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पीबीएम हॉस्पिटल में 10-15 साल पुराने उपकरणों से घायलों की सर्जरी हो रही है। उपकरण खरीदने के लिए पांच करोड़ रुपए के बजट प्रस्ताव भेजे थे, जिन्हें कम करके एक करोड़ तक ही सीमित कर दिया गया है। इमरजेंसी ऑपरेशन थिएटर भी एक ही है। एक ओटी सालभर से बंद पड़ा है। मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना, निरोगी राजस्थान सहित सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत एसपी मेडिकल कॉलेज और पीबीएम हॉस्पिटल में करोड़ों रुपए की दवाओं और सर्जिकल आइटम्स की खरीद होती है। उसके बाद भी घायलों और मरीजों की सर्जरी के लिए 10-15 साल पुराने उपकरणों से ही काम चलाना पड़ रहा है। पिछले दिनों सरकार ने सभी मेडिकल कॉलेजों में सर्जिकल उपकरण आदि की खरीद के लिए करीब 200 करोड़ का बजट जारी किया था। उसे देखते हुए जनरल सर्जरी विभाग ने पांच करोड़ के सर्जिकल उपकरण, ओटी, बेड आदि संसाधनों की डिमांड भेज दी। पता चला है कि एसपी मेडिकल कॉलेज के हिस्से में 15 से 17 करोड़ रुपए ही आए हैं। तब डिमांड पर भी कैंची चल गई। उपकरणों में कटौती करते हुए अब प्रस्ताव एक करोड़ के रह गए हैं। यह भी मिलेगा या नहीं, इसे लेकर भी संशय बना हुआ है। इसी प्रकार इमरजेंसी ओटी की कमी भी खल रही है। भास्कर ने पड़ताल की तो पता चला कि जनरल सर्जरी विभाग के ऑपरेशन थिएटर में तीन टेबल रुटीन में चलती है। सप्ताह के छह दिन में 150 से 200 ऑपरेशन होते हैं। इमरजेंसी ऑपरेशन थिएटर एक ही है, जो 24 घंटे चलता है, जहां छोटे-मोटे 15 से 20 मरीजों के ऑपरेशन रोज होते हैं। केस की बढ़ती संख्या को देखते हुए कम से कम दो इमरजेंसी ओटी होने चाहिए। अॉर्थो का एक पुराना ओटी एक साल से बंद है, जिसे शुरू करने के लिए भामाशाह से सहयोग मांगा जा रहा है। ट्रॉमा में दो इमरजेंसी ओटी है पर संसाधन नहीं ट्रॉमा सेंटर में इमरजेंसी ऑपरेशन के लिए दो ओटी हैं, जहां सामान्यत ऑर्थो और न्यूरो सर्जरी के ऑपरेशन होते हैं। जनरल सर्जरी के केस कम होते हैं। उनके मरीजों को ए ब्लॉक स्थित ऑपरेशन थिएटर में शिफ्ट किया जाता है। सर्जरी विभाग के यूनिट हेड डॉ. सलीम का कहना है कि ट्रॉमा के ओटी में संसाधन पूरे नहीं हैं। लाइट भी कमजोर है। एसी की बड़ी समस्या है। बहुत ज्यादा इमरजेंसी होने पर ही ट्रॉमा का ओटी यूज किया जाता है। ज्यादातर केस विभाग के ओटी में ही किए जाते हैं। इमरजेंसी ऑपरेशन के लिए उपकरण 1 माह बाद भी नहीं मिले ऑपरेशन सिंदूर के दौरान आपात स्थिति में घायलों के ऑपरेशन करने के लिए जनरल सर्जरी, ऑर्थो, न्यूरो सर्जरी, एनेस्थीसिया विभाग के एचओडी की कमेटी पिछले महीने बनाई गई थी। इस कमेटी ने अपने-अपने विभाग के लिए उपकरणों और दवाओं की डिमांड अधीक्षक को भेज दी। वह सामान एक महीने बाद भी इन विभागों को नहीं मिला है। दरअसल कुछ कंपनियों के कोटेशन मंगवाए गए थे। सबसे कम कीमत वालों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए तो खरीद ही नहीं हो पाई। लेप्रोस्कॉपी सेट ही यूरोलॉजी को दे दिया वर्ष 2023 में जनरल सर्जरी विभाग के लिए लेप्रोस्कॉपी का सेट खरीदा गया था, जो यूरोलॉजी विभाग को दे दिया गया। हैरानी की बात ये है कि इसका खुलासा चिकित्सा शिक्षा सचिव अंबरीश कुमार की कुछ समय पहले हुई मीटिंग में हुआ। सचिव सभी विभागों के हेड से अलग-अलग बात कर रहे थे। सर्जरी का नंबर आया तो उन्होंने रिकॉर्ड देखकर उपकरणों के संबंध में एचओडी डॉ. मनोहर दवां से पूछताछ की। डॉ. दवां ने बताया कि लेप्रो की एंट्री सर्जरी विभाग में कर रखी है, जबकि उन्हें उपकरण दिया ही नहीं गया। इमरजेंसी में सर्जिकल आइटम्स खरीदने के लिए प्रस्ताव मांगे, लेकिन अब तक नहीं मिले

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