पहले फ्री सैनिटरी पैड मिलते थे तो इस्तेमाल कर लेती थीं। अब खरीद भी नहीं सकती, क्योंकि बाजार में पैड बहुत महंगे आते हैं। कपड़ा इस्तेमाल करना पड़ता है, जिससे कई बार इन्फेक्शन हो जाता है। घर में बच्चियां भी हैं, उनके लिए भी मुश्किल होती है। ये एक नहीं लाखों महिलाओं और लड़कियों का दर्द है। राजस्थान सरकार की ‘उड़ान योजना’ के तहत हर तीन महीने में किशोरियों और महिलाओं को मुफ्त सैनिटरी पैड देने की व्यवस्था की गई थी। योजना के लिए हर साल लगभग 290 करोड़ रुपए का बजट रखा गया। दावा किया गया कि इससे राज्य की एक करोड़ 23 लाख से अधिक महिलाएं लाभान्वित होंगी, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि सितंबर 2024 के बाद से किसी भी महिला या बालिका को सैनिटरी नैपकिन नहीं मिले हैं। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… भास्कर टीम पड़ताल के लिए भरतपुर स्थित नगर परिषद क्षेत्र के एक आंगनबाड़ी केंद्र पहुंची तो वहां की स्थिति बेहद चिंताजनक थी। केंद्र में न लाइट थी, न पंखा। एक कोने में छोटा सा टेबल फैन लगा हुआ था। दीवार सीलन से जर्जर हो चुकी थी। वहां मौजूद एक सहायिका और एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से पूछा- क्या सैनिटरी नैपकिन की सप्लाई हो रही है? जवाब मिला – नहीं, अब नहीं आ रहे हैं। दूसरी आंगनबाड़ी में भी वही हाल…
टीम भरतपुर की नई बस्ती आंगनबाड़ी केंद्र पर पहुंची। वहां भी कुछ अलग नहीं दिखा। वहां मौजूद कार्यकर्ता और सहायिका सरोज ने बताया कि नवंबर में ही अंतिम बार पैड आए थे, जिन्हें 135 महिलाओं को बांटा गया था। उसके बाद से कोई स्टॉक नहीं आया। एक कार्यकर्ता ने बताया– हर 3 महीने में एक बार आपूर्ति होती है तो पैड बहुत कम आते हैं। कई बार महिलाओं को लगता है कि हम छिपा रहे हैं। हमारे पास देने को होता ही नहीं है। स्टॉक आएगा, तभी तो देंगे। योजना का बजट और हकीकत
‘उड़ान’ योजना के लिए सरकार ने हर साल 290 करोड़ रुपए का बजट रखा है। इसके तहत महिलाओं और किशोरियों को हर तीन-तीन महीने के अंतराल में हर महीने के 2 पैकेट के हिसाब से जिसमें छह सैनिटरी पैड मुफ्त दिए जाते थे। सितंबर 2024 के बाद से कहीं भी वितरण नहीं हुआ। इसका मुख्य कारण यह है कि पुराना टेंडर समाप्त हो गया और विभाग की ओर से नई प्रक्रिया समय पर शुरू नहीं की गई। टेंडर में देरी क्यों हुई?
आरएमएससीएल (राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन ) और महिला अधिकारिता विभाग के बीच समन्वय की कमी के चलते टेंडर प्रक्रिया में देरी हुई। बीते छह महीने से दोनों ही विभाग गेंद को एक दूसरे के पाले में डालने की कोशिश कर रहे है। इस देरी की जड़ में है टेंडर प्रक्रिया में आई गड़बड़ी। योजना का नोडल विभाग महिला अधिकारिता विभाग है, लेकिन टेंडर करने से लेकर वितरण तक का काम आरएमएससीएल करता है। अब सप्लाई ठप पड़ने पर महिला अधिकारिता विभाग और आरएमसीएल दोनों एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। सितंबर 2023 के बाद सप्लाई पूरी तरह से ठप हो चुकी है। डिलीवरी बंद है, क्योंकि योजना के टेंडर की वैधता सितंबर में समाप्त हो गई थी। इसके बाद से आरएमएससीएल ने नए टेंडर जारी करने में बहुत अधिक समय लगा दिया। वहीं महिला अधिकारिता विभाग की तरफ से तुरंत कोई संज्ञान नहीं लिया गया। पड़ताल के दौरान सामने आया कि सितंबर में टेंडर समाप्त हो गया था, लेकिन महिला अधिकारिता विभाग की ओर से सितंबर तक कोई सैंक्शन नहीं भेजा गया था। इसकी वजह से आरएमएससीएल ने टेंडर को आगे नहीं बढ़ाया। एक बार टेंडर की अवधि समाप्त होने के बाद दोबारा पूरी प्रक्रिया के तहत ही टेंडर होता है। अक्टूबर के बाद वित्तीय नियंत्रण विभाग से स्वीकृति आई, तब प्रक्रिया दोबारा शुरू की। ऐसे में जनवरी 2025 में टेंडर पुन निकाला गया और पूरी प्रक्रिया शुरू हुई। इस पर महिला अधिकारिता विभाग का कहना है कि इससे पहले कभी भी प्रशासनिक वित्तीय स्वीकृति मांगी ही नहीं गई थी। हर बार डिमांड भेज दी जाती थी। खरीद हो जाती थी। जैसे ही हमसे इस बार स्वीकृति मांगी गई, हमने सितंबर में अगले दिन ही दे दी। उसके बाद भी ऑर्डर नहीं किया गया। तब तक टेंडर का समय निकल चुका था। इस बार 2 रुपए सस्ता खरीदा पैड
30 जनवरी 2025 को टेंडर निकाला गया, जिसमें सात फर्म को शामिल किया गया है। इनमें से छह फर्म पुरानी हैं और एक फर्म नई है। पुरानी फर्म में से एक कंपनी को अच्छी क्वालिटी का प्रोडक्ट उपलब्ध नहीं कराने के कारण बाहर कर दिया गया है। खास बात ये है कि इस बार सरकार की ओर से एक पैकेट 12 रुपए में खरीदा गया है। पिछली बार इसकी कीमत 14 रुपए थी। पिछली बार कई जगह पैड के साइज और क्वालिटी को लेकर शिकायतें आई थीं। ऐसे में अब रेट्स में अंतर आने के कारण क्वालिटी में गिरावट की भी आशंका है। उड़ान योजना योजना का उद्देश्य
उड़ान योजना राज्य सरकार की पहल है। इसका उद्देश्य महिलाओं और किशोरियों को पीरियड के दिनों में स्वच्छता के प्रति जागरूक करना और उन्हें मुफ्त में सैनिटरी नैपकिन प्रदान करना है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-4) 2015-16 के अनुसार, राजस्थान में केवल 47.9% महिलाएं सैनिटरी नैपकिन का उपयोग करती थीं। इस स्थिति में सुधार लाने के लिए, राज्य सरकार ने उड़ान योजना की शुरुआत की। लाभार्थी कौन हैं?
इस योजना के तहत 11 से 45 वर्ष की आयु की महिलाएं और किशोरियां लाभार्थी हैं। शुरुआत में यह योजना केवल स्कूल की छात्राओं के लिए थी। बाद में इसे सभी पात्र महिलाओं तक विस्तारित किया गया। राजस्थान मेडिकल सर्विस कॉरपोरेशन (RMSCL) के माध्यम से सैनिटरी पैड को बांटा जाता है।

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