राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना को लेकर सरकार की ओर से शुरू की गई गहन डेटा पड़ताल ने राष्ट्रीय स्तर पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पड़ताल में सैकड़ों ऐसे लोग पकड़े गए हैं, जिन्होंने एक ही आधार कार्ड नंबर का उपयोग कर अवैध तरीके से दो अलग-अलग राज्यों से मुफ्त राशन का लाभ उठाया है। चौंकाने वाली बात यह है कि इन लोगों ने केवल राज्य ही नहीं बदला, बल्कि दूसरे राज्य में खुद का नया (फर्जी) नाम भी रख लिया। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा पोर्टल पर राज्यों के बीच डेटा लिंकेज और आधार कार्ड नंबरों के मिलान से इस घोटाले की परतें खुलनी शुरू हो गई हैं। आधार डी-डुप्लीकेशन से पकड़ा फर्जीवाड़ा
राशन कार्ड डुप्लीकेसी का यह खेल राष्ट्रीय PDS पोर्टल के माध्यम से उजागर हुआ है, जिसने आधार डी-डुप्लीकेशन का काम शुरू किया है। इसके तहत राज्य स्तर पर जैसे ही राशन कार्ड नंबरों से आधार कार्ड नंबरों को क्रॉस चेक किया तो कई ऐसे नाम सामने आए, जो दो जगहों पर एक ही आधार से रजिस्टर्ड थे। इस धोखाधड़ी की सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि राजस्थान में 70,769 उपभोक्ता ऐसे हैं, जो दो जगह से गेहूं उठा रहे हैं। झुंझुनूं की रसद अधिकारी डॉ. निकिता राठौड़ ने बताया कि राज्य स्तर से उन्हें 1,659 डुप्लीकेट राशन कार्डों की रिपोर्ट भेजी गई है। इनमें से अब तक 463 को ब्लॉक किया जा चुका है, जबकि 1,196 मामलों की जांच जारी है। विभाग की टीमें लगातार नोटिस भेज रही हैं और फील्ड जांच में जुटी हैं। उन्होंने कहा कि कई मामलों में एक व्यक्ति ने अपने राज्य में किसी और नाम से राशन लिया और राजस्थान में आकर नाम बदल लिया। उनका आधार कार्ड नंबर वही रहा। सॉफ्टवेयर से आधार-आधारित डेटा लिंक होने पर भले ही उनके नाम अलग थे, लेकिन आधार कार्ड के अंतिम 4 अंकों से डुप्लीकेसी पकड़ में आ गई। पहचान बदलकर उठा रहे दोहरा लाभ
भास्कर की टीम ने घोटाले में सामने आए 4 केसों की स्टडी की। इनमें पश्चिम बंगाल की फातिमा, झारखंड की संकरी लिटूर, छत्तीसगढ़ की समीम और हरियाणा की प्रियंका शामिल हैं। इन चारों महिलाओं ने झुंझुनूं आने के बाद राशन कार्ड बनवाए और उनमें अपने नाम बदलवा लिए। इनके आधार कार्ड नंबरों के आखिरी 4 अंक जस के तस रहे। इसे उदाहरण से समझते हैं- फातिमा के पश्चिम बंगाल में आधार कार्ड के अंतिम चार अंक 6448 हैं, वहीं फातिमा ने झुंझुनूं आकर राशन कार्ड में अपना नाम सरिता करवा लिया, लेकिन आधार कार्ड नंबर नहीं बदला और अंतिम चार अंक 6448 ही पाए गए। क्रॉस चेक करने पर इस तरह का फर्जीवाड़ा सामने आया। ये चारों महिलाएं दोनों जगहों से राशन उठा रही थीं। पहले अपने मायके या मूल राज्य से और फिर झुंझुनूं में नई पहचान के साथ। इनमें से किसी भी महिला ने नाम बदलने के लिए गजट नोटिफिकेशन नहीं कराया और न ही पहले वाले राज्य से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) लिया। अधिकारी बोले- गजट नोटिफिकेशन जरूरी
रसद अधिकारी डॉ. निकिता राठौड़ ने बताया कि राजस्थान में नाम जोड़ने की पूरी प्रक्रिया तय है, जो बिना NOC और वैधानिक दस्तावेज के पूरी नहीं हो सकती। राजस्थान में किसी व्यक्ति का नाम राशन कार्ड में जोड़ने के लिए विवाह प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र, आधार नंबर, परिवार की सहमति और सबसे महत्वपूर्ण, पूर्व राज्य से जारी NOC जरूरी होती है। यदि नाम बदलवाना हो तो गजट नोटिफिकेशन जरूरी है। इन सभी कानूनी औपचारिकताओं को दरकिनार कर झुंझुनूं में ये राशन कार्ड आसानी से बनवा लिए गए। यह सवाल उठता है कि क्या इसमें स्थानीय स्तर पर मिलीभगत नहीं थी? सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सहायक निदेशक घनश्याम गोयल ने बताया कि आधार में नाम परिवर्तन के लिए गजट अधिसूचना आवश्यक है। उनके अनुसार, आधार में बिना गजट नोटिफिकेशन के नाम नहीं बदला जा सकता है। वहीं, सांख्यिकी विभाग की अधिकारी पूनम कटेवा ने बताया कि जन्म प्रमाण पत्र में भी कोई बदलाव गजट नोटिफिकेशन के बिना संभव नहीं है। ऐसे में यह घोटाला सिर्फ लाभार्थियों की गलती नहीं, बल्कि संबंधित विभागों की निगरानी में कमी और सिस्टम की ढिलाई को भी उजागर करता है। केंद्र स्तर पर जब राशन कार्डों को आधार से जोड़ा गया, तब यह गड़बड़ी उजागर हुई। PDS डेटा के इंटीग्रेशन से स्पष्ट हुआ कि राजस्थान के करीब 70,769 उपभोक्ता ऐसे हैं, जो दो राज्यों से राशन उठा रहे हैं। नाम बदले बिना भी दोहरा लाभ
घोटाले की एक और परत यह भी है कि कई महिलाओं ने नाम तो नहीं बदले, लेकिन फिर भी नए राज्य में राशन कार्ड बनवा लिए। शादी के बाद भी उनके नाम पुराने घर के राशन कार्ड में बने रहे और ससुराल में भी जुड़वा लिए गए। जब राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय स्तर पर आधार से राशन कार्ड लिंक हुए, तब ऐसे 1,076 मामले केवल झुंझुनूं में पकड़े गए, जिनमें नाम बदले बिना ही कार्ड बनवा लिए गए। पूरे राजस्थान और राष्ट्रीय स्तर पर फैली है समस्या
राजस्थान में डुप्लीकेट राशन कार्डों की संख्या 76,083 तक पहुंच गई है, जिनमें से 43,507 मामलों में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। इससे जाहिर होता है कि प्रदेश में रह रहे हजारों लोग अब भी दो जगहों से सरकारी गेहूं उठा रहे हैं। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह डुप्लीकेसी दो तरह की है- एक तो राज्य के अंदर दो जिलों में और दूसरी राज्य के बाहर यानी दो अलग-अलग राज्यों में एक ही व्यक्ति द्वारा लाभ उठाने की। राजस्थान के जिन जिलों में सबसे ज्यादा डुप्लीकेट मामले सामने आए हैं, उनमें अलवर (13,194), भरतपुर (10,314), झालावाड़ (4,403) शामिल हैं। झुंझुनूं में (1,659) मामले सामने आए हैं।