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झुंझुनूं में छुट्टी पर गांव आए आर्मी के सूबेदार भंवरलाल महला (43) का मंगलवार रात हार्ट अटैक से निधन हो गया। ग्रामीणों ने बुधवार को 5 किलोमीटर की तिरंगा यात्रा निकाल कर उन्हें अंतिम विदाई दी। बास का नानक गांव में भंवरलाल की पत्नी ने जब उनके अंतिम दर्शन किए तो वह बेसुध हो गईं। बेटी ने बिलखते हुए पिता के गाल पर हाथ लगाकर दुलारा। सेना के जवानों ने उनके बेटे को तिरंगा सौंपा। सैन्य सम्मान के साथ भंवरलाल का अंतिम संस्कार किया गया। बेटे ने उन्हें मुखाग्नि दी। भंवरलाल भारतीय सेना में 2 जाट रेजिमेंट में थे। उन्होंने 28 फरवरी 1998 को सेना जॉइन की थी। 2 साल से उनकी पोस्टिंग लेह (लद्दाख) में 5 RR यूनिट में थी। सूबेदार भंवरलाल महला के पिता, ताऊ और चाचा सेना में रह चुके हैं। उनके 8 चचेरे भाई भी सेना में हैं। 5 दिन पहले आए थे घर
भंवरलाल महला 12 जून को छुट्टियों पर अपने घर आए थे। मंगलवार रात उनकी तबीयत बिगड़ गई। उन्हें बीडीके अस्पताल लेकर गए, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। अस्पताल से गांव तक पार्थिव देह के साथ 5 किलोमीटर लंबी तिरंगा यात्रा निकाली गई। इसमें युवाओं के साथ बुजुर्ग भी शामिल हुए। हाथों में तिरंगा और वंदेमातरम, भारत माता की जय के नारे लगाते हुए तिरंगा यात्रा उनके घर पहुंची। इस दौरान जिला सैनिक कल्याण अधिकारी भी मौजूद रहे। उन्होंने पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। देखिए, सूबेदार भंवरलाल महला के अंतिम संस्कार से जुड़ी तस्वीरें… पिता-चाचा और ताऊ भी सेना में रहे
सूबेदार महला के एक बेटा और एक बेटी है। बेटी बीएससी नर्सिंग की पढ़ाई कर रही है। बेटा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटा हुआ है। घर में माता-पिता, भाई और उनके बच्चे रहते हैं। भंवरलाल महला का परिवार पूरी तरह सेना से जुड़ा हुआ है। उनके पिता महादाराम महला सेना में हवलदार के पद से रिटायर्ड हुए हैं। ताऊ फूलचंद भी हवलदार के पद से रिटायर थे। कुछ दिनों पहले ही उनका निधन हुआ था। वहीं, चाचा ताराचंद भी सेना में हवलदार रहे हैं। यही नहीं, उनके 8 चचेरे भाई भी सेना में सेवा दे रहे हैं।

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