भास्कर न्यूज | बाड़मेर शहर के रातानाडा स्थित महालक्ष्मी माता मदिर में श्रीमाली समाज की वेदाध्ययन समिति की ओर से चल रहे 20वें वैदिक एवं कर्मकांड शिविर में बटुक आधुनिक जीवन की चकाचौंध से दूर होकर गर्मी की छुट्टियों का सदुपयोग कर रहे हैं। यहां समाज के पंडितों की ओर से बच्चों को वैदिक कर्मकांड ​िसखाया जा रहा हैं। इसमें बड़ी बात यह है कि आज के दौर में जहां बच्चे सुबह से शाम तक मोबाइल से चिपके रहते हैं। वहीं दूसरी तरफ श्रीमाली समाज के बच्चे वैदिक कर्मकांड व संस्कार सीख रहे हैं। इस प्रकार के शिविरों में बटूकों को धर्म कर्म से जोड़ा जा रहा हैं। बच्चें घरों से दूर रहकर जीवन में संस्कारों का पाठ भी आसानी से पढ़ सकते हैं। शिविर का प्रमुख उद्देश्य बच्चों को संस्कारवान बनाने के साथ-साथ मोबाइल से दूरी बनाते हुए समाज के रीति रिवाजों को जीवंत रखना हैं। ^शास्त्रों के अनुसार धार्मिक कार्य विधि विधान से होने चाहिए। शिविर में इन्ही बातों को सिखाया जा रहा हैं। -नितेश व्यास शिविर के दौरान विद्यार्थियों को पं. सुरेन्द्र कुमार श्रीमाली रुद्राष्टाध्यायी, पं. महेश दवे दुर्गा सप्तशती, पं. सुनील व्यास संध्या कर्म, पं. दिवाकर दवे पंचांग जानकारी व डॉ. महेशचंद्र दवे संस्कृत व्याकरण की जानकारी दे रहे हैं। बिना किसी शुल्क से ये पंडित बटूकों को जागरुक कर रहे हैं। इसके अलावा समाज के लोग व यजमान भी इस शिविर में सहयोग कर रहे हैं। बटुक भी मोबाइल, टीवी आदि से दूरी बनाकर यहां वैदिक कर्मकांड सीख रहे हैं। ^मोबाइल से दूरी बनाते हुए गर्मी की छुट्टियों में वैदिक कर्मकांड सीख रहा हूं। इससे धर्म के प्रति आस्था बढ़ रही हैं। गर्वित वर्तमान में शिविर में बाड़मेर शहर के अलावा सांचौर, बालोतरा, समदड़ी, थोब, कालूड़ी, जसोल, सिवाना सहित आसपास के गांव के 25 विद्यार्थी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। शिविर का संचालन वर्ष 2011 से हो रहा हैं। प्रारम्भ में यह शिविर गैर आवासीय था। लेकिन लगभग 20 वर्षों से यह आवासीय शिविर है। इसमें आज तक लगभग एक हजार बटूकों ने शिक्षा ग्रहण की है। इस शिविर में बटूकों से शुल्क नहीं लिया जा रहा हैै। यह आने वाले बटुक सनातनी वेशभूषा में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। ^शिविर में कर्मकांड की विधि ​िसखाई जा रही है। जो कि जीवन भर उपयोगी है। यहां ज्ञान में वृद्धि होती हैं। -स्वरूप ^मोबाइल से दूरी बनाकर वैदिक कर्मकांड विधि सीख रहा ​हूं। इससे समाज के रीति रिवाजों के संचालन में सुविधा होगी। -निलय दवे वेदाध्ययन समिति का रजिस्ट्रेशन वर्ष 2001 में करवाया गया था। यह समिति का 25वां वर्ष हैं। इसमें 27 सदस्य निशुल्क सेवाएं दे रहे हैं। विद्यार्थियों को नियमित पूजा सूर्य नमस्कार सहित पंचांग देखना, रुद्रा अष्टाध्यायी, दुर्गा सप्तशती व वैदिक कर्मकांड की विधि ​िसखाई जा रही हैं।

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