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हाईकोर्ट का आयुर्वेद नर्स भर्ती-2024 पर बड़ा फैसला:अंतिम कटऑफ तिथि तक इंटर्नशिप पूरी करने वाले ही नियुक्ति के पात्र, लेट ट्रेनिंग वाले 33 अभ्यर्थियों की याचिका खारिज

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राजस्थान हाईकोर्ट जस्टिस अरुण मोंगा ने आयुर्वेद विभाग में नर्स जूनियर ग्रेड भर्ती-2024 को लेकर दायर 33 अभ्यर्थियों की याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने आदेश में कहा- अंतिम कटऑफ तिथि तक इंटर्नशिप पूरी करने वाले अभ्यर्थी ही नियुक्ति के पात्र हैं। दरअसल, ढाई साल की आयुष नर्सिंग क्लासरूम कोचिंग के बाद 6 महीने की अनिवार्य इंटर्नशिप कर रहे 33 अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इन पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इसे खारिज किया और महत्वपूर्ण व्यवस्था दी कि इंटर्नशिप ट्रेनिंग ‘तीन वर्षीय आयुष नर्सिंग व फार्मेसी पाठ्यक्रम’ का ही भाग है और अंतिम कटऑफ तक शैक्षणिक योग्यता पूरी करने वाले अभ्यर्थी ही नियुक्ति आवेदन करने के पात्र हैं। 650 पदों की भर्ती प्रक्रिया में योग्यता-अयोग्यता ही मुद्दा याचिकाकर्ता सीमा और 32 अन्य अभ्यर्थियों ने राजस्थान हाईकोर्ट में रिट याचिका पेश कर आयुर्वेद विभाग में चल रही कंपाउंडर/नर्स जूनियर ग्रेड के कुल 650 पद की भर्ती-2024 की प्रक्रिया में शामिल करने की गुहार लगाई थी। वहीं, दूसरी ओर अंतिम कटऑफ तिथि 15 जनवरी 2025 तक योग्यता के मापदंड पूर्ण करने वाले अभ्यर्थियों लक्ष्मीकांत शर्मा सहित अन्य की ओर से वकील यशपाल खिलेरी ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश कर उन 33 अभ्यर्थियों की याचिका निरस्त करने का आग्रह किया। इंटर्नशिप भी अनिवार्य योग्यता का हिस्सा मामले की अंतिम सुनवाई के दौरान अप्रार्थी मेरिटोरियस अभ्यर्थियों की ओर से वकील ख़िलेरी ने कोर्ट में बताया- इंटर्नशिप आवश्यक योग्यता का ही अंग है। भर्ती संबंधित विज्ञप्ति में भी यह स्पष्ट अंकित था, कि अभ्यर्थी को आवेदन करने की अंतिम दिनांक तक इंटर्नशिप पूरी कर लेनी आवश्यक है। जबकि, याचिकाकर्ताओं अभी भी इंटर्नशिप/ट्रेनिंग कर रहे हैं। ऐसे में आवेदन करने की तिथि को उनके पास आवश्यक न्यूनतम योग्यता तक नहीं थीं। अयोग्य अभ्यार्थियों को चयन प्रक्रिया में शामिल करने से योग्य अभ्यर्थी भर्ती प्रक्रिया से बाहर हो गए हैं औऱ उक्त रिट याचिका ख़ारिज होने से अंतिम कटऑफ तिथि तक योग्य सभी अभ्यर्थियों को आयुर्वेद विभाग में चल रही दस्तावेज सत्यापन काउंसलिंग में शामिल होने का मौका मिल सकेगा। इसी तरह, राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता नरेंद्र सिंह राजपुरोहित और आयुर्वेद विभाग की राजकीय अधिवक्ता राखी चौधरी ने भी पक्ष रखते हुए रिट याचिका ख़ारिज करने की गुहार की।

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