भास्कर संवाददाता | बांसवाड़ा एमजी अस्पताल में आंचल मदर मिल्क बैंक की स्थापना के 7 साल 9 जुलाई को पूरे हो गए हैं। बांसवाड़ा संभाग का यह पहला ऐसा बैंक है, जहां माताएं, अन्य माताओं के नवजातों की जान बचाने के लिए अपना दूध दान करती है। स्थापना से सात साल में अब तक 12 हजार 540 माताओं ने 25 लाख 81 हजार 918 एमएल (2581.918 लीटर) दूध का दान कर 5521 नवजात शिशुओं की जान बचाई है। ये सभी शिशु एमजी अस्पताल के ही एमसीएच (मातृ एवं शिशु अस्पताल) में जन्म के बाद गंभीर होकर यहीं के एसएनसीयू (स्पेशल न्यूबोर्न केयर यूनिट) में भर्ती हुए थे। कुछ नवजात बांसवाड़ा जिला सहित प्रतापगढ़ और पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश के नीमच, रतलाम के बार्डर पर बसे गांवों से रैफर होकर आए थे। बैंक के प्रभारी डॉ. कांतिलाल मईडा ने बताया कि बैंक का संचालन महिला स्टाफ ही करता है। सीनियर नर्स पूनम सुथार, वरखा मैथ्यू, हंसा सिसौदिया, हर्षा ित्रवेदी, गीता डामोर, विष्णु व मोनिका करते हैं। सभी ने धात्री माताओं से दूध लेने, दूध को सुरक्षित रखने आदि की स्पेशल ट्रेनिंग ली है। एमजी अस्पताल के पीएमओ डॉ. खुशपाल सिंह राठौड़ बताते हैं कि मां के दूध में कई प्रकार के एंटीबॉडीज पाए जाते हैं, जो शिशु को बैक्टीरिया और वायरस से सुरक्षित रखते हैं। कुछ स्टडीज में पाया है कि जिन बच्चों को 6 महीने तक मां का दूध नहीं पिलाया जाता है। उनमें कई प्रकार की संक्रामक बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है। मां का दूध नहीं पीने वाले बच्चों को कान में इंफेक्शन, डायरिया, श्वसन मार्ग से जुड़ी समस्याएं अधिक होती है। सबसे बड़ी बात ये कि जन्म से 6 माह तक अगर शिशु को मां का दूध नहीं मिले तो उसे इसका जीवनभर नुकसान होता है, क्योंकि ये 6 माह ही उसे जीवनभर बीमारियों से दूर रखने के लिए शरीर में एंटीबॉडीज तैयार करने में अहम होते हैं। मदर मिल्क बैंक शुरू होने के बाद शिशुओं की मृत्युदर को कम करने में काफी फायदा मिला है। एमजी अस्पताल के एसएनसीयू (स्पेशल न्यूबोर्न केयर यूनिट) प्रभारी डॉ. रंजन चरपोटा के अनुसार हमारे एसएनसीयू में जन्म के बाद गंभीर होने वाले नवजातों के इलाज के लिए 18 बेड हैं। साल 2011 में एसएनसीयू शुरू हुआ था। 2017 तक हर माह 18 से 20 प्रतिशत मृत्युदर रहती थी और रिकवरी रेट 60 से 65 प्रतिशत थी, लेकिन 2017 में मदर मिल्क बैंक शुरू होने के बाद शिशुओं की जान बचाने में काफी मदद मिली। मृत्युदर घटकर 8 से 10 प्रतिशत और इनकी रिकवरी रेट बढ़कर 75 से 80 प्रतिशत तक पहुंच गई है। मृत्युदर में 10 प्रतिशत यानी घटकर अाधी रह गई, वहीं रिकवरी रेट 20 प्रतिशत तक बढ़ गई। बांसवाड़ा कुपोषण के चलते शिशु मृत्यु दर में प्रदेश में पहले और दूसरे नंबर पर रहता था, लेकिन मदर मिल्क बैंक के आने के बाद अब टॉप-10 से बाहर हो चुका है।