सरकार मेडिकल कॉलेज से पीजी करने वाले डॉक्टर्स पर 1.24 करोड़ रुपए खर्च करती है। लेकिन कोर्स खत्म होने के बाद ये डॉक्टर्स सरकारी अस्पताल में एसआर शिप (इंटर्नशिप) नहीं कर रहे हैं। जबकि इन्हें 2 साल तक सरकारी अस्पताल में सेवाएं देनी होती है। ये बात राजस्थान सरकार ने हाईकोर्ट में लगी रिव्यू एप्लिकेशन में कही है। सरकार की रिव्यू एप्लिकेशन पर हाईकोर्ट की एकलपीठ ने दखल देने से इनकार कर दिया है। जस्टिस समीर जैन की अदालत ने सरकार की रिव्यू एप्लिकेशन को खारिज करते हुए कहा- बदली हुई परिस्थितियों में प्रथम दृष्ट्या सरकार की प्रार्थना उचित प्रतीत होती है, उस पर विचार किया जाना चाहिए। लेकिन मामला डिवीजन बैंच में विचाराधीन है, ऐसे में सिंगल बैंच इस मामले में कोई निर्णय नहीं दे सकती है। दरअसल, राज्य सरकार ने सरकारी मेडिकल कॉलेज से पीजी करने वाले डॉक्टर्स द्वारा एसआर शिप नहीं करने पर हाईकोर्ट में इन डॉक्टर्स के खिलाफ कार्रवाई के लिए रिव्यू-रिकॉल एप्लिकेशन लगाई थी। वहीं, डॉक्टर्स का कहना था कि कोर्स कम्पलीट होने के बाद सरकार ने नियुक्ति देने में देरी की, ऐसे में बॉन्ड और उसकी शर्तें समाप्त हो गई। एक डॉक्टर पर सवा करोड़ खर्च होते हैं
सरकार की ओर से वकील अर्चित बोहरा ने दलील देते हुए कहा- मेडिकल पीजी के तीन साल के कोर्स में एक डॉक्टर पर सरकार करीब 1.24 करोड़ रुपए खर्च करती है। चिकित्सा शिक्षा सचिव अंबरीश कुमार ने बताया- एडमिशन के समय डॉक्टर्स और सरकार के बीच बॉन्ड साइन होता है। इसमें साफ-साफ लिखा होता है कि कोर्स पूरा होने के बाद पीजी करने वाले डॉक्टर्स एसआर शिप जॉइन करेंगे। अन्यथा 10 लाख रुपए जमा कराएंगे। लेकिन इस साल पास होने वाले डॉक्टर्स में से आधे से ज्यादा ने न तो सर्विस जॉइन की और न ही बॉन्ड की राशि जमा करवाई। कोर्स पूरा होते ही डॉक्टर्स ने डॉक्युमेंट्स वापस लिए
दरअसल, नीट पीजी-2021 से सरकारी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने वाले डॉक्टर्स का बैच जनवरी 2025 में पास आउट हो गया। फाइनल एग्जाम होने के साथ ही डॉक्टर्स ने अपने मूल दस्तावेज लेने के लिए हाईकोर्ट में याचिकाएं लगाना शुरू कर दी। हाईकोर्ट ने इस शर्त पर डॉक्यूमेंट्स वापस देने के निर्देश दिए कि डॉक्टर सरकार द्वारा नियुक्ति देने पर एसआर शिप जॉइन करेंगे अन्यथा 10 लाख जमा करवाएंगे। लेकिन जब सरकार ने 1 अप्रेल को एसआर शिप के लिए काउंसलिंग शुरू की तो कोर्ट के आदेश से डॉक्यूमेंट्स लेने वाले आधे से ज्यादा डॉक्टर्स ने न तो एसआर शिप जॉइन की और न ही बॉन्ड के तहत 10 लाख रुपए जमा करवाए। इस साल 456 डॉक्टर्स ने डॉक्यूमेंट लेने की याचिका लगाई। इनमें से केवल 105 डॉक्टर्स ने जॉइन किया, 351 डॉक्टर्स ने एसआर शिप जॉइन नहीं की।
