले 122 बच्चों के सामने स्कूल का सकंट खड़ा हो गया। गांव के लोग स्कूल प्रशासन से रोज लड़ाई कर रहे हैं। वहीं स्कूल प्रशासन गांव वालों की तकलीफ को समझने के बावजूद प्रवेश नहीं दे सकती है। ऐसे में अंग्रेजी माध्यम स्कूल अब गले की फांस बन चुका है। संचिया गांव का मामला ध्यान में आया है इसके लेकर उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया है। वहीं, अभिभावक आसपास गांवों स्थित सरकारी स्कूलों में बच्चों को एडमिशन कराएं ताकि बच्चों की पढ़ाई न बिगड़े। -रणछोड़ लाल डामोर, जिला शिक्षा अधिकारी स्थानीय दशरथ भगोरा ने बताया कि सितंबर 2023 में कांग्रेस के शासन में राउमावि संचिया स्कूल को महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम में बदल दिया गया। इसके कारण गांव में अब कोई भी हिन्दी माध्यम स्कूल नहीं बची। यहां पर पढ़ने वाले कई बच्चों ने मार्च 2024 में परीक्षा देने के बाद ड्रापआउट हो गए। कुछ आर्थिक रूप से मजबूत परिवार निजी स्कूल की ओर से शिफ्ट हो गए। वहीं हिन्दी माध्यम के कुछ बच्चे अभी भी 10 किलोमीटर दूर कनबा पढ़ने जाते हैं। कस्बे के 7 प्राथमिक स्कूल के 122 बच्चे मार्च में परीक्षा होने के बाद स्कूल नहीं जा रहे है। अप्रैल 2024 के प्रवेशोत्सव में उनके पास कोई स्कूल उपलब्ध नहीं थी। मई में 5वीं बोर्ड का रिजल्ट आने के बाद बच्चे अब मजबूरी में ड्रापआउट हो चुके हैं। उनकी मई, जून और जुलाई के दस दिनों की पढ़ाई बर्बाद हो रही है।

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