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राजस्थान के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने के लिए टीचर्स नहीं है। सब्जेक्ट टीचर्स की सबसे ज्यादा कमी है और सामान्य टीचर्स भी नहीं है। हालात इतने बदहाल है कि इन स्कूलों का निरीक्षण करने वाले अधिकारी तक विभाग के पास नहीं है। जुलाई महीने के रिक्त पदों की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के शिक्षा विभाग में करीब सवा लाख पद खाली पड़े हैं। शिक्षा विभाग में कुल 35 तरह के पद है। इनमें एक भी ऐसा पद नहीं है, जिसमें कोई सीट रिक्त नहीं हो। स्कूलों में पढ़ाने के लिए टीचर्स की आवश्यकता है लेकिन उनकी ही सबसे ज्यादा कमी है। विभाग में इस समय सीनियर टीचर्स के 25 हजार 396 पद खाली पड़े हैं। राज्य में इस समय 91 हजार 54 पद सीनियर टीचर के हैं लेकिन इनमें 65 हजार 658 पद पर ही टीचर्स काम कर रहे हैं। ये सीनियर टीचर्स ही स्कूल में अलग-अलग विषय की पढ़ाई करवाते हैं। हिन्दी, इंग्लिश, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, गणित के पद रिक्त होने से अधिकांश स्कूलों में इन विषयों की पढ़ाई नहीं हो पा रही है। इसके अलावा 23 हजार 280 पद सामान्य अध्यापक के रिक्त पड़े हैं। सामान्य अध्यापक के एक लाख तीन हजार 61 पद रिक्त है। जिसमें 79 हजार 781 पद रिक्त है। प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल ही नहीं राज्यभर के सात हजार स्कूल ऐसे हैं, जिसके बेहतर संचालन के लिए प्रिंसिपल तक नहीं है। राज्य में प्रिंसिपल के सात हजार 90 पद खाली पड़े हैं। इसके साथ ही वाइस प्रिंसिपल के 12 हजार पद एक जनवरी को खाली थे। हाल ही में पदोन्नति के बाद ये पद भरे गए हैं लेकिन इसके बाद भी बड़ी संख्या में पद रिक्त है। अधिकारी बिना निरीक्षण कैसे? राज्य के सरकारी स्कूलों का निरीक्षण करने, वहां पदों की स्थिति देखने के लिए अधिकारियों की आवश्यकता होती है लेकिन हालात ये है कि अधिकारियों के पद भी खाली है। वर्तमान में संयुक्त निदेशक के नौ, उप निदेशक के दस, जिला शिक्षा अधिकारी के 24, प्राचार्य के सात हजार 90, पद खाली है। सीनियर सैकंडरी स्कूल में लेक्चरर नहीं राज्य के सीनियर सैकंडरी स्कूलों में आर्ट्स, कॉमर्स और साइंस के लेक्चरर नहीं है। वर्तमान में लेक्चरर के 55 हजार 17 पद स्वीकृत है लेकिन इनमें 42 हजार 171 पद पर ही लेक्चरर काम कर रहे हैं। ऐसे में 12 हजार पद खाली है। कर्मचारी भी नहीं है विभाग में कर्मचारियों के पद भी खाली है। वर्तमान में कनिष्ठ सहायक के करीब साढ़े चार हजार पद खाली है। अभी कनिष्ठ सहायक के बारह हजार पद स्वीकृत है लेकिन साढ़े सात हजार ही काम कर रहे हैं। इसी तरह स्कूलों में सहायक कर्मचारियों के भी 22 हजार 368 पद खाली पड़े हैं।

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