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अरावली पर्वत श्रृंखला में छप्पन की पहाड़ियां है। ये पहाड़ियां सिवाना-सिणेर में करीब 10 किमी. तक फैली है और इन पहाड़ियों पर 300 मीटर ऊंचाई पर हल्देश्वर महादेव का मंदिर स्थित है। 7 पहाड़ों काे पैदल पार करने पर हरे-भरे जंगल और झरनों की कलकल आवाज के बीच हल्देश्वर महादेव मंदिर की खूबसूरती बढ़ रही है। सावन के महीने में यहां बारिश की फुहारें खुशियां लेकर आती है और पूरे महीने रिमझिम तो कभी तेज बौछारें चलती है। पहाड़ों से गिरते झरनों के बीच महादेव के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। हल्देश्वर महादेव मंदिर तक कच्चा सड़क रास्ता तैयार हुआ है। इस बार मेले में श्रद्धालु मंदिर तक गाड़ी लेकर जाएंगे, हालांकि बारिश ज्यादा होने की स्थिति में यह रास्ता बेहद खतरनाक है। हर समय हादसे का खतरा रहता है। सिवाना शहर से महज 4 किमी. की दूरी पर पीपलून गांव है, जहां से पहाड़ की चढ़ाई शुरू होती है। पहाड़ों के ऊपर छाई बादलों की धुंध और हरे-भरे जंगल के बीच झरनों की आवाज श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रही है। हल्देश्वर महादेव मंदिर के पास ही पवित्र जल कुंड है, जिसमें सालभर पवित्र जल भरा रहता है। भक्त उस जल को बोतलों में भर कर घर ले जाते हैं। हल्देश्वर महादेव मंदिर की मान्यता
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार छप्पन पहाड़ियों पर कभी हल्दिया नामक राक्षस का आतंक था। उस राक्षस के आतंक को खत्म करने के लिए ग्रामीणों ने भगवान शिव की आराधना की थी। इसके बाद भगवान शिव एक पीपल के पेड़ के नीचे प्रकट हुए थे और राक्षस का वध कर ग्रामीणों को भयमुक्त किया था। इसी पहाड़ी पर गुरु गोरखनाथ की गुफा और धूणी (पवित्र अग्नि) स्थित है। इसके अलावा महाभारत काल में पांडवों ने अपना अज्ञातवास यहीं बिताया था। महंत भीमगिरी महाराज का कहना है कि यह मंदिर द्वापर कालीन है। यहां श्रीकृष्ण के भाई हलधर बलराम ने शिव की तपस्या की थी, जिसके बाद भगवान शिव प्रकट हुए। तब से यह स्थान हल्देश्वर के नाम से जाना जाता है। हरे-भरे जंगलों के बीच हैं सिवाना की हल्देश्वर की पहाड़ियां
सावन के महीने में यहां बारिश से झरनों की कल-कल अलग ही सुकून देती है। चारों तरफ पहाड़ों पर हरियाली, बादलों की घटाएं और धुंध के साथ ठंडी हवा चलती है। जब 7 किमी. पैदल चलने के साथ भक्त मंदिर तक पहुंचते हैं तो यहां का नजारा मिनी माउंट सा लगता है। यहां पूरे साल देशी पर्यटक आते रहते हैं। इसके अलावा बीच रास्ते में वीर दुर्गादास प्रोल भी है, उसे देखने के लिए भीड़ लगी रहती हैं। यहां हल्देश्वर के अलावा सुखलेश्वर महादेव, पांडेश्वर महादेव, कोटेश्वर महादेव, भीड़ भजन महादेव सहति कई मंदिर हैं।

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