सीकर में नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) के जिला अध्यक्ष ओमप्रकाश नागा ने पुलिस को सरेंडर कर दिया है। नागा ने 19 अप्रैल को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के काफिले में घुसकर काले झंडे दिखाकर विरोध किया था। सुरक्षा चूक के चलते 3 पुलिस कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है। उद्योग नगर थाना पुलिस ने NSUI जिलाध्यक्ष को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। उन्हें गुरुवार सुबह कोर्ट में पेश किया जाएगा। नागा कांग्रेस जिलाध्यक्ष सुनीता गठाला, प्रवक्ता गोविंद पटेल, संगठन महामंत्री पुरुषोत्तम शर्मा सहित अन्य कार्यकर्ताओं के साथ थाने पहुंचे। कांग्रेस जिलाध्यक्ष सुनीता गठाला ने कहा- प्रजातंत्र में विरोध-प्रदर्शन करना संवैधानिक अधिकार है और इसी के तहत नागा ने मुख्यमंत्री के खिलाफ विरोध दर्ज किया। उन्होंने विश्वास जताया कि कोर्ट में पेशी के बाद नागा को जमानत मिल जाएगी। सुरक्षा चूक पर पुलिस और प्रशासन सख्त
मुख्यमंत्री के काफिले में सुरक्षा चूक के चलते पुलिस ने तीन कांस्टेबलों – हेमराज (सीकर), कोमल (सीकर), और मेघराज (बीकानेर) को निलंबित कर दिया है। प्रारंभिक जांच के आधार पर बजरंग कांटा से डिपो तिराहे तक तैनात पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विस्तृत जांच शुरू की गई है। साथ ही, काफिले के बीच सांड घुसने की घटना को लेकर नगर परिषद ने जोन निरीक्षक को चार्जशीट जारी की है और जिला कलक्टर मुकुल शर्मा ने नगर परिषद आयुक्त से लिखित स्पष्टीकरण मांगा है। पहले भी हुई थी गिरफ्तारी
इससे पहले काले झंडे दिखाने के आरोप में NSUI के छह कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन कांग्रेस के विरोध-प्रदर्शन के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। NSUI और अन्य संगठनों ने मुख्यमंत्री के शेखावाटी दौरे से पहले ही ‘सीकर संभाग बहाल करो’ जैसे नारों के साथ विरोध की घोषणा की थी। इसके बावजूद, पुलिस को इसकी पूर्व सूचना नहीं मिली, जिसे सुरक्षा व्यवस्था में बड़ी चूक माना जा रहा है। पुलिस और जिला प्रशासन ने इस मामले में अलग-अलग जांच शुरू कर दी है। काफिले में घुसकर जताया था विरोध
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के तीन दिवसीय शेखावाटी दौरे के दौरान NSUI कार्यकर्ताओं ने 19 अप्रैल को उनके काफिले में घुसकर काले झंडे दिखाकर विरोध जताया था। इस घटना पर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई शुरू की, लेकिन काफिले में सांड घुसने और विरोध की पूर्व सूचना न मिलने से प्रशासन की किरकिरी हुई। अब NSUI जिलाध्यक्ष नागा के सरेंडर और पुलिस की कार्रवाई ने इस मामले को और चर्चा में ला दिया है। यह घटना न केवल राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बनी है, बल्कि प्रशासनिक स्तर पर सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने की आवश्यकता को भी रेखांकित करती है।