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कृषि विज्ञान केंद्र रायपुर, कृषि एवं उद्यानिकी विभाग ब्यावर, कृषि विश्व स्कूल जोधपुर, काजरी जोधपुर के संयुक्त तत्वाधान से विकसित कृषि संकल्प अभियान का आगाज 7 जून को सेंदड़ा में किया गया । इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रधान कमला चौहान रही। उन्होंने इस कार्यक्रम में किसान एवं किसान महिलाओं को प्राकृतिक खेती अपनाने की सलाह दी। सेन्दडा सरपंच रतन सिंह भाटी ने ग्रामवासियों को विकसित कृषि संकल्प अभियान का उद्देश्य समझाया एंव साथ ही ग्रामवासियों को ज्यादा से ज्यादा सरकारी कृषि एंव उद्यानिकी विभाग की योजनाओं का फायदा लेने के लिए प्रेरित किया। कृषि विश्वविद्यालय जोधपुर से आए डॉ गौरांग ने कीट एवं रोग संक्रमण के लिए एकीकृत प्रबंधन पद्धतियों का उपयोग करने की सलाह दी एंव मिर्च में सफेद मक्खी के संक्रमण से संबंधित किसानों की समस्या के जवाब में उन्होंने पीले चिपचिपे जाल का उपयोग करने तथा संतुलित उर्वरक एवं पानी का उपयोग करने की सलाह दी। दीमक की समस्या के समाधान के लिए दीमक के घर को नष्ट करने की सिफारिश की गई। किसानों को परागणकों एवं शिकारियों जैसे लाभदायक कीटों को आकर्षित करने के लिए फूलदार पौधे लगाने का भी सुझाव दिया गया। उन्होंने कृषि में लाभकारी कीटों की भूमिका तथा किस प्रकार वे उत्पादक एवं सतत कृषि में हमारी सहायता कर सकते हैं, इस पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर आईसीएआर-शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान, जोधपुर के वैज्ञानिक डॉ. ओमप्रकाश मीणा ने बढ़ते रासायनिक खादों और कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग पर चिंता जताते हुए बताया कि यदि समय रहते हम सजग नहीं हुए, तो हमारी उपजाऊ भूमि निकट भविष्य में बंजर होने की कगार पर पहुंच सकती है। उन्होंने सॉइल टेस्ट आधारित फर्टिलाइज़र रिकमेंडेशन की उपयोगिता पर ज़ोर देते हुए कहा कि मिट्टी की जांच के आधार पर ही उर्वरक डालना न केवल पर्यावरण के लिए हितकारी है, बल्कि लागत में भी बचत करता है।
डॉ. मीणा ने किसानों को हरी खाद, वर्मी कंपोस्ट (केचुए खाद) और जिप्सम के महत्व को समझाया। उन्होंने बताया कि यह सभी घटक मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने, उसमें पोषक तत्वों की भरपाई करने और उसकी जलधारण क्षमता बढ़ाने में अत्यंत उपयोगी हैं। कार्यक्रम में उपस्थित वैज्ञानिक डॉ. प्रमेन्द्र ने किसानों को खेती को व्यवसायिक दृष्टिकोण से अपनाने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि आज की बदलती परिस्थिति में केवल पारंपरिक खेती से लाभ संभव नहीं है, बल्कि इसकी मार्केटिंग और वेल्यू एडिशन पर भी ध्यान देना आवश्यक है। उन्होंने डिजिटल मार्केटिंग को खेती के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम बताते हुए इसके उपयोग और महत्व को विस्तार से समझाया। उन्होंने किसानों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स, सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स पोर्टल्स के ज़रिए अपने उत्पादों को सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचाने की रणनीतियां भी बताई एवं जैतारण किसान उत्पादक संगठन के शेखर परमार ने संगठन से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। किसानों को कृषि उत्पादों की मार्केटिंग पर विस्तार से चर्चा की। साथ मोहराई के प्रगति शील किसान रमेश ने किसानों को मशरूम की खेती करने के टिप्स बताए। इसी कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केन्द्र की प्रसार शिक्षा विशेषज्ञ डॉ निधि ने किसानों को इस अभियान का ज्यादा से ज्यादा फायदा लेने हेतू प्रेरित किया। इसी कार्यक्रम में उद्यान विभाग के कृषि अधिकारी शिवराज जी एंव कृषि पर्यवेक्षक जय राम ने कृषि एंव उद्यान विभाग की योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया। इस दौरान कृषि विभाग के सहायक कृषि अधिकारी वर्षा फानन, स्वाति शुक्ला, विजय लक्ष्मी, लक्ष्मी कंवर एंव राजीविका से पूनम चौहान और कृषि विज्ञान केंद्र के विकास चौधरी, बाबू राम एंव 600 से अधिक किसान एंव किसान महिलाएं उपस्थित रहे।

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