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सस्ता सफर: 362 मार्गों पर अनुबंध पर चलेगी रोडवेज ग्रामीण बस सेवा, सबसे ज्यादा 22 रूट उदयपुर में, बाड़मेर डिपो से 16 गाड़ियां

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प्रदेश में 362 रूट पर चलने वाली बसों में भीलवाड़ा और जोधपुर डिपो से 14–14 बसें संचालित की जाएगी। वहीं, बारां व बांसवाड़ा डिपो से 12–12 बसें गांवों के लिए चलाई जाएगी। इनके अलावा आबूरोड डिपो से 2, अजमेर से 5, अलवर से 6, अनूपगढ़ से 5, बीकानेर से 9, बूंदी से 9, भरतपुर से 7, ब्यावर से 3, चूरू से 4, चित्तौड़गढ़ से 11, डीडवाना से 5, धौलपुर से 6, डूंगरपुर से 10, दौसा से 9, फालना से 7, श्रीगंगानगर–खेतड़ी से 5–5, हनुमानगढ़–टोंक से 7–7, हिंडोन करौली से 12, झुंझुनूं से 5, जालोर से 13, झालवाड़ से 8, जैसलमेर से 9, कोटा से 5, कोटपुतली–शाहपुरा से 4–4, नागौर–राजसमंद से 8–8, पाली–सीकर से 6–6, फलोदी से 13, प्रतापगढ़–तिजारा–सवाई माधोपुर से 5–5 बसें चलाई जाएगी। ग्रामीण परिवहन बस सेवा के संचालन के प्रस्ताव तैयार करने में तीन मापदंडों का ध्यान रखा गया है। जिसमें पहला परिवहन सेवा से वंचित गांव, दूसरा वाहन संचालन के अनुरुप सड़क व स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मांग को प्रमुखता दी गई है। इन मार्गों पर चलने वाली बसें 22 सीट की होगी और डिलक्स बसें होंगी। ये गाड़ियां 1 अप्रैल 2020 से पुरानी नहीं होगी। वहीं, बस ऑपरेटर के साथ अगले छह साल के लिए संचालन का अनुबंध रहेगा। कोई भी ऑपरेटर अगर बीच में अनुबंध की शर्तें तोड़ेगा तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। भास्कर न्यूज नेटवर्क प्रदेश में 7 साल बाद एक बार फिर ग्रामीण क्षेत्रों में राजस्थान रोडवेज प्रबंधन अपनी ग्रामीण बसें चलाएगा। ये बसें प्राइवेट ऑपरेटर्स की होंगी, मगर रोडवेज से रेवेन्यू शेयरिंग अनुबंध होगा। रोडवेज ने अलग–अलग बस डिपो से 362 रूट तय कर टेंडर के लिए आवेदन मांगे हैं। इनमें सबसे ज्यादा रूट उदयपुर डिपो में 22 निर्धारित किए गए हैं। इसके बाद बाड़मेर में 16 बसें चलेंगी। इसी तरह रोडवेज के अलग–अलग डिपो से 2 से लेकर 14–14 बसें संचालित की जाएगी। इन बसों के शुरू होने से प्रदेश के सैकड़ों पंचायत मुख्यालय रोडवेज बस सेवा से जुड़ पाएंगे। निजी बस संचालकों की किराए को लेकर चल रही मनमानी से भी निजात मिल पाएगी। रोडवेज मुख्यालय के निर्देश पर सभी डिपो ने ये प्रस्ताव बनाकर भेजे हैं। इनमें बहुत से मार्ग पिछली बार वाले ही हैं। मगर इनको विस्तार किया गया है। ये बसें गांवों को जिला मुख्यालय से भी जोड़ेंगी। यह वे रूट हैं, पहले से कोई रोडवेज बसें नहीं चल रही। न ही लोक परिवहन की बसों का संचालन हो रहा है। अधिकतर मार्गों पर अवैध जीप व बसों से यात्रियों को सफर करना पड़ रहा है। ये वाहन में यात्रियों को भेड़ बकरियों की तरह ढूंस–ढूंस कर भर रहे हैं। साथ ही मनमाना किराया भी वसूला जा रहा है। जबकि रोडवेज के नियमों के अनुसार ग्रामीण बस सेवा ऑपरेटर एक यात्री से एक किमी के डेढ़ रुपए से ज्यादा रुपए नहीं वसूल पाएगा।

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