नवजात शिशुओं में सेप्सिस रोग होने पर इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली एंटीबायोटिक दवाइयों का प्रभाव कम होने लगा है। हाल ही में यूरोपियन जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित स्टडी में यह बात सामने आई है। भारत के वरिष्ठ जनस्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. राम मटोरिया और यू.ए.ई. के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पंकज सोनी ने यह शोध किया है। दरअसल, सेप्सिस एक गंभीर संक्रमण है। इससे बच्चों के शरीर में इलाज के दौरान सूजन आना जैसी समस्या होती है। 8954 नवजातों के आंकड़ों का विश्लेषण किया शोधकर्ता डॉ राम मटोरिया ने बताया कि उन्होंने 2005 से 2024 तक के बीच किए गए 37 अध्ययनों से 8 हजार 954 नवजातों के आंकड़ों का विश्लेषण किया है। इस समीक्षा में मृत्यु दर, उपचार विफलता और सामान्यतः उपयोग की जाने वाली एंटीबायोटिक दवाओं के प्रतिरोध प्रोफाइल का मूल्यांकन किया गया। नवजातों में एंटीबायोटिक प्रतिरोध एक बढ़ता हुआ वैश्विक खतरा है। नवजात शिशुओं का हर घंटा कीमती, तत्काल निदान आवश्यक शोधकर्ता डॉ. पंकज सोनी ने बताया कि मैं एक बाल रोग विशेषज्ञ के रूप में देखता हूं कि नवजात जीवन कितना नाजुक होता है। नवजात शिशुओं के पास समय नहीं होता। हर घंटा कीमती होता है। इसलिए इस समस्या के तत्काल निदान की आवश्यकता है। हमें तेज जांच, सीमित एंटीबायोटिक इस्तेमाल और गहन शिशु देखभाल इकाइयों में संक्रमण नियंत्रण पर तत्काल ध्यान देना चाहिए। ताकि हम अपने सबसे छोटे मरीजों की रक्षा कर सकें।

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