बाड़मेर बायतु विधायक हरीश चौधरी ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को लेकर बड़ा बयान दिया है। हरीश चौधरी ने कहा कि सचिन पायलट में नेतृत्व की क्षमता है। मैं उनकी काबिलियत को सलाम करता हूं। मैं कभी गठजोड़, ठगजोड़ के साथ कभी रहा नहीं। उन्होंने कहा कि मीडिया ने भ्रम फैलाया, पायलट ने कभी मुख्यमंत्री बनने की बात नहीं की। उन्होंने कभी प्रदेशाध्यक्ष या मंत्री बनाने की भी बात नहीं की। उनकी छवि खराब करने के लिए सुनियोजित साजिश रची गई। पायलट ने तर्क के आधार पर यह डिमांड रखी थी कि उनके एमएलए और कार्यकर्ताओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाए। सचिन पायलट राजस्थान के निर्माण के लिए अपने आपको झोक रहा है। पैदल चलता पड़ता है तो चल रहा है। वो सरकार के खिलाफ नहीं था वो मुद्दा के आधार पर था। अब राहुल गांधी के अनुयायी है नरेंद्र मोदी के अनुयायी नहीं है। कांग्रेस के अंदर रहने वाले लोग उनको आदर्श मानते है। नरेंद्र मोदी जैसे राजनीति करते है। हम लोग असली कांग्रेस है। यह सबको पता है कि कौन इस तरीके का गठजोड़ कर रहा है। मुद्दों के आधार पर राजनीति करों। सीबीआई जांच पर बोलते हुए कहा- बीते 10 सालों सत्ता के विधायक के लिए सीबीआई के अंदर केस रेफर किया क्या कमलेश एनकाउंटर में सीबीआई जांच की सिफारिश करने पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम लिए बगैर हरीश चौधरी ने निशाना साधा। चौधरी ने कहा कि बीते 10 सालों में किसी सरकार ने खुद के विधायक के लिए सीबीआई के अंदर केस रेफर किया है। यह पूरा अध्ययन करने की जरूरत है। मैंने जाकर उल्टा धन्यवाद दिया। जो लोग वहां गए उनकी मंशा क्या थी वह सार्वजनिक हो चुकी है। बाड़मेर के दो व्यक्ति थे। उन्हे बेवजह फंसाने के लिए बाड़मेर के दो व्यक्ति सीबीआई जांच की मांग को लेकर गए, वर्तमान में वो दोनों कांग्रेस में नहीं है। उनको भी मैंने मना किया। हरीश चौधरी की आवाज को कोई दबा नहीं सकता है अगर मैं गलत हूं। बीच रास्ते में चलता व्यक्ति भी कह सकता है कि आप गलत हो। तो मैं उससे भी माफी मांग लूंगा। गहलोत के जिले बनाने पर उठाए सवाल हरीश चौधरी ने अपनी सरकार पर बात करते हुए कहा कि कई ऐसे फैसले हुए जैसे जेएनवीयू, आज दूधू को जिला बना दिया कोई व्यक्ति इस तर्क को स्वीकार करेगा क्या? केवल वाहावाही लेने के लिए यह बात करी। बायतु जिला बनाने का मुझे किसी ने कहा, अगर मैं बायतु को जिला बना दूं तो तार्किक तौर पर सही था। कई ऐसे फैसले थे। हमारा संविधान क्या कहता है कॉलिबेरेटिव चीजे होनी चाहिए। भैरूसिंह शेखावत ने जिस दिन बिजनेस रुल्स में फेरबदल किया उस दिन आगे बढ़ता राजस्थान ठप हो गया। किसी मुख्यमंत्री ने फेरबदल नहीं किया, मैंने वो बात कई बार उठाई। आज भी यही कहना चाहता हूं राजस्थान के तमाम कैबिनेट सदस्य को, बिजनेस रुल्स को फेरबदल करों जो सही लोकतांत्रित प्रणाली राजस्थान में स्थापित करों। फोन टैपिंग बड़ा अनैतिक कृत्य, नेतृत्व योग्य नहीं फोन टेपिंग पर चौधरी ने कहा कि अगर फोन टैपिंग हुआ है तो बड़ा अनैतिक है। जो व्यक्ति अनैतिक कृत्य करता है वो व्यक्ति नेतृत्व के लिए योग्य नहीं है। कोई भी व्यक्ति हो, जिस किसी ने फोन टैप करा है। वो योग्य व्यक्ति नहीं है। अब सवाल यह उठता है कि फोन टैपिंग हुई है या नहीं। फोन टैपिंग हुई है तो किसने करी है यह दोनों सवाल है इसकी पूरी जांच होनी चाहिए। अगर कोई यह कुतर्क दे कि सरकार बचाने के लिए तो मैं कहना चाहूंगा कि हम गांधी और नेहरू के अनुयायी है हम राहुल गांधी और खड़गे जी के अनुयायी है। कई सरकारें कुर्बान है। सरकार बचाने और सरकार चलाने के लिए इस तरीके के कृत्य किसी भी तर्क से सही नहीं है। किसी ने सरकार बचाने के लिए पार्टी के अंदर यह बात नहीं की। अशोक गहलोत पर साधा निशना- मुख्यमंत्री खुद छात्रसंघ चुनाव रोके, फिर कहे छात्र राजनीति मेरा प्यार छात्र संघ चुनाव पर हरीश चौधरी ने कहा- मैंने मेरी सरकार के समय भी चुनाव करवाने की मांग उठाई थी। गहलोत जी वो चुनाव किस कारण नहीं करवाए। मुझे यह समझ में नहीं आया अशोक गहलोत जी कहते है कि मैं छात्र राजनीति से आया हूं, मेरा पहला प्यार उससे है। मैं छात्र संघ राजनीति से आया हूं और मैं मुख्यमंत्री रहूं और छात्रसंघ चुनाव रोको, फिर मैं कहूं कि मुझे छात्र राजनीति से प्यार है। यह फैसला प्यार नहीं दिखा रहा है। मैंने उस वक्त भी कहा कि छात्रसंघ चुनाव को मत रोका। छात्रसंघ चुनाव करवाने से वोटों पर प्रभाव नहीं पड़ रहा था। पता नहीं कौन सलाहकार थे। आज उसमें से कई सलाहकार बीजेपी की सरकार में है। वो सत्ता के ईदगिर्द रहने वाले लोग है। किसी सलाह से किया है वो मुझे पता नहीं है। राजस्थान में सरकार नहीं, राजस्थान के अनुरूप फैसले नहीं बजट पर बोलते हुए हरीश चौधरी ने कहा कि राजस्थान में सरकार ही नहीं है। यह पूरा राजस्थान जानता है। सरकार नाम की कोई चीज ही नहीं है। यह फैसला कौन ले रहा है यह सब जानते है। धरातल पर जनता को जो चीज चाहिए थी। इसमें नहीं थी। जब यह सरकार बनी है। जो फैसले हो रहे राजस्थान धरातल के अनुरूप फैसलें नहीं हो रहे है। यह हमारा दुर्भाग्य है। जेएनवीयू यूनिवर्सिटी फैसले पर मैं विपक्ष से मिला लेकिन कोई आगे नहीं आया, मैं अकेला पड़ गया विधानसभा में जोधपुर यूनिवर्सिटी को मर्ज करने पर हरीश चौधरी कहा कि जोधपुर जयनारायण विश्वविद्यालय से अलग विश्वविद्यालय बन रहा था उस समय मैं खुद अशोक गहलोत से जाकर मिला हूं। आज की तमाम परिस्थितियों के बारे में अवगत करवाया था। उनको तर्क के साथ धरातल की स्थिति को बताया। पूरे पांच साल में एक बार विपक्ष के पास गया था। उस समय प्रतिपक्ष नेता राजेंद्र राठौड़ से मिला था। तब मैंने उनको भी कहा कि आप छात्र राजनीति से आए हो आप इसको महसूस कर सकते हो। आप इस फैसले को रोको। ऐसी परिस्थिति कोई बोल नहीं रहा था और मैं अकेला पड़ गया था। इस बार में तमाम पूर्व के छात्रसंघ अध्यक्ष दलगत राजनीतिक से ऊपर उठकर चाहे वो गजेंद्रसिंह जी, बाबूसिंह जी उन तमाम लोगों के पास जाकर उनसे इस विश्वविद्यालय और जोधपुर डिवीजन और युवाओं के भविष्य के लिए उनके पास जाकर मदद मागूंगा। उनको मैं कहूंगा कि इनका नेतृत्व करें और उनको हक दिलावें। आरपीएससी मैंबर चयन पर किए सवाल खड़े हरीश चौधरी ने कहा- वीके सिंह एक काबिल पुलिस अधिकारी है। यह हम सब लोग अच्छी तरह से जानते है। राजस्थान में इस्ट्राफक्चर से बड़ा आज राजस्थान में सबसे बड़ा नौजवानों का भविष्य है। मानव संसाधन रहेगा तो राजस्थान रहेगा। वो अगर बेहतरीन रहेगा तो राजस्थान बेहतरीन रहेगा। जय-जय राजस्थान तब होगा जब युवाओं का जय-जय होगी। पेपर लीक, नकलों, परीक्षा में जिस प्रकार की प्रणाली हुई है। आरपीएससी के अंदर जिन लोगों को बैठाया गया। मैं सरकार में रहकर भी बोला, कई फैसले हुए भी है चौधरी ने कहा कि मैं सरकार में था चाहे जब कैबिनेट मंत्री था तब भी कैबिनेट मीटिंग में बोला था। इसके बाद भी बोलता आ रहा था। ऐसी बात नहीं है मेरी बात मानते थे। कई ऐसे फसलें भी करवाए। विकास के काम मेरे यहां पर सबसे बेहतरीन हुए है। बायतु की जनता की ताकत से पिछले पांच सालों में सबसे अधिक काम हुए है। राजस्थान में नंबर एक बायतु है। उपचुनाव में बेनीवाल से गठबंधन पर कहा अगर गठबंधन होगा पूरी ताकत से साथ रहेंगे हरीश चौधरी ने उपचुनाव में बेनीवाल से गठबंधन पर बोलते हुए कहा – हमारा राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन हो जाता है। फिर हम लोग उस गठबंधन को भावना के तौर पर मानते है। उस समय पर हमारी सोच और ईगो बीच में नहीं आता है। जिस किसी से गठबंधन होगा। उसे ईमानदारी से फॉलो करेंगे। यही राजनीतिक में लोकतंत्र रहता है। अगर 5 सीटों पर गठबंधन पर सहयोगी लड़ेगे तो पूरी ताकत से उनकी मदद करेंगे। गठबंधन से नहीं लड़ेगे तो हमारी पार्टी का जो प्रत्याशी होगा उसका पूरी ताकत से सहयोग करेंगे।