उदयपुर में सागवान की तस्करी का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। रविवार देर रात सागवान की लकड़ी से भरी एक बोलेरा व एक पिकअप गाड़ी पकड़ी गई। इन गाड़ियों को पकड़ने वाले वन विभाग के कर्मचारियों का आरोप है कि इन गाड़ियों को ओंगणा थाना पुलिस और ओगणा के रेंजर एस्कॉर्ट कर रहे थे। जब इन गाड़ियों को रोका गया तो उन्होंने मौखिक रूप से धमकाया भी। दूसरी ओर, पुलिस व रेंजर का कहना है कि एस्कॉर्ट करने और धमकाने के आरोप गलत हैं। भास्कर की पड़ताल में यह भी सामने आया है कि ये लकड़ियां किसी बड़े अधिकारी के घर पर भेजी जा रही थी। जहां इनके जरिये फर्नीचर बनना था। फिलहाल वन विभाग ने गाड़ियों को जब्त कर गोगुंदा रेंज की नर्सरी में रखा है। लकड़ियों का तौल नहीं हुआ है। हालांकि, इसकी कीमत 150 से 200 रु. स्कावयर फीट होती है। माना जा रहा है कि दोनों गाड़ियों में करीब एक लाख रुपए का माल था। लकड़ियों को 70 किमी दूर ओगणा रेंज के पड़ावली इलाके से काटा गया था। इन्हें गोगुंदा रेंज और सीसीएफ कार्यालय की मूल्यांकन टीम ने गोगुंदा एरिया में पकड़ा। हालांकि, लकड़ियां तस्करी होने की सूचना ओंगणा के स्टाफ ने ही उन तक पहुंचाई थी। एक स्थानीय मेडिकल ऑफिसर भी साथ थे, उन्होंने भी धमकाया लकड़ियां रविवार रात करीब 10 बजे ओंगणा रेंज से लेकर गाड़ियां गोगुंदा की तरफ निकली। इसे पकड़वाने वाले ओगणा के वनरक्षक मांगीलाल चौहान और वर्क चार्ज इंचार्ज र| सिंह ने आरोप लगाया कि इन गाड़ियों को ओगणा थाने के स्टाफ और ओगणा रेंजर राजेंद्र महला ने एस्कॉर्ट कर रेंज का एरिया पार करवाया था। उन्होंने बताया कि रविवार को स्टाफ कम था। उन्होंने गोगुंदा रेंज में सूचना दी। वहां गाड़ियों को वनरक्षक संजय जोशी, वनरक्षक हेमंत, नरेंद्र पुरी गोस्वामी, मणिलाल पाटीदार, हेमेंद्र सिंह चौहान व गणेश, कैटल गार्ड गंगासिंह, बलवंत व सुरेंद्र सिंह के साथ ड्राइवर विष्णु शर्मा ने रोका। एक गाड़ी में गोगुंदा के स्थानीय चिकित्सा अधिकारी और पुलिस की 112 जीप का स्टाफ मौजूद था। इन्होंने कर्मचारियों को धमकाया।