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भारत और इंग्लैंड के बीच दूसरा टेस्ट बर्मिंघम के एजबेस्टन स्टेडियम में खेला जा रहा है। इस दौरान यशस्वी जायसवाल 87 रन बनाकर आउट हुए। टेस्ट क्रिकेट में 2000 रन बनाने से वो अब सिर्फ 10 रन दूर हैं। इसी के साथ यशस्वी भारतीय टीम के लिए एक भरोसेमंद प्लेयर के तौर पर उभरते हुए नजर आ रहे हैं। 10 साल की उम्र में मुंबई चले आए यशस्वी जायसवाल 10 साल की उम्र में क्रिकेट की ट्रेनिंग के लिए घर से भागकर मुंबई आ गए लेकिन हाथ में न पैसा था न बड़े शहर में कोई जान-पहचान थी। इस दौरान ट्रेनिंग के साथ-साथ वो एक डेयरी में काम करने लगे। यहां कुछ पैसे मिलते और साथ ही डेयरी में रहने के लिए जगह भी मिली। मगर कुछ समय बाद डेरी मालिक ने यशस्वी को काम से निकाल दिया। दरअसल, ट्रेनिंग के बाद वो इतना थक जाते थे कि काम नहीं कर पाते थे। इसी से तंग आकर उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ा। इसके बाद वो ग्राउंड पर ही ग्राउंड्समैन के टैंट में सोने लगे। इस दौरान खर्चा चलाने के लिए वो अपने ही क्रिकेट ग्राउंड के बाहर पानी-पुरी बेचा करते थे। ‘क्रिकेटर बनकर ही लौटूंगा’ जायसवाल की मां कंचन जयसवाल कहती हैं, ‘बेटे की बातें सुनकर हम उसे कहते थे कि घर लौट आ,, इतनी परेशानी हो रही है। लेकिन वो कहता था कि जब तक बड़ा क्रिकेटर नहीं बन जाऊं वापस नहीं आऊंगा। वो उस टैन्ट में रहने में खुश था।’ यशस्वी अपनी मां से कहते थे कि मैदान में ही रहूंगा तो आसान होगा। सुबह उठते ही सामने क्रिकेट दिखता है। इसी संघर्ष के बीच एक दिन यशस्वी पर मुंबई के एक कोच ज्वाला सिंह की नजर पड़ी। यशस्वी के टैलेंट को देखकर न सिर्फ ज्वाला सिंह ने उसे ट्रेनिंग देने बल्कि रहने के लिए जगह और खाना देने का भी फैसला किया। ज्वाला सिंह कहते हैं, ‘मैं उसकी मदद करना चाहता था क्योंकि मेरी भी कहानी कुछ ऐसी ही है। मैं भी कम उम्र में उत्तर-प्रदेश से क्रिकेटर बनने के लिए मुंबई आया था। मैंने भी इसी तरह का संघर्ष किया है। मैंने जब उसे देखा तो वो ग्राउंड्समैन और माली के साथ टैन्ट में रहता था। मैंने उसे कहा कि मैं उसकी पूरी मदद करूंगा।’ अंडर 19 वर्ल्ड कप में मनवाया यशस्वी ने लोहा वर्ष 2020 में साउथ अफ्रिका में अंडर 19 वर्ल्ड कप आयोजित किया गया था। तब पांच अर्धशतक और एक शतक मारकर यशस्वी क्रिकेट की दुनिया में चर्चा में आया था। इस प्रदर्शन पर ही दुबई में आयोजित 2020 आईपीएल में राजस्थान रॉयल की टीम से कुछ मैच खेले थे। प्रदर्शन अच्छा न होने की वजह से ज्यादातर मैच में बाहर रहना पड़ा। यहां से यशस्वी का प्रदर्शन खराब होता चला गया। वह बेहद निराश हो गए। यशस्वी को लगा अब कभी इंडिया से नहीं खेल पाएंगे यशस्वी खेल में सुधार लाने के लिए फिर से अपने पुराने कोच ज्वाला सिंह की शरण में गए। तभी कोरोना का प्रकोप शुरू हो गया। मुंबई समेत देश के सभी राज्यों के स्टेडियम बंद कर दिए गए। ऐसे में यशस्वी को एक समय ऐसा भी लगा कि अब वो कभी इंडिया टीम के लिए नहीं खेल पाएंगे। कोरोना काल में विशेषज्ञों की रिपोर्ट बता रही थी कि कई साल तक ऐसी कंडीशन से गुजरना पड़ेगा। ऐसे में बढ़ती उम्र यशस्वी की निराशा और बढ़ा रही थी। उन्हें लगा कि अब करियर यहीं खत्म हो जाएगा। ——————– ऐसी ही और खबरें पढ़ें… पराग जैन होंगे नए RAW चीफ: ऑपरेशन सिंदूर में था अहम योगदान, पंजाब कैडर के 1989 बैच के IPS हैं शनिवार को भारतीय सरकार ने IPS ऑफिसर पराग जैन को RAW यानी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग का नया चीफ नियुक्त किया है। वो रवि सिन्हा की जगह लेंगे जिनका कार्यकाल 30 जून को पूरा हो रहा है। पूरी खबर पढ़ें…

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