एक महिला ने अपने पति की मौत के बाद सरकारी स्कूल की तस्वीर बदल दी। करीब साढे 15 लाख रुपए खर्च कर पति के सपनों पूरा किया। वहीं सरकारी टीचर ने वेतन से स्कूल के विकास पर 16 लाख रुपए खर्च कर स्कूल की दशा बदल दी। वहीं वाटर बॉक्स से रिटायर कर्मचारी ने वेतन से 7 लाख रुपए स्कूल के गेट पर खर्च कर दिए। ऐसे 70 भामाशाहों व 25 प्रेरकों को शिक्षा विभाग ने शनिवार को जैन बीएड कॉलेज में आयोजित भामाशाह व प्रेरक सम्मान समारोह में सम्मानित किया गया। वन राज्य मंत्री संजय शर्मा ने भामाशाह व प्रेरकों को सम्मानित किया। भामाशाह सम्मान समारोह में सम्मानित होने वाली महिला केसंती देवी ने कहा कि काली पहाड़ी स्कूल में करीब साढ़े 15 लाख रुपए विकास पर खर्च किए। स्कूल की मरम्मत से लेकर जरूरी काम कराए गए। जिससे स्कूल में पढृने वाले बच्चों को आसानी हुई है। वहीं राउप्रावि कादर नंगला मुंडावर के टीचर सुमित कुमार यादव ने कहा कि मैंने 2022 से अब तक 16 लाख रुपए खर्च कर स्कूल की हालत बदल दी थी। 2012 में स्कूल की हालत जर्जर थी। देखने पर स्कूल भी नहीं लगता था। लेकिन धीरे-धीरे प्रयासों से स्कूल का नक्शा बदल दिया। मेरे पिता भी टीचर रहे। उनसे ही मुझे यह प्रेरणा मिली। जलदाय विभाग के कर्मचारी रामेश्वर दयाल ने कहा मैंने बानसूर के राउमावि गूंता शाहपुर के स्कूल को दुरुस्त कराया, स्कूल का मुख्य गेट बनवाया और बच्चों को स्कूल ड्रेस उपलब्ध कराई। इस काम के लिए स्कूल के प्रिंसिपल व टीचर बाबूलाल मेहरा ने प्रेरित किया। इस कार्यक्रम में ऐसे 70 भामाशाहों को वन मंत्री संजय शर्मा ने सम्मानित किया। जिले भर के टीचर व अन्य लोग कार्यक्रम में मौजूद रहे।