राजस्थान के विमुक्त, घुमंतू और अर्धघुमंतू (DNT) समाजों ने 1 जुलाई को जयपुर में महा-बहिष्कार आंदोलन का ऐलान किया है। इस आंदोलन को लेकर रविवार को पिंक सिटी प्रेस क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई, जिसमें राष्ट्रीय पशुपालक संघ और DNT संघर्ष समिति के अध्यक्ष लालजी राईका और विमुक्त, घुमंतू अर्धघुमंतू जाति परिषद के प्रदेशाध्यक्ष रतन नाथ कालबेलिया ने आंदोलन की रूपरेखा और मांगें साझा कीं। उन्होंने बताया- यह आंदोलन पूरी तरह बहिष्कार की सोच पर आधारित है, क्योंकि सरकारी सिस्टम DNT समाज के अनुकूल नहीं है। आंदोलन के दौरान प्रदेशभर से लोग पारंपरिक वेशभूषा में बैलगाड़ी से जयपुर पहुंचेंगे। वीटी रोड स्थित ग्राउंड पर आयोजित इस प्रदर्शन में करीब 1.23 करोड़ की आबादी वाले DNT समाज से हजारों लोग शामिल होंगे। समाज की ओर से दस प्रमुख मांगें सरकार के सामने रखी गई हैं, जो रेनके और इदाते आयोग की सिफारिशों पर आधारित हैं। रतन नाथ कालबेलिया ने कहा कि वर्तमान आरक्षण व्यवस्था, शिक्षा व्यवस्था और पट्टा नीति में DNT समाज को लगातार नजरअंदाज किया गया है। राईका, देवासी जैसे समाजों को रेबारी से अलग रखा गया, जोगी और कालबेलिया को एक कर दिया गया, जिससे प्रमाण पत्र तक नहीं बन पा रहे। इसी के चलते समाज ने नारा दिया है-‘एक नाम स्वीकार नहीं, तो बहिष्कार सही’। DNT संघर्ष समिति के अध्यक्ष लालजी राईका ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया- पहले पाली और जोधपुर में भी बहिष्कार आंदोलन हुए लेकिन सरकार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इस बार जयपुर में प्रदेशव्यापी आंदोलन होगा। अगर इसके बाद भी सरकार नहीं सुनती है तो आंदोलन गांव-गांव तक ले जाया जाएगा। इस मौके पर DNT समाज की कई जातियों के प्रतिनिधि मौजूद रहे, जिनमें गीता बागरिया, पूनम नाथ सपेरा, बलवंत कंजर, किशना राम देवासी, सवाराम देवासी, सुखराम राईका सहित दर्जनों प्रतिनिधि शामिल थे। सभी ने एक सुर में कहा कि सरकार को यदि DNT समाज के विकास के लिए गंभीर होना है तो नीतियों में मूलभूत बदलाव करना होगा, वरना मौजूदा सिस्टम का बहिष्कार जारी रहेगा।

Leave a Reply