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धौलपुर जिले के सैंपऊ उपखंड की नुनहेरा ग्राम पंचायत के 6 ढाढ़ियों में रहने वाले लोगों को रोज जान जोखिम में डालकर पार्वती नदी पार करनी पड़ती है। इन ढाणियों में करीब 400 परिवारों की 2000 की आबादी रहती है। चाहे स्कूली बच्चे हो या किसी मरीज को अस्पताल ले जाना पढ़े। नदी के गहरे पानी को पार करने के लिए ट्यूब पर चारपाई बांधकर बने खटोले का सहारा लेते हैं। नदी पर गढ़ी चटोला के पास बने एनीकट की वजह से आरी, मढ़ैया, भूरा का पुरा, बघेलों का पुरा, महंत का अड्डा और पंछी का पुरा के आसपास जलभराव होता है। यहां 15 से 20 फीट तक पानी भर जाता है। ग्रामीणों को निकटतम कस्बा तसीमो पहुंचने के लिए नदी पार करनी पड़ती है। गांव के बच्चे रोज नदी के गहरे पानी को पार करने के लिए ट्यूब पर चारपाई बांधकर बने खटोले का सहारा लेते हैं। यही नहीं बीमार मरीजों को अस्पताल ले जाना हो या घर-गृहस्थी का सामान खरीदने बाजार जाना हो, ग्रामीणों को हमेशा इसी खटोले पर निर्भर रहना पड़ता है। ग्रामीणों ने बताया कि कई बार नदी पर पुल या रपट बनाने की मांग पंचायत और प्रशासन से की गई, लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिला है। खटोला भी पेड़ से बांधकर जाते हैं ग्रामीण
ग्रामीणों ने बताया कि नदी पार करने के बाद खटोले को पेड़ से लोहे की सांकल और ताले से बांध देते हैं, ताकि कोई दूसरा उसका इस्तेमाल न कर सके। कई परिवारों ने अपने-अपने खटोले बना रखे हैं क्योंकि सालभर बाजार जाने और बीमार होने पर नदी पार करना उनकी मजबूरी है। सड़क से दूरी ज्यादा
आरी, मढ़ैया और आस पास के गांवों से तसीमों कस्बे की सड़क से दूरी करीब 6 किलोमीटर है, जबकि उपखंड मुख्यालय सैंपऊ 5 किलोमीटर दूर पड़ता है। ऐसे में लोग जोखिम उठाकर भी 1 किलोमीटर की नदी पार कर तसीमों जाना बेहतर समझते हैं। कभी भी हो सकता है हादसा
पार्वती नदी में जान जोखिम में डालकर नदी पार करना बच्चों और ग्रामीणों के लिए किसी खतरे से कम नहीं है। हैरानी की बात यह है कि अब तक पुलिस-प्रशासन ने इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया है। हादसा होने के बाद ही शायद जिम्मेदार जागेंगे। तहसीलदार नाहर सिंह ने बताया ग्रामीण और बच्चों को नदी से रास्ता क्रॉस करने की रोक लगाई जाएगी। इस मामले की जांच कराई जाएगी। सीमा विवाद में उलझ रहा मामला
पार्वती नदी का एक सिरा धौलपुर तो दूसरा बाड़ी विधानसभा क्षेत्र में आता है। ग्रामीणों ने बताया कि सीमा विवाद की वजह से विधायक एक दूसरे पर काम करने का पल्ला झाड़ देते हैं। उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन से लेकर विधायक और सांसद तक को इस समस्या से कई बार अवगत कराया जा चुका है, लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिलते हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द नदी पर रपट या पुल का निर्माण कराया जाए ताकि बच्चों की पढ़ाई और ग्रामीणों की आवाजाही सुरक्षित हो सके।

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