एमडीएस यूनिवर्सिटी अजमेर की नई पहल ने अजमेर सहित 6 जिलों के 450 से ज्यादा कॉलेजों के सैकड़ों स्टूडेंट्स को राहत प्रदान की है। यूनिवर्सिटी की ओर से डुप्लीकेट मार्कशीट और माइग्रेशन सर्टिफिकेट की फीस ऑनलाइन जमा करने और इन दस्तावेज को घर तक पहुंचाने की सुविधा से स्टूडेंट्स का समय और पैसा दोनों की बचत हो रही है। करीब 25 दिनों में ही एक हजार से ज्यादा आवेदन विश्वविद्यालय को मिल चुके हैं और प्रक्रिया जारी है। सबसे बड़ी बात विश्वविद्यालय में पनप चुके एक बिचौलिया ग्रुप से भी स्टूडेंट्स को मुक्ति मिली है। यूनिवर्सिटी से अजमेर के एसपीसी जीसीए और जीजीसीए सहित संभाग के 6 जिलों नागौर, टोंक, भीलवाड़ा, ब्यावर, कुचामन-डीडवाना और अजमेर के 450 से अधिक कॉलेजों के यूजी, पीजी, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट आदि कोर्सेज के 3 लाख से अधिक स्टूडेंट्स रजिस्टर्ड हैं। हर साल इनमें से एक बड़ी संख्या अपनी पढ़ाई पूरी करती है जिन्हें डुप्लीकेट दस्तावेज की आवश्यकता रहती है। 3 बजे बाद पहुंचने पर बंद हो जाता था कैश काउंटर मई एंड तक ऑफ लाइन ही व्यवस्था होने से डुप्लीकेट मार्कशीट और माइग्रेशन के लिए आने वाले स्टूडेंट्स की विश्वविद्यालय में भीड़ लगी नजर आती थी। इन दिनों केवल वे स्टूडेंट्स पहुंच रहे हैं, जिन्हें ऑन लाइन सुविधा की जानकारी नहीं है। कैश काउंटर भी गिने-चुने छात्र नजर आ रहे हैं। तीन बजे बाद पहुंचे तो कैश काउंटर बंद हो जाता, इससे स्टूडेंट्स परेशान होते थे। नागौर और अन्य जिलों से विश्वविद्यालय तक पहुंचते-पहुंचते कई स्टूडेंट्स 3 बजे से लेट हो जाते थे। ऐसे में कैश काउंटर बंद हो जाता था। बिचौलिया ग्रुप हो गया था तैयार स्टूडेंट्स की मजबूरी का फायदा उठाने को एक बिचौलिया ग्रुप भी सक्रिय हो गया था, जो तीन बजे बाद आने वाले स्टूडेंट्स से अतिरिक्त राशि लेकर मार्कशीट आदि डुप्लीकेट दस्तावेज उपलब्ध कराने का काम करने लगा। ट्रांसक्रिप्ट सर्टिफिकेट भी ऑनलाइन होंगे विश्वविद्यालय के मुख्य परीक्षा नियंत्रक डॉ. सुनील टेलर ने बताया कि अभी छात्रों की डुप्लीकेट मार्कशीट और माइग्रेशन सर्टिफिकेट की ही अधिक मांग है। ये दोनों ही दिए जा रहे हैं। जल्द ही ट्रांसक्रिप्ट सर्टिफिकेट भी घरों पर पहुंचाने और ऑन लाइन फीस जमा करने का प्रोसेस भी शुरू करने की योजना है। ये सर्टिफिकेट विभिन्न विदेशी संस्थाओं द्वारा मांगे जाते हैं। इसके तहत डिग्री के हर साल का रिकॉर्ड यानी यदि तीन साल का बीए किया है तो फ़र्स्ट ईयर, सेकेंड ईयर, थर्ड ईयर तीनों का डाटा एक ही डॉक्यूमेंट में समाहित रहता है, इसे ट्रांसक्रिप्ट सर्टिफिकेट कहा जाता है। 40 रुपए पोस्टल खर्च के और देने पर घर पर ही मिल रहे दस्तावेज विश्वविद्यालय ने स्टूडेंट्स को अपने निवास स्थान या शहर से ही ऑनलाइन फीस घर से जमा करने की सुविधा दे दी। विद्यार्थी चाहे तो दस्तावेज भी उनके घर पर पहुंचाने के लिए भी इंतजाम किए। इसके लिए उनको 40 रुपए सिर्फ पोस्ट चार्जेस देना है। यदि किसी स्टूडेंट को ज्यादा जरूरत है और वह सम डे ही दस्तावेज चाहता है तो उसे फिर विश्वविद्यालय में आकर ये दस्तावेज लेने का विकल्प भी रखा गया है। आम दिनों में डुप्लीकेट दस्तावेज लेने वालों की संख्या कम रहती है। लेकिन एडमिशन के समय यह संख्या बढ़ जाती है। एक सीजन में ही करीब 5 हजार आवेदन मिल जाते हैं।

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